ब्लड क्लॉटिंग (रक्त का थक्का बनना) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो शरीर को चोट लगने या रक्तस्राव होने पर रक्त को जमाकर सुरक्षा प्रदान करती है। यह प्रक्रिया प्लेटलेट्स और विभिन्न प्रोटीन की सहायता से होती है। हालांकि जब रक्त के थक्के गलत स्थानों पर जैसे नसों या धमनियों में अनावश्यक रूप से बनने लगें तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

हार्ट अटैक की स्थिति के लिए भी धमनियों में थक्के बनने की समस्या को एक कारक माना जाता है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता होती है। आइए जानते हैं कि रक्त के थक्के क्यों बनते हैं और इससे बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

रक्त को थक्के बनने के कारण

ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर के कारण रक्त में बहुत तेजी से थक्के बनने लग जाते हैं। इसे थ्रोम्बोफिलिया भी कहा जाता है। जब आपको चोट लगती है, तो आपका शरीर खून का थक्का बनाकर खून बहने से रोकता है।

रक्त के थक्के जमने की समस्या कई बार खतरनाक हो सकती है, खासकर तब जब आपको इसका इलाज न मिले। कुछ प्रकार की बीमारियों और लाइफस्टाइल से संबंधित समस्याएं ब्लड क्लॉटिंग का कारण बन सकते हैं।

कैंसर (सबसे आम कारणों में से एक) और कैंसर के इलाज के लिए प्रयोग में लाई जा रही दवाएं इसके खतरे को बढ़ा देती हैं।

मोटापा और गर्भावस्था की स्थिति में भी ब्लड क्लॉटिंग होने का खतरा रहता है।

गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक सेवन या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी।

शारीरिक निष्क्रियता वाले लोगों में अधिक जोखिम देखा जाता रहा है।

ब्लड क्लॉटिंग और इसके गंभीर दुष्प्रभाव

ब्लड क्लॉटिंग जब शरीर में अनावश्यक रूप से होने लगती है तो इसके कारण कई प्रकार की गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं।

मस्तिष्क की धमनियों में रक्त का थक्का जमने से ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे लकवा की दिक्कत हो सकती है। इसी तरह हृदय की धमनियों में ब्लड क्लॉट बनने से रक्त संचार बाधित हो सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।

ब्लड क्लॉटिंग की पहचान 

कुछ लक्षण हैं जो इस बात की तरफ संकेत करते हैं कि आपके शरीर में ब्लड क्लॉटिंग हो रही है। इन संकेतों पर सभी लोगों को जरूर ध्यान देना चाहिए।

पैरों या हाथों में सूजन। एक तरफ के पैर या हाथों में सूजन को ब्लड क्लॉटिंग का संकेत माना जा सकता है।

त्वचा के रंग में बदलाव या इसका नीला पड़ना। प्रभावित क्षेत्र में त्वचा का रंग बदल सकता है, जो रक्त प्रवाह में रुकावट का संकेत देता है।

बिना किसी स्पष्ट कारण के होने वाला तेज दर्द, विशेषकर पैर या हाथ में, ब्लड क्लॉटिंग का लक्षण हो सकता है।

यदि रक्त का थक्का फेफड़ों तक पहुंच जाता है, तो इससे सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द की समस्या हो सकती है।

मस्तिष्क में ब्लड क्लॉटिंग होने पर व्यक्ति को चक्कर आ सकते हैं या बेहोशी महसूस हो सकती है।

मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट बनने से बोलने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसे स्ट्रोक का संकेत भी माना जाता है।

 

ब्लड क्लॉटिंग से बचाव के उपाय

 

यदि आपको ब्लड क्लॉटिंग की समस्या है तो डॉक्टर से संपर्क करके इसका  सही समय पर उपचार करें। कुछ दवाओं और जीवनशैली में बदलाव की मदद से रक्त के थक्कों की समस्या को बढ़ने और इसके शरीर में फैलने से रोका जा सकता है। हृदय और फेफड़ों की बीमारी से परेशान लोगों को इस बारे में और भी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                     (क्वालीफाईड डायटीशियन/ एडुकेटर,अहमदाबाद) 

By AMRITA

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