सर्दियों का मौसम शुरु हो रहा है और सब्जी बाजार में कई नई हरी और ताजी सब्जियां सज रही हैं. इन्ही सर्दी के मौसम में गाज़र और मूली भी अपनी अलग डिमांड पे रहते हैं.
मूली का रंग सफेद होता है। इसका स्वाद तीखा होता है।मूली गाजर की तरह जमीन के भीतर कन्दरूप में पैदा होती है। मूली के पत्ते नए सरसों के पत्तों के समान, फूल-सफेद सरसों के फूलों के आकार के और फल भी सरसों ही के समान परन्तु उससे कुछ मोटे होते हैं।
इसके बीज सरसों से बड़े होते हैं। मूली की तासीर खाने में सर्द, गर्म (उष्ण) और ठंडी होती है। मूली के बीजों में उड़नशील तेल होता है। कन्द में आर्सेनिक 0.1 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में रहता है। मूली तथा बीज में स्थिर तेल भी पाया जाता है। वैज्ञानिक विश्लेषणों के अनुसार मूली में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन है। इसमें विटामिन-A, विटामिन-B, पोटैशियम और सूक्ष्म मात्रा में तांबा भी होता है। मूली कच्ची खाई जाती है। मूली और मूली के पत्तों का साग भी बनता है। मूली के पत्तों में बेसन मिलाकर स्वादिष्ट तरकारी भी बनाते हैं। मूली के बीजों से तेल निकलता है। भोजन के मध्य में कच्ची मूली खाने से भोजन करने में रुचि बढ़ती है। मूली के गोलाकार टुकड़े कर थोड़ा-सा नमक छिड़ककर सुबह के समय रोटी के साथ खाना लाभदायक है।
मूली तिल्ली (प्लीहा) के रोगियों के लिए लाभदायक है। शीतकाल में मूली उत्तेजक, पाचन और पोषण करने वाली है। मूली के पत्ते या उसका रस सेवन करना लाभकारी है। अग्निमांद्य (भूख का कम लगना), अरुचि , अफारा (पेट फूलना) , स्त्रियों को मासिकस्राव में पीड़ा होना , पुरानी प्रमेह , पेशाब करने में कठिनाई ( मूत्रकृच्छ ) पथरी , हिचकी, सूजन, अपच , कफ-वात-ज्वर, श्वास (दमा), हिचकी और सूजन-इन समस्त रोगों में मूली लाभकारी है। पुरानी कब्ज में मूली का साग रोजाना खाने से लाभ होता है। मूली बुखार , श्वास (दमा) , नाक के रोग , गले के रोग और नेत्रों (आंखों) के रोगों को मिटाती है। मूली गैस, क्षय (टी.बी.) , खांसी, नाभि का दर्द, कफ, वात, पित्त और रुधिर (खून) के रोगों को दूर करती है। इसके अतिरिक्त पेट के कीड़े , फुंसियां , बवासीर और सभी प्रकार की सूजन में मूली उपयोगी है। आइये जानते है मूली से होने वाले फायदों के बारे में…
मूली के फायदे :
- मूली शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को निकालकर जीवनदायी ऑक्सीजन पैदा करती है।
- मूली में विटामिन-ए पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाता है। इसके नियमित प्रयोग से चश्मे का नंबर कम हो जाता है और चश्मा उतर भी जाता है।
- मूली के सोडियम और क्लोरीन तत्त्व मल को आसानी से निकालने में सहायक होते हैं। मूली में पाया जाने वाला मैग्नीशियम पाचन-क्रिया को नियमित करता है। गंधकीय तत्व चर्म (त्वचा) रोगों से छुटकारा दिलाते हैं।
- मूली में काफी मात्रा में लौह-तत्व मौजूद होते हैं, जो खून को साफ करते हैं। खून साफ होने से शरीर में प्राकृतिक निखार आता है। नाखूनों में लाली आ जाती है और चेहरा गुलाबी आभा से चमकने लगता है।
- मूली में कैल्शियम प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है, जिससे हडि्डयां और दांत मजबूत हो जाते हैं।
- मूली शरीर की शुष्कता (सूखापन) को दूर करती है। जठराग्नि (भूख को बढ़ाती) प्रदीप्त करती है और पेट की गर्मी को दूर करती है। मूली के सेवन से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
- चेहरे के मुंहासे, कील, झांईयां और दाग कम करने में मूली का बड़ा सहयोग रहता है।
- मूली खांसी और दमे में लाभदायक है, लेकिन इसको खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
- मूली के 5 ग्राम बीज मक्खन के साथ सुबह के समय 1 महीने तक नियमित रूप से लेंने से पौरुष ताकत बढ़ती हैं।
- जोड़ों में दर्द हो या कंधे और घुटने में दर्द हो तो मूली का सेवन करने से जकड़न भी खुल जाती है।
- शरीर के किसी ऊपरी भाग मे सूजन आ गई हो तो मूली का रस गर्म करके लगाने से लाभ होता है।
- गुर्दे की बीमारी में मूली लाभदायक हैं। मूली के सेवन से पेशाब सम्बंधी बीमारियां, जैसे रूक-रूककर पेशाब आना, उसमें जलन होना आदि रोग दूर होते हैं।
- मूली के रस से सिर को धोने से लीखें और जुएं समाप्त हो जाती हैं।
- डायबिटीज के रोगियों के लिए मूली काफी लाभकारी है।
- कान की सुनने की शक्ति कमजोर हो गई हो, तो मूली के रस में नींबू का रस मिला लें और उसे गुनगुना करके कान में डालें और उल्टा लेट जाएं, ताकि कान की सिंकाई के बाद रस बाहर निकल जाए। इससे कान का मैल बाहर आ जाएगा और साफ सुनाई देने लगेगा।
- कान में दर्द हो तो मूली के पत्ते सरसों के तेल में उबाल लें। इस रस की 2-2 बूंदे कान में टपकाने से दर्द अवश्य शांत होगा।
- मूली को उबालकर खाने से गर्भ मे स्थिरता आती है और ग-र्भपात नहीं होता है।
मूली के हानिकारक प्रभाव :
- खाली पेट मूली खाने से छाती में दाह (जलन) होती है और पित्त उत्तेजित होता है। शरद ऋतु (सर्दी के मौसम में) में मूली का सेवन लाभदायक नहीं है। मूली खाकर ऊपर से दूध पीना नहीं चाहिए। रात को मूली नहीं खानी चाहिए।