आजकल की गलत खानपान से सबसे ज्यादा हमारा शरीर का जो अंग प्रभावित होता है वो हैहमारे लिवर। लिवर ही एक ऐसा अंग है जो हमारे पूरे शरीर को डिटॉक्स करने के लिए मददगार होता है। यह पाचन क्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन, हमारे गलत खानपान और गलत रहन-सहन की वजह से आज के समय में यह बहुत ज्यादा दुष्प्रभावित होने लगा है। कोलेस्ट्रोल का लेवल बढ़ते ही लीवर पर बुरा असर पड़ने लगता है। लिवर से संबंधित रोग हमारे शरीर में होने लगते हैं जैसे कि जौंडिस, हेपैटोमेगैली, फैटी लिवर, हेपेटाइटिस और लिवर डिसफंक्शन।

आज विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर, हम हेपेटाइटिस के बारे में थोड़ी जानकारी साझा करते हैं।

हेपेटाइटिस एक गंभीर लिवर रोग है, जिसमें लिवर में संक्रमण और सूजन की समस्या उत्पन्न होती है। बरसात के मौसम में यह बीमारी अधिक फैलती है, क्योंकि इस दौरान लोग दूषित पानी और खाद्य पदार्थों के संपर्क में आते हैं। हेपेटाइटिस के पांच प्रमुख प्रकार होते हैं। आइए जानते हैं कि बी और सी प्रकार क्यों सबसे जटिल माने जाते हैं।

जोखिम के कारण

हेपेटाइटिस की बीमारी का सीधा संबंध साफ-सफाई से है। इसे नियंत्रित करने के लिए हमें हाइजीन का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि एक बार इस बीमारी का शिकार होने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।

 

हेपेटाइटिस 5 प्रकार के होते हैं

 

हेपेटाइटिस A: यह बीमारी हेपेटाइटिस-ए वायरस के कारण होती है, जो आमतौर पर दूषित पानी और भोजन से फैलती है। मरीज कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो सकता है, और यह लंबे समय तक नहीं रहता। इसके बचाव के लिए टीकाकरण और साफ-सफाई आवश्यक है।

 

हेपेटाइटिस B: इस प्रकार में HBV वायरस खून को संक्रमित करता है। यह संक्रमित सुई, असुरक्षित यौन संबंध या गर्भवती मां से बच्चे में फैल सकता है। यह क्रोनिक हो सकता है, जिससे लिवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा बढ़ता है।

 

हेपेटाइटिस C: यह HCV वायरस से होता है और इसे सबसे खतरनाक माना जाता है। इसमें लक्षण जल्दी नहीं दिखाई देते, जिससे लिवर धीरे-धीरे प्रभावित होता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन से फैलने की संभावना रहती है और इसका कोई वैक्सीन नहीं है।

 

हेपेटाइटिस D: यह वायरस अकेले काम नहीं करता, बल्कि हेपेटाइटिस-बी के साथ मिलकर लिवर को प्रभावित करता है। इससे बचाव के लिए समय पर वैक्सीन लगवाना जरूरी है।

 

हेपेटाइटिस E: यह HEV वायरस से होता है, जो आमतौर पर दूषित पानी से फैलता है। गर्भवती महिलाओं में यह अधिक देखा जाता है।

 

इन सभी प्रकारों में, हेपेटाइटिस B और C सबसे खतरनाक माने जाते हैं, क्योंकि इनसे बचाव करना मुश्किल होता है।

 

हेपेटाइटिस के लक्षण

 

डायरिया

थकान और कमजोरी

बुखार

उल्टी और भूख न लगना

पेट दर्द

 

हेपेटाइटिस ए

अगर आपको लगता है कि आपको हेपेटाइटिस ए हो सकता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें। आप हेपेटाइटिस ए को रोकने वाला इलाज पा सकते हैं।

 

हेपेटाइटिस बी

हेपेटाइटिस बी के लिए सबसे आम दवाएँ एंटीवायरल टैबलेट हैं। आप इन्हें एक साल या उससे ज़्यादा समय तक रोज़ाना ले सकते हैं।

हेपेटाइटिस सी

प्रत्यक्ष-क्रियाशील एंटीवायरल नामक दवाएं हेपेटाइटिस सी का इलाज कर सकती हैं। आपको 8 से 12 सप्ताह तक गोलियां लेनी होंगी।

 

हेपेटाइटिस डी

ज़्यादातर लोगों के लिए कोई कारगर इलाज नहीं है। हेपेटाइटिस बी की मौजूदा दवाएँ काम नहीं करतीं। कुछ लोगों ने पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फ़ा (PEG IFN-⍺) का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।

 

हेपेटाइटिस ई

गंभीर संक्रमणों में लीवर फेलियर को रोकने के लिए एंटीवायरल थेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

 

रोकथाम

 

हेपेटाइटिस ए : हाथ धोने की अच्छी आदतें और हेपेटाइटिस ए का टीका।

 

हेपेटाइटिस बी : हेपेटाइटिस बी का टीका.

 

हेपेटाइटिस सी: नशीली दवाओं का इंजेक्शन लेने वालों को साफ सुइयों का उपयोग करना चाहिए।

 

हेपेटाइटिस डी : हेपेटाइटिस डी टीकाकरण.

 

हेपेटाइटिस ई : उन क्षेत्रों में जाने वाले यात्रियों को, जहां हेपेटाइटिस ई आम है, इनसे बचने का प्रयास करना चाहिए :दूषित पानी पीना,कच्ची सब्जियाँ, फल या अधपका मांस खाना

 

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                          क्वालीफाईड डायटीशियन                                    डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद

By AMRITA

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