क्या आप या आपके परिवार का कोई सदस्य रात को सोते समय बार-बार पैरों को हिलाता है? या फिर ऐसा महसूस होता है कि पैरों में अजीब सी गुदगुदी, खिंचाव या बेचैनी हो रही है, जिससे बार-बार नींद टूटती है?
अगर ऐसा है, तो यह सिर्फ सामान्य थकान नहीं बल्कि रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless Leg Syndrome) यानी RLS हो सकता है.
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति को अपने पैरों को बार-बार हिलाने की इच्छा होती है, खासकर तब जब वह आराम कर रहा होता है या सोने की कोशिश करता है. इस स्थिति में पैरों में खुजली, जलन, चुभन या कंपकंपी जैसा अजीब अनुभव होता है, जिससे व्यक्ति को बार-बार पैर हिलाना पड़ता है. यह समस्या नींद की गुणवत्ता पर असर डालती है और दिनभर की थकान का कारण बन सकती है. आईए जानते हैं इसके लक्षण और इलाज.
रेस्टलेस लेग सिंड्रोमके लक्षण
– सोते समय या आराम करते समय पैरों में बेचैनी होना
-पैरों को लगातार हिलाने की जरूरत महसूस होना
– पैरों में झनझनाहट, गुदगुदी या जलन
– रात में बार-बार नींद खुलना
– नींद पूरी न होने के कारण दिन में थकावट और चिड़चिड़ापन
यह समस्या सिर्फ पैरों तक सीमित नहीं रहती, कई बार यह हाथों में भी महसूस हो सकती है. यह भी एक कारण है कि नींद में पैरों का हिलना एक आम लेकिन गंभीर संकेत हो सकता है.
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के कारण
1- आयरन की कमी – RLS का सबसे आम कारण शरीर में आयरन की कमी होता है. आयरन की कमी से दिमाग में डोपामिन लेवल प्रभावित होता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल एक्टिविटीज गड़बड़ा जाती हैं.
2- डायबिटीज या किडनी से जुड़ी समस्या – डायबिटीज या चोट के कारण नसों को नुकसान पहुंचने पर भी RLS हो सकता है. इसे peripheral neuropathy कहते हैं, जो पैरों में जलन, झनझनाहट और असहजता लाता है.
3 -पार्किंसन डिज़ीज- ये सेंट्रल नर्वस सिस्टम की बीमारी है, जो अक्सर मरीज़ physical activities पर असर करती है. इस बीमारी में अधिकतर शरीर में कंपन बनी रहती है.
4 -गर्भावस्था (विशेषकर अंतिम महीनों में)- इसका कारण हार्मोनल बदलाव और आयरन या फोलिक एसिड की कमी होता है.
5 -नींद की कमी या अनियमित दिनचर्या – नींद की कमी या नींद में बार-बार जागना RLS को ट्रिगर कर सकता है. नींद की बीमारी जैसे स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) के साथ RLS होना आम बात है.
6 – जेनेटिक कारण- (जिनके परिवार में यह समस्या रही हो) के साथ साथ कुछ दवाइयों का साइड इफेक्ट जैसे एंटीडिप्रेसेंट्स, एंटी-नॉजिया मेडिसिन्स के कारण भी RLS ट्रिगर होता है.
ज़रूरी है समय पर ध्यान देना
अगर RLS की समस्या को नजरअंदाज किया जाए तो यह क्रॉनिक इंसोम्निया यानी लंबे समय तक नींद न आने का कारण बन सकता है. लगातार नींद पूरी न होने से शरीर और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है. इससे थकावट, ध्यान की कमी, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती है.
इलाज और राहत के उपाय
– आयरन की कमी है तो डॉक्टर से जांच कराकर सप्लीमेंट्स लें
– कैफीन, शराब और धूम्रपान से दूरी बनाएं
– सोने से पहले हल्की स्ट्रेचिंग या पैरों की मसाज करें
– नींद का समय और पैटर्न नियमित रखें
समय पर सही इलाज
अगर आपको या किसी अपने को नींद के दौरान पैरों को बार-बार हिलाने की आदत है, तो इसे हल्के में न लें. यह restless leg syndrome के लक्षण हो सकते हैं, जो आपकी नींद और सेहत दोनों को प्रभावित कर सकते हैं. सही समय पर इलाज और दिनचर्या में बदलाव से इस समस्या से राहत पाई जा सकती है.
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन क्वालीफाईड डायटीशियन डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद