आज के समय में बाहर का खाना न जाने कितनी ही तरह की बीमारियों को जन्म दे रहा है. खासकर महिलाओं में बढ़ते यौन एवं हार्मोन संबंधी रोग का मुख्य कारण फास्ट फूड और स्ट्रीट फूड ही है.

ऐसे में हार्मोनल बैलेंस को सही रखना एक बड़ी समस्या बन जाती है. लेकिन यदि कुछ सीड्स को अपनी डेली रुटीन में शामिल किया जाए तो काफी हद तक हार्मोनल बैलेंस की समस्या से निजात पा सकते हैं। इसके लिए सीड्स साइकिलिंग बेहद कारगर साबित हो सकती है। आइए जानते हैं कि सीड साइकिलिंग क्या है और इसे अपनी रोज़ाना की डाइट में कैसे शामिल किया जा सकता है.

 

क्या है सीड साइकिलिंग?

 

सीड साइकिलिंग महिला हॉरमोन को संतुलित करने का एक प्राकृतिक तरीका है. यह महिलाओं की कई समस्याओं में ख़ास तौर पर मददगार माना जाता है. जैसे…

 

पीरियड्स की अनियमितता

पीरियड्स के दौरान दर्द और ऐंठन

पीसीओएस

मेनोपॉज़

इसमें मासिक धर्म चक्र के दो चरणों के हिसाब से अलग-अलग बीजों का सेवन किया जाता है. ये बीज हॉरमोन को संतुलित करने और शरीर को अंदर से मज़बूत बनाने में मदद करते हैं.

 

सीड साइकिलिंग का सही तरीका

 

** पहला चरण (दिन 1 से दिन 13) – यह चरण उस दिन से शुरू होता है जिस दिन आपका पीरियड शुरू होता है. 1 चम्मच अलसी के बीज 1 चम्मच कद्दू के बीज आप इनका पाउडर बनाकर रोज़ाना खा सकती हैं. आप चाहें तो इन्हें हल्का भूनकर स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं या फिर लड्डू बनाकर खा सकते हैं।

 

** दूसरा चरण (दिन 14 से दिन 30) – यह चरण ओव्यूलेशन के बाद शुरू होता है। 1 चम्मच तिल और 1 चम्मच सूरजमुखी के बीजों का पाउडर बनाकर गुनगुने पानी के साथ लें। आप इन्हें भूनकर स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं या फिर लड्डू बनाकर खा सकते हैं।

 

सीड साइकिलिंग के फायदे

अगर आप रोजाना सीड साइकिलिंग का पालन करते हैं, तो यह हार्मोनल संतुलन, नियमित पीरियड्स, ऐंठन और दर्द से राहत, पीसीओएस/पीसीओडी को मैनेज करने में मदद करता है और मेनोपॉज के लक्षणों को भी कम करता है।

 

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                          क्वालीफाईड डायटीशियन                                    डायबिटीज एजुकेटर,अहमदाबाद

By AMRITA

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