कम उम्र में ही एजिंग की प्रॉब्लम, त्वचा पर झुर्रियां आना, ब्लैक स्पॉट्स होना और कई तरह की दिक्कतें आज की आम बात हो गई है. हमारे जीवन में हर एक न्यूट्रिएंट का एक अपना महत्वपूर्ण स्थान है कुछ न्यूट्रिएंट हमें ज्यादा मात्रा में चाहिए तो कुछ काम खुराक में, लेकिन हर किसी की एक नियमित मात्रा हमारे जीवन में आवश्यक है और इसकी पूर्ति के लिए प्रकृति ने हमें कई ऐसे पदार्थ दिए हैं जिसके सेवन से हमें विभिन्न स्वास्थ्य लाभ मिलता है. त्वचा की समुचित देखभाल और उसकी ताजगी भरी चमक के लिए विटामिन ई का खास महत्व है.

विटामिन ई एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर के सेल्स को रिपेयर करता है. यह त्वचा, आंखों और इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद होता है. साथ ही, यह शरीर की मांसपेशियों और नर्वस सिस्टम के कामकाज में भी मदद करता है.

विटामिन ई प्राकृतिक रूप से कई खाने की चीजों में होता है. इसमें सूरजमुखी के बीज, बादाम, पालक और वनस्पति तेल शामिल हैं. इसकी संतुलित मात्रा शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है, लेकिन जब शरीर को इसकी पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती, तो इसकी कमी हो जाती है. आइए जानें, इसकी कमी के क्या कारण हैं.

विटामिन ई की कमी के कई कारण हो सकते हैं. सबसे सामान्य कारण है गलत खानपान, जिसमें विटामिन ई युक्त फूड्स शामिल नहीं होते हैं. इसके अलावा कुछ बीमारियां जैसे क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस, सिस्टिक फाइब्रोसिस और सेलिएक डिजीज शरीर की विटामिन ई एबजॉर्ब करने की क्षमता को प्रभावित करता है. शिशुओं में यह कमी प्रीमैच्योर बर्थ के कारण हो सकती है. कुछ मामलों में, लंबे समय तक बहुत कम फैट डाइट लेना भी इसकी कमी का कारण बनता है, क्योंकि विटामिन ई फैट में घुलता है और शरीर में तभी ठीक से काम करता है जब पर्याप्त फैट हो.

क्या हैं विटामिन ई की कमी के लक्षण?

विटामिन ई की कमी के लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और शरीर के सामान्य कामकाज कोगंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं. यह कमी खासतौर पर मांसपेशियों और नर्वस सिस्टम पर असर डालती है. इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

 

मांसपेशियों की कमजोरी : शरीर की मांसपेशियों में ताकत की कमी महसूस हो सकती है.

थकान और सुस्ती : हर समय थका हुआ महसूस करना या एनर्जी का कम हो जाना.

संतुलन की समस्या : चलने या खड़े होने में अस्थिरता महसूस होना.

आंखों की समस्याएं : धुंधला दिखना या नजर कमजोर होना.

त्वचा पर असर : त्वचा रूखी, बेजान और जल्दी बूढ़ी दिखने लगती है.

इम्यूनिटी में कमी : शरीर जल्दी संक्रमण की चपेट में आ सकता है.

बच्चों के विकास में रुकावट :  बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है.

सुझाव : 

* हेल्दी डाइट लें, जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे, बीज और वनस्पति तेल शामिल हों.

* कम फैट वाली डाइट से बचें.

* समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराएं, खासकर अगर कोई पाचन संबंधी बीमारी है.

* डॉक्टर की सलाह से समय समय पर सप्लिमेंट लेते रहें

* बच्चों और बुज़ुर्गों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इनमें कमी की संभावना अधिक होती है.

 

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                          क्वालीफाईड डायटीशियन                                    डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद

By AMRITA

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