अक्सर हम एक नाम साथ – साथ सुनते हैं, “दवा – दारू”, लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि यह शब्द आखिर आया कहां से? जी हां ये ‘दवा दारू’ एक पेड़ से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो समय के हिसाब से अपनी प्रकृति बदलता है। सुबह में अगर इस पेड़ से निकले रस को पीया जाए तो वह दवा का काम करता है और अगर दोपहर या उसके बाद शाम और रात को पिया जाए तो यह दारू जैसा नशीला हो जाता है। जी हां आपने देखा होगा बिहार झारखंड के कई राज्यों में लोग ताड़ के पेड़ पर मटका लटका कर रखते हैं। और मटके में उस पेड़ से निकलने वाले रस जिसे ताड़ी बोला जाता है भरकर घर ले जाते हैं। आइए जानते हैं किस वक्त की ताड़ी औषधि होती है और किस वक्त की नशीली दारू।
कैसे अलग अलग असर करता है ताड़ी
* ‘ताड़ी’ एक ऐसा पेय पदार्थ है, जो दवा और दारू दोनों के रूप में काम करता है. सूर्योदय के पहले वाली ताड़ी बेहद ही लाभदायक होती है, जो कई बिमारियों का रामबाण इलाज है.
* इसके विपरीत दोपहर वाली ताड़ी दारू का काम करती है. दोपहर के बाद इसके सेवन से दारू की तरह नशा होता है. यह अनोखा पेय पदार्थ हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में काफी लोकप्रिय है.
महिलाएं, बच्चे और बूढ़े सभी करते हैं ताड़ी का सेवन
औषधीय गुणों के कारण पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं, बच्चे और बूढ़े भी ताड़ी का सेवन करते हैं. कई तरह की छोटी और बड़ी बीमारियों से मुक्ति दिलाने के लिए यह प्राकृतिक पेय पदार्थ रामबाण साबित होता है. इसके स्वाद की बात करें, तो सुबह ताड़ी का स्वाद मीठा होता है. जबकि दोपहर में ताड़ी का स्वाद खट्टा होता है.
गांवों में ताड़ी का प्रचलन अधिक
बिहार – झारखंड के कुछ प्रखंडों के विभिन्न इलाकों में ताड़ी की बिक्री सामान्य है . ताड़ी के दुकानों और अड्डों में सुबह-शाम लोगों की भीड़ जुटी रहती है. 20-40 रुपये प्रति कुल्हड़ के भाव से यह काफी सस्ती होने की वजह से आसानी से मिलता है. वैद्य का काम करने वाले लोग भी रोगियों के उपचार में इसका प्रयोग करते हैं . पुराने जमाने में भी वैद्य इसका उपयोग करते थे. घरेलू इलाज के लिए भी इसका इस्तेमाल काफी आसानी से किया जाता था.
कैसे बनता है ताड़ी?
ताड़ी खजूर के पेड़ों के रस से बनाया जाता है. खजूर के पेड़ो पर चढ़कर टहनियों के शाखा के पास तेज चाकू से पेड़ की छाल को छिला जाता है और उस जगह पर एक मिट्टी का या कोई अन्य बर्तन टांग दिया जाता है. जिस जगह पर पेड़ की छाल को छिला जाता है, वहां से लगातार रस निकलता है और बर्त्तन में जमा होता जाता है. इसी रस को ताड़ी कहा जाता है.
ताड़ी के अनोखे फायदे
वैद्य और आयुर्वेद गुरुओं की माने तो सुबह की ताड़ी में विटामिन-ए, बी और सी पाया जाता है. यह आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसके निरंतर सेवन से हड्डियां मजबूत होती है. इसके अलावा इम्युनिटी क्षमता बढ़ना, जौंडिस, पेट दर्द कम होना, कब्ज से राहत, और वजन बढ़ाने में भी यह लाभदायक होता है.
अमृता कुमारी – ‘नेशन्स न्यूट्रिशन’ क्वालीफाईड डायटीशियन डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद