दिव्या सिंह, (वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर, पटना) 

नमक थेरेपी को ”हैलो थेरेपी” भी कहा जाता है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसमें मरीज को कोई भी दवाई लेने की जरूरत नहीं होती। सांस फूलना, नाक और गले में जलन, एलर्जी, शरीर पर एलर्जी के लक्षणों से आराम दिलाने में यह नमक थेरेपी (salt therapy ) लाभकारी होती है। सॉल्ट या हैली थेरेपी में एक कमरे में नमक की गुफा की तरह वातावरण बनाकर, उसमें मरीज को बिठाकर सूखे नमक के बहुत ही छोटे-छोटे कणों को सुंघाया जाता है। रिसर्च में पता चला है कि हैलो थेरेपी से सांस की नालियों की सूजन कम होती है, ब्रोन्कायल अस्थमा, ब्रोन्काइटिस और सीपीओडी के लक्षणों को कम करने में यह लाभकारी साबित हुआ है।

किस तरह काम करती है salt therapy 

ड्राय सॉल्ट में अब्जॉर्ब करने के गुण होते हैं। इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। नमक को सूंघने से म्यूकस पतला होता है। इससे अंदर जम गए पैथोजन और पॉलिटेंट्स बाहर आते हैं।

नमक थेरेपी के फायदे
1.शरीर की प्राकृतिक मूवमेंट जैसे सिलिया मूवमेंट को स्टिमुलेट करने में भी नमक मदद करता है। सिलिया हमारे सांस के मार्ग को गंदगी और म्यूकस से साफ रखता है। इससे सांस लेने में आसानी होती है।

2.स्किन के लिए भी ड्राय साल्ट pH लेवल बनाए रखने में मदद करता है। जिसके कारण स्किन की सारी इंप्यूरिटी अब्जॉर्ब हो जाती हैं और त्वचा चमकदार बनती है।
3.गर्भवती महिलाएं भी इस थेरेपी को आसानी से ले सकती हैं।
थेरेपी लेने के बाद मरीज को शरीर में एक्सट्रा एनर्जी महसूस होती है।

किन किन बीमारियो में नमक थेरेपी ले सकते है 
1.कोल्ड और फ्लू
2.अस्थमा
3. हाई फीवर
4.नींद और खर्राटें आना
5.ब्रोंकाइटिस और साइनसाइटिस
6.टॉन्सिलाइटिस और फाइब्रॉइड्स
7.एंग्जायटी, स्ट्रेस

8.डी प्रेशन जैसी मानसिक स्थितियां

9.एक्क्जिमा 

10.सोरायसिस

नमक थेरेपी के प्रकार:

1.ड्राय सॉल्ट थेरेपी : ड्राई साल्ट थेरपी के दौरान मरीजों को तापमान नियंत्रण करने के लिए मानव निर्मित सॉल्ट केव में रखा जाता है। इसमें एक यंत्र द्वारा नमक को पीसा जाता है। इसके बाद हवा में माइक्रो पार्टिकल्स फैल जाते हैं, ताकि बैक्टीरिया नष्ट हो सके। इससे सभी प्रकार के इंफेक्शन से राहत मिलती है। इससे इंफ्लामेशन कम होती है और सांस लेने वाली पाइप भी साफ होती है।

2.वैट सॉल्ट थेरेपी : इसमें नमक और पानी का प्रयोग किया जाता है। दो तरीकों से यह थेरेपी ली जा सकती है। नमक और पानी के गरारे करने से और सॉल्ट वॉटर में नहाने से। इस प्रक्रिया के दौरान आरामदायक और हल्के कपड़े पहनने चाहिए। इसमें मरीज को 45 मिनट तक सॉल्ट केव में रखा जाता है। इसके बाद लाइट डिम कर दी जाती है। इस थेरेपी के एक घंटे के सेशन के दौरान मरीज को लगभग 15 mg नमक सूंघना पड़ता है। इस कमरे की ह्यूमिडिटी और तापमान एक समुद्री लोकेशन के जैसा ही होता

सॉल्ट थेरेपी के साइड इफेक्ट्स
अस्थमा के मरीजों को इस थेरेपी से एलर्जी हो सकती है।
यह मरीज की खांसी और सांस कम आने जैसी स्थिति को और खराब कर सकती है।
कुछ लोगों को इस थेरेपी के दौरान सिर में भी बहुत दर्द हो सकता है।

ये थी साल्ट थेरपी से जुड़ी कुछ जानकारियां यदि आप भी साल्ट थेरपी लेने की सोच रहे तो एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।

By AMRITA

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *