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आजकल बढ़ते दौर के साथ स्वास्थ्य समस्याएं भी काफी ज्यादा बढ़ती जा रही हैं, जिसके कारण लोगों में मेडिकेशन को लेकर अप्रोच बदलता जा रहा है. अब ऐसा देखा जा रहा है कि कई लोगों का रुझान एलोपैथिक दवाइयों की जगह होलिस्टिक मेडिसिन की तरफ बढ़ रहा है. कुछ मामलों में ये कारगर भी होता हुआ नजर आ रहा हैं.

क्या है होलिस्टिक मेडिसिन?

चूंकि होलिज्म एक काफी पॉपुलर कॉन्सेप्ट बनता जा रहा है, इसलिए होलिस्टिक मेडिसिन को सपोर्ट करने वाले और इसके आलोचक भी बढ़ते जा रहे हैं. ऐसी टेंडेंसी बन रही है कि विशेष चिकित्सीय पद्धतियों से इसकी बराबरी की बात हो रही है. ऐसे में पब्लिक हेल्थ को इग्नोर नहीं किया जा सकता. अगर कोई एकतरफा अप्रोच करता है तो ये उस इंसान की जिम्मेदारी होगी. हालांकि चीजों को पूरी तरह रिजेक्ट करने के बचाए उसके साइंटिफिक तरीकों पर बात करना जरूरी है.  भविष्य में रूढ़िवादी और वैकल्पिक नजरिए और तकनीकों को एक बड़े सिंथेसिस के पूरक भागों के रूप में देखा जाना चाहिए जो असल में होलिज्म के नाम के लायक होगा.

इन बातों का रखें ख्याल

होलिज्म बॉडी, माइंड, सोल और इमोशन को मिलाकर सेहत को बेहतर बनाने की बात करता है, जिससे मरीजों को फायदा भी होता नजर आया है, लेकिन हमें इस बात का ख्याल रखना होगा कि होलिस्टिक अप्रोच को आप किसी मेडिकल थेरेपी से कंपेयर न करें, बल्कि ये लाइफस्टाइल को बदलने का एक तरीका है, जो आपकी हेल्थ और वेलबीइंग में पॉजिटिव चेंजेज ला सकता है.

 (प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील) ‌‌                (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)

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