दिव्या सिंह, (वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर ,पटना)
प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) भारतीय एवं पश्चिमी दर्शन पर आधारित दवा रहित चिकित्सा प्रणाली है। नेचुरोपैथी शब्द 1895 में जॉन शील द्वारा दिया गया, और इसे अमेरिका में बेनेडिक्ट लस्ट ने लोकप्रिय बनाया।
नेचुरोपैथी में केवल लक्षणों का इलाज करने के बजाय, रोग के कारण का पता लगाने पर भी ध्यान दिया जाता है। इस प्रणाली के कुछ सिद्धांत, आयुर्वेद यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि रोग शरीर की जीवन शक्ति या प्राण के असंतुलन से उत्पन्न होते हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांत :
सिद्ध और आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों की तरह नेचुरोपैथी के भी अपने सिद्धांत व नियम हैं, जिनके अनुसार यह काम करती है। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली के अनुसार कुछ मुख्य सिद्धांत हैं, जो किसी भी रोग का इलाज करने या शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। नेचुरोपैथी के कुछ प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं –
1.कोई क्षति नहीं – अन्य सभी प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों की तरह नेचुरोपैथी में भी उन दवाओं व थेरेपियों की महत्व दिया जाता है, जो शरीर को नुकसान न दें। प्राकृतिक चिकित्सा में भी विशेष रूप से ऐसी औषधियां होती हैं, जो शरीर के लिए कम से कम विषाक्त हों और ऐसे व्यायाम शामिल हैं जिनमें शरीर पर कम प्रभाव पड़ता हो।
2.प्रकृति की उपचार शक्ति – नेचुरोपैथी के अनुसार किसी भी रोग या शारीरिक समस्या को ठीक करने के लिए प्रकृति की मदद जरूरी होती है। नेचुरोपैथी में न सिर्फ प्रकृति से प्राप्त पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, इसके साथ-साथ यह एक विशेष प्राकृतिक वातावरण बनाती है जो मानव स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद करता है। नेचुरोपैथिक डॉक्टर शरीर की अंदरुनी तासीर को पहचानते हैं, जिससे उन्हें समग्र स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लगाने में मार्गदर्शन मिलता है।
3.कारण की पहचान व उपचार – नेचुरोपैथिक मेडिसिन में किसी भी रोग व स्वास्थ्य समस्या का इलाज करने के लिए उसके कारण का पता लगाया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा में रोग का इलाज करने और उसके लक्षणों को दूर करने की प्रक्रियाएं अलग-अलग होती हैं। हालांकि, कई बार समस्याओं का इलाज करने के लिए लक्षणों और अंदरूनी कारणों को दूर करना जरूरी हो जाता है।
4.चिकित्सा व शिक्षा – एक नेचुरोपैथिक डॉक्टर न सिर्फ मरीज के रोगों का इलाज करता है, बल्कि उसे स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान प्रदान भी करता है। स्वास्थ्य से संबंधित ज्ञान प्राप्त होने पर व्यक्ति को स्वस्थ रहने के तरीकों को अच्छे से समझने में मदद मिलती है। प्राकृतिक चिकित्सा में दी गई शिक्षा मरीज व चिकित्सक के बीच विश्वास बढ़ता है और ताकि स्वस्थ रहने के नियमों का पालन करने में मदद मिलती है।
5.रोग नहीं रोगी का उपचार – जिस प्रकार एलोपैथिक चिकित्सा में रोग को दूर करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, जबकि नेचुरोपैथी में उपचार प्रक्रिया थोड़ी अलग है। नेचुरोपैथिक डॉक्टर मरीज के शरीर, वातावरण और उसकी जीवनशैली के परस्पर संबंध का पता लगाता है।
इस चिकित्सा प्रणाली में व्यक्ति के स्वास्थ्य व अन्य शारीरिक जरूरतों के अनुसार उपचार प्लान तैयार किया जाता है। जिसका मतलब यह है कि एक ही सिद्धांत पर काम करते हुए और एक ही रोग के लिए अलग-अलग व्यक्तियों में इलाज भी भिन्न हो सकते हैं। अधिकतर रोगों में नेचुरोपैथिक इलाज सिर्फ आहार व पोषक तत्वों पर ही आधारित होता है।
नेचुरोपैथिक चिकित्सा के कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भोजन को पकाने की बजाय कच्चा खाने से उससे अधिक मात्रा में पोषक तत्व मिल सकते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली के विशेषज्ञ आमतौर पर इलाज में निम्न को शामिल करते हैं।
आहार व पोषक संबंधी खाद्य पदार्थ
व्यायाम व जीवनशैली में सुधार
होम्योपैथी दवाएं
हाइड्रोपैथी दवाएं (पानी पर आधारित इलाज प्रक्रियाएं)
मैनिपुलेटिव थेरेपी (संतुलन बनाने के लिए शरीर के किसी अन्य हिस्से पर दबाव डालना)
हर्बल पर आधारित सप्लीमेंट्स देना
शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालना
साइकोथेरेपी
नेचुरोपैथी के फायदे
सकारात्मक भावनाएं तनाव, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों को कम करने में मदद करती है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करती है। व्यक्तिगत रूप से उपचार – नेचुरोपैथी व्यक्तिगत रूप से काम करता है, जिसे इस उपचार प्रणाली का एक प्रमुख फीचर माना जा सकता है।
नेचुरोपैथी के नुकसान
नेचुरोपैथी में कई बार अनावश्यक रूप से ग्लूटेन-फ्री आहार देना शुरू कर दिया जाता है, जिस कारण से कई बार शरीर को अन्य नुकसान होने लगते हैं। उदाहरण के रूप में यदि व्यक्ति सही ढंग से आहार परिवर्तन नहीं करता है, तो उसके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है और व्यक्ति बीमार पड़ सकता है।
लेकिन शरीर से संचित विजातीय द्रव्यों को प्राकृतिक साधनों द्वारा निकालना एवं जीवनी शक्ति को उन्नत करना तथा रोग ग्रस्त अंग को जीवनी शक्ति प्रदान करना ही प्राकृतिक चिकित्सा का उद्देष्य है अतः यह एक कारगर पद्धति है ।