मिठाइयां, कितने रंगों, आकारों, नामों की हों, वो किसी भी तरह की पैकिंग में आती हों- कैडबरी के चॉकलेट से लल्लू हलवाई की जलेबी तक- खाने के लिए मन ललचा ही जाता है.
शक्कर जीवन है
जब हम खाना खाते हैं तो सामान्य शक्कर, ग्लूकोज़, आंतों द्वारा सोख कर रक्त में पहुंचा दी जाती है जो समान रूप से शरीर की सारी कोशिकाओं में बांट दी जाती है.
दिमाग के लिए ग्लूकोज़ ख़ासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि सौ अरब स्नायु कोशिकाओं, जिन्हें न्यूरॉन्स कहा जाता है, के लिए यही एकमात्र ऊर्जा स्रोत है.
क्योंकि न्यूरॉन्स के पास ग्लूकोज़ के संग्रहण की क्षमता नहीं होती इसलिए इन्हें रक्त द्वारा लगातार इसकी आपूर्ति की ज़रूरत होती है. इसीलिए मधुमेह के रोगी, जिनका रक्त में शक्कर की मात्रा कम होती है, उनके कोमा में जाने की आशंका अधिक होती है.
ज़्यादा मीठा बन सकता है ज़हर
शक्कर दरअसल मिजाज़ को ख़ुशनुमा बना सकती है क्योंकि ये शरीर को ‘ख़ुशी का हार्मोन’ सेरोटोनिन जारी करने के लिए प्रेरित करती है. शक्कर से जो हमें जो त्वरित उछाल मिलता है, वो भी एक वजह है कि उत्सव या किसी उपलब्धि के अवसर पर हम मीठा खाने को तत्पर होते हैं. लेकिन ज़्यादा मात्रा में खाए गए मीठे को संतुलित करने के लिए शरीर को ज़्यादा इंसुलिन भी छोड़ना पड़ता है. ये प्रक्रिया ‘शुगर-क्रैश’, ज़्यादा मीठा खाने से होने वाली थकान, की ओर धकेलती है जिससे और ज़्यादा मीठा खाने का मन करता है. ये अत्यधिक भोजन का एक चक्र बना सकती है.
सिर्फ़ यही नहीं हमारे शरीर को ये भी पता नहीं चलता कि क्या हमने ख़ास किस्म की शक्कर काफ़ी मात्रा में ले ली है. सामान्य शक्कर फ्रूक्टोज़ से मीठे बनाए गए खाद्य और पेय पदार्थ उस तरह भर होने का भाव पैदा नहीं करते जैसे कि उतनी ही कैलोरी वाले अन्य खाद्य पदार्थ करते हैं.
छुपा हुआ है ख़तरा
ज़्यादातर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में मीठे के लिए सरकोज़ का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 50% फ्रूक्टोज़ होता है. शरीर प्राकृतिक रूप से फलों, शहद, दूध में पाए जाने वाली शक्कर और गन्ने या चुकंदर से निकाली गई प्रसंस्कृत शक्कर में फ़र्क नहीं कर पाता है.
सभी किस्म की शक्कर को शरीर ग्लूकोज़ और फ्रूक्टोज़ में बदल देता है और यकृत में इन्हें परिवर्तित कर दिया जाता है. शक्कर को चर्बी या ग्लाइकोजेन में बदल दिया जाता है या फिर ग्लूकोज़ में बदलकर कोशिकाओं के लिए रक्त में शामिल कर दिया जाता है.
आपके एक दिन में खाने-पीने से मिलने वाली ऊर्जा के बाद अतिरिक्त शक्कर 10% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. चाहे ये शहद से मिले, फलों से जूस या जैम से या फिर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ या टेबल शुगर से. इसका मतलब ये हुआ कि आदमी को 70 ग्राम और महिला को 50 ग्राम से शक्कर लेनी चाहिए, हालांकि ये आकार, उम्र और सक्रियता पर निर्भर करता है. 50 ग्राम शक्कर 13 चम्मच शक्कर या दो कैन कोल्ड ड्रिंक या आठ चॉकलेट बिस्किट के बराबर होती है.