काॅफी के प्रकार
एस्प्रेसो
एस्प्रेसो प्योर डार्क और स्ट्रांग कॉफी होती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता और न ही चीनी मिलाई जाती है। इसे ब्लैक काॅफी भी कह सकते हैं, जो काफी स्ट्रोंग होती है।
डौपियो
डौपियो डबल एसप्रेसो होती है। डोपियो में एसप्रेसो की मात्री दोगुनी हो जाती है। अधिक कॉफी पीने वाले डौपियो ऑर्डर करते हैं।
एमेरिकानो
एस्प्रेसो और गर्म पानी के मिश्रण से तैयार होने वाली कॉपी है। इसमें एस्प्रेसो कॉफी में गर्म पानी मिलाया जाता है, जिससे ये कम स्ट्रोंग लगती है। लेकिन इसकी गिनती भी ब्लैक कॉफी में होती है।
कैपेचीनो
इस तरह की कॉफी में एस्प्रेसो में दूध और मिल्क फाॅम का उपयोग होता है। काॅफी में स्टीम्ड दूध मिलाया जाता है और ऊपर से दूध का झाग बनाया जाता है। तीनों का मात्रा समान होती है।
लाटे
लाटे में भी एस्प्रेसो, स्किम्ड मिल्क और दूध का झाग तीनों ही शामिल किया जाता है। यह कैपेचीनो की तरह ही होती है लेकिन लाटे में दूध की मात्रा अधिक होती है।
मोका
एक प्रकार की कॉफी मोका होती है। लाटे की तरह ही मोका कॉफी मिल्क फाॅर्म, स्किम्ड मिल्क और एस्प्रेसो से बनती है, हालांकि मोका में हॉट चॉकलेट भी शामिल होती है। जिससे इसका स्वाद अधिक मजेदार बन जाता है।
कोरटाडो
कोरटाडो कॉफी स्किम्ड मिल्क और एस्प्रेसो से बनती है। इसमें दूध का झाग नहीं बनाया जाता, बस गर्म दूध में एस्प्रेसो मिलाया जाता है।
माकियाटो
इस तरह की कॉफी में एस्प्रेसो के साथ दूध के झाग को मिलाया जाता है। कोरटाडो की तरह इसमें गर्म दूध सामिल नहीं करते, बल्कि दूध का झाग इस्तेमाल करते हैं।
कॉफी पीने से होते हैं ये हेल्थ बेनिफिट्स।
एनर्जी लेवल को बढ़ाती है कॉफी
कॉफी में कैफीन होता है, यह शरीर में थकान से लड़ने और एनर्जी के लेवल को बढ़ाने की पॉवर के लिए जाना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कैफीन एडेनोसिन नाम के न्यूरोट्रांसमीटर के रिसेप्टर्स को रेगुलेट करता है, और यह आपके ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर के लेवल को बढ़ाता है जो डोपामाइन के साथ आपकी एनर्जी के लेवल को कंट्रोल करते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम हो सकता है कम
रेगुलरली कॉफी पीने से लंबे समय में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है। साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इंसुलिन सेंसिटिव, सूजन और डायजेशन को इंपैक्ट कर सकता है और हेल्थ के लिए अच्छा होता है।
मेंटल हेल्थ में करती है मदद
जो लोग नियमित रूप से कैफीन का सेवन करते हैं उनमें पार्किंसंस रोग होने का जोखिम काफी कम था। इसके अलावा, कैफीन लेने के कारण समय के साथ पार्किंसंस रोग होना कम हो जाता है। ‘जितनी ज्यादा आप कॉफी पीते हैं, उतना ही अल्जाइमर रोग का खतरा कम होने के चांसेस होते हैं।
वेट मैनेजमेंट में करता है मदद
कॉफी पीने से आपका वेट लॉस होने के चांसेस होते हैं। कॉफी आपके वेट मैनेजमेंट के लिए फायदेमंद मानी जाती है। ज्यादा कॉफी पीने से शरीर में फैट कम होने लगता है, क्योंकि कॉफी एक फैट कटर ड्रिंक होती है।
लीवर के लिए फायदेमंद होती है कॉफी
लोग जितनी ज्यादा कॉफ़ी पीते हैं, क्रोनिक लीवर रोग से उनकी मृत्यु का जोखिम उतना ही कम होता है। हद दिन एक कप कॉफी पीने से लिवर हेल्थ में सुधार होता है।
(प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील) (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)