
क्रैश डाइट और उसके साइड इफेक्ट्स : वजन बढ़ने से आपको कई तरह के रोग होने की संभावना अधिक होती है। दरअसल, माटापे के कारण कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। जिससे आपका ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो आगे चलकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर व हार्ट डिजीज होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए वजन को कंट्रोल रखना बेहद आवश्यक है। ऐसे में आज वजन को कंट्रोल करने के लिए लोग कई तरह के डाइट प्लान को फॉलो करने लगे हैं। क्रैश डाइट प्लान में कैलोरी और पोषण में कई तरह के बदलाव किए जाते हैं। जिससे वजन को कम करना आसान हो जाता है। इस डाइट को आज कई लोग पसंद कर रेह हैं। लेकिन यह आपकी कंप्लीट हेल्थ को प्रभावित करती है।
क्रैश डाइट से होने वाले नुकसान –
इम्यून सिस्टम को प्रभावित करना
क्रैश डाइट को फॉलो करने से आप शरीर के लिए आवश्यक विटामिन और मिनरल्स की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाते हैं। इसकी वजह से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने से आपको रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
मेटाबॉलिज्म स्लो हो सकता है
जब आप वजन कम करने के लिए क्रैश डाइट को फॉलो करते हैं, तो आपका वजन तेजी से कम होने लगता है। जब आप डाइटिंग करना शुरू करते हैं, तो आपके शरीर को कैलोरी की मात्रा को बैलेंस करने में थोड़ा समय लगता है। क्रैश डाइट से मेटाबॉलिज्म में कमी आताी है। इससे एनर्जी के वितरण में समस्या आती है और कई बार तेजी से कम होता वजन दोबारा से बढ़ना शुरू हो सकता है।
डिहाईड्रेशन की समस्या होना
क्रैश डाइट कुछ लोगों में डिहाईड्रेशन की समस्या को बढ़ा सकती है। शरीर में पानी की कमी होने से आपके शरीर का तापमान नियंत्रित नहीं रहता है। साथ ही, इसकी वजह से इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित हो सकते हैं। यह डाइट प्रोटीन और फैट पर फोकस करती है, जैस ही शरीर पर इस बदलाव का प्रभाव पड़ना शुरू होता है। वैसे-वैसे कुछ लोगों को डिहाईड्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
एनर्जी का लेवल लो होना
शरीर में कैलोरी का सेवन कम करने से व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है। शरीर को संचालन के लिए एनर्जी की आवश्यकता होती है। कैलोरी कम लेने से आपको हल्के काम करने से भी थकान महसूस होने लग सकती है।
पाचन संबंधी समस्याएं होना
क्रैश डाइट में जब आप लंबे समय तक कैलोरी कम लेते हैं तो इससे आपकी पाचन क्रिया प्रभावित होती है। साथ ही, फाइबर की कमी से आपको कब्ज और इर्रिेटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। ऐसे में आपको एसिडिटी, गैस और अपच की परेशानी हो सकती है।
वजन को कम करने के लिए आप लाइफस्टाइल में एक्सरसाइज को शामिल कर सकते हैं। नियमित एक्सरसाइज से वजन को कंट्रोल करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इसके साथ ही डाइट में बदलाव करते समय आपको शरीर की रोजाना की आवश्यकताओं को पूरा करना बेहद जरूरी होता है। इसलिए वेट लॉस करते समय डाइटिशियन की मदद से अपने लिए आप डाइट चार्ट बनवा सकते हैं।
(प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील) (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)