पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज फेज तक महिलाओं में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों का असर महिला के शरीर पर तो पड़ता ही है, साथ ही सबसे ज्यादा असर रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर देखने को मिलता है। अगर शरीर में हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं, तो इससे पीरियड्स इर्रेगुलर होना, पीसीओएस और पीसीओडी या फर्टिलिटी इशुज जैसी समस्याएं होने लगती हैं। महिलाओं की इन समस्याओं को कंट्रोल रखने के लिए सीड साइकिलिंग फायदेमंद होती है। इसमें अलग-अलग सीड्स का सेवन किया जाता है। ले
सीड साइकिलिंग क्या होती है?
सीड साइकिलिंग एक प्रकार की प्रक्रिया है, जिसमें अलग-अलग तरह के बीजों का सेवन करना होता है। जब किसी महिला को अनियमित मासिक धर्म और पीसीओडी या फर्टिलिटी इशुज जैसी हार्मोनल अंसुलन की परेशानी होती है, तो उसे सीड साइकिलिंग करने की सलाह दी जाती है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है जिसमें डाइट में अलग-अलग बीजों को शामिल करना होता है। हर फेज में अलग-अलग बीजों का सेवन करना होता है, जिससे हार्मोन्स संतुलित होने में मदद मिलती है।
सीड साइकिलिंग कैसे की जाती है?
सीड साइकिलिंग दो फेज में की जाती है। इसमें पहले फेज को फॉलिक्यूलर फेज और दूसरे फेज को ल्यूटस फेज कहा जाता है।
फॉलिक्यूलर फेज-
पहला फेज यानी फॉलिक्यूलर फेज पीरियड्स के पहले दिन से शुरू होकर 14 दिन तक चलता है। इस फेज के दौरान महिला को अलसी के बीज और कद्दु के बीजों का सेवन करना होता है। अगर आप भी सीड साइकिलिंग कर रहे हैं, तो इन दोनों बीजों को बराबर मात्रा में लेकर इनका पाउडर तैयार कर लें। इस मिक्स पाउडर से रोज एक चम्मच पाउडर ब्रेकफास्ट से पहले लेना होता है। ध्यान रखें कि इसके सेवन के आधे घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना होता है।
ल्यूटस फेज-
सीड साइकिलिंग के दूसरे फेज को ल्यूटस फेज कहा जाता है। इसमें 15 वें दिन से लेकर 28 वें दिन तक चलता है। इसमें आपको सफेद तिल के साथ सूरजमुखी के बीजों का सेवन करना होता है। सेवन करने के लिए इन दोनों तिल को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लेना है। इसे भी नाशते से पहले एक चम्मच खाना है। साथ ही इसके सेवन के 30 मिनट तक कुछ खाना-पीना नहीं है।
सीड साइकिलिंग कैसे काम करती है?
सीड साइकिलिंग यानी प्राकृतिक बीजों के सेवन से हार्मोन्स में संतुलन बनाना। फॉलिक्यूलर फेज में अलसी के बीज और कद्दु के बीज का सेवन करना होता है। इन दोनों बीजों में जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। ये शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के संतुलन में मदद करते हैं। वहीं दूसरे फेज में सफेद तिल के साथ सूरजमुखी के बीजों का सेवन करते हैं। इन दोनों के सेवन से भी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स को बैलेंस करने में मदद मिलती है। इससे रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी कई परेशानियों में मदद मिलती है।
सीड साइकलिंग के फायदे-
1. महिलाओं की सेहत के लिए फायदेमंद है सीड साइकलिंग
सीड साइकलिंग मेंस्ट्रुअल साइकिल को सही रखने में मदद करता है। ये एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को सिंक्रोनाइज़ करके हार्मोनल संतुलन बनाने में मदद करता है। इसमें कद्दू, चिया सीड्स और पंपकिन सीड्स का इस्तेमाल किया जाता है।
2. हार्मोनल असंतुलन और मूड स्विंग्स में मददगार
पुरुष हो या महिला हार्मोनल असंतुलन आज कल हर किसी को परेशान कर रहा है। ऐसे में सीड साइकिंग बहुत ही फायदेमंद है। दरअसल, सीड साइकिलिंग शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन को सिंक्रोनाइज करने में मदद करता है। इससे शरीर के अंदर मूड स्विंग्स कंट्रोल होते हैं और डिप्रेशन और अवसाद जैसी फिलिंग्स को भी कम करने में मदद मिलती है।
3. शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर करता है
बीजों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है और ये शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर कर सकते हैं। दरअसल, शाकाहारियों के लिए प्रोटीन से भरपूर फूड्स बहुत ही कम है ऐसे में बीज शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर करते हैं। साथ हड्डियों में मजबूती लाते हैं, एनर्जी देते हैं और प्रोटीन की कमी के कारण होने वाले नुकसान जैसे कि मांसपेशियों को कमजोर होने से बचाते हैं।
4. वेट लॉस में मददगार
वेट लॉस में सीड साइकलिंग आपकी मदद कर सकती है। दरअसल, सीड्स भूख कंट्रोल करने में मदद करते हैं और शरीर में फाइबर की कमी को दूर करते हैं। फाइबर मेटाबोलिक रेट को तेज करता है तो प्रोटीन भूख लगने की प्रक्रिया को सही करता है। इस तरह फाइबर और प्रोटीन दोनों ही मिल कर वजन घटाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
5. बालों को मजबूत बनाता है
हमारे बाल प्रोटीन की कमी से झड़ने लगते हैं और कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में सीड साइकलिंग बालों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। साथ ही ये बालों को अंदर से पोषण देते हैं और इन्हें कमजोर होकर दोमुंहे होने से बचाते हैं।
सीड साइकिलिंग कैसे करें-
सीड साइकिलिंग करने का तरीका बहुत ही आसान है। सबसे पहले एक सप्ताह के लिए कद्दू के बीज और अलसी का सेवन करें। आप इसे अंकुरित करके या फिर पाउडर बना कर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक सप्ताह के बाद तिल और सूरजमुखी के बीजों का सेवन करें। इस तरह इन बीजों का रोटेशन में सेवन करें। आप इससे दाल, स्मूदी और ड्रिंक्स में भी शामिल कर सकते हैं।
(प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील) (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)