
LDL, HDL Cholesterol Level: हमारे शरीर को स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है, लेकिन कोलेस्ट्रॉल का लेवल अगर बढ़ जाए तो हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर यह खून की धमनियों में जमा हो जाता है. यह जमाव बढ़ जाए, तो ब्लड फ्लो में बाधा पैदा कर सकता है. कई बार कोलेस्ट्रॉल धमनियों में एक थक्का बना देता है, जो दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बन सकता है. हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या कई बार जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है. अधिकतर लोगों में यह परेशानी अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से होती है. हेल्दी डाइट, प्रॉपर एक्सरसाइज और दवाओं के जरिए कोलेस्ट्रॉल को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है.
हमारे शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल होता है. पहला लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) होता है, जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. दूसरा हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) होता है, जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. जब शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है, तो उसे अच्छा संकेत माना जाता है. बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ना नुकसानदायक होता है. बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने पर गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है. इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ने लगता है. इन दोनों का बैलेंस होना सबसे बढ़िया माना जाता है.
कितना होता है कोलेस्ट्रॉल का नॉर्मल लेवल?
– शरीर में टोटल कोलेस्ट्रॉल 200 mg/dL से कम होना चाहिए. इसे नॉर्मल लेवल माना जाता है. 200 से 239 mg/dL को बॉर्डर लाइन माना जाता है. 240 mg/dL को हाई कोलेस्ट्रॉल माना जाता है. इससे ज्यादा लेवल बेहद खतरनाक माना जाता है.
– बैड कोलेस्ट्रॉल यानी LDL की मात्रा 100 mg/dL से कम होनी चाहिए. इसे नॉर्मल लेवल माना जाता है. 100 से 129 mg/dL तक एलडीएल को नॉर्मल के आसपास माना जाता है. 160 से 189 mg/dL को एलडीएल का हाई लेवल माना जाता है.
– गुड कोलेस्ट्रॉल यानी HDL की मात्रा 40 mg/dL से ज्यादा होनी चाहिए. 60 mg/dL से तक गुड कोलेस्ट्रॉल हो जाए, तो हार्ट डिजीज का खतरा कम हो जाता है. एचडीएल को हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है.
– शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा 150 mg/dL से कम होनी चाहिए. 150 से 199 mg/dL को बॉर्डर लाइन माना जाता है. 200 से 499 mg/dL को हाई लेवल माना जाता है. 500 mg/dL को बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है.