दिव्या सिंह (वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर, पटना) 

चुंबकीय चिकित्सा एक छद्म वैज्ञानिक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें शरीर पर रखे गए स्थायी चुंबक द्वारा उत्पन्न कमजोर स्थैतिक चुंबकीय क्षेत्र शामिल होता है। यह विद्युत चुम्बकीय चिकित्सा की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के समान है, जो विद्युत चालित उपकरण द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करती है।चुंबक चिकित्सा उत्पादों में रिस्टबैंड, आभूषण, कंबल और रैप शामिल हो सकते हैं जिनमें चुंबक शामिल होते हैं।

चिकित्सकों का दावा है कि शरीर के कुछ हिस्सों को कमजोर विद्युत या चुंबकीय क्षेत्र के अधीन रखने से स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। ये भौतिक और जैविक दावे अप्रमाणित हैं और स्वास्थ्य या उपचार पर कोई प्रभाव स्थापित नहीं किया गया है। यद्यपि हीमोग्लोबिन, रक्त प्रोटीन जो ऑक्सीजन ले जाता है, कमजोर प्रतिचुंबकीय (जब ऑक्सीजनयुक्त होता है) या अर्धचुंबकीय (जब ऑक्सीजन रहित होता है) होता है, चुंबकीय चिकित्सा में उपयोग किए जाने वाले चुंबक रक्त प्रवाह पर कोई भी औसत दर्जे का प्रभाव डालने के लिए बहुत कमजोर होते हैं। इसे ट्रांसक्रानियल चुंबकीय उत्तेजना, चिकित्सा का वैज्ञानिक रूप से मान्य रूप, या स्पंदित विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र चिकित्सा के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए।

कैसे काम करती है मैगनेटिक थैरेपी?
वैसे तो मैगनेटिक थैरेपी के ल‍िए बड़ी मशीन का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है पर घुटने या ज्‍वांइट्स के दर्द के ल‍िए छोटी मशीन का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है। जैसे अगर घुटने में दर्द है तो मैगनेट के नॉर्थ और साउथ पोल को 10 म‍िनट के ल‍िए प्रभाव‍ित ह‍िस्‍से पर रखा जाएगा। उसके बाद दूसरे पैर पर ये क्र‍िया दोहराई जाएगी। थैरेपी का क‍ितना असर होता है ये इस बात पर निर्भर करता है मरीज की बीमारी का स्‍तर और उसकी उम्र क्‍या है। जैसे अगर कोई व्‍यक्‍त‍ि 80 साल का है और उसे चलने में परेशानी है तो उस पर थैरेपी का असर कम हो जाता है।

इसका उपयोग किन किन समस्याओं के लिए किया जाता है ?

बच्‍चों से जुड़ी ऐसी कई समस्‍याएं हैं जो मैगनेट थैरेपी से दूर की जाती है। साइनस, टॉन्‍स‍िल, दांत या सिर में दर्द जैसी समस्‍याओं में मैगनेट थैरेपी यूज की जाती है। कई बच्‍चों को चश्‍मा जल्‍दी चढ़ जाता है उनके ल‍िए भी मैगनेट थैरेपी यूज की जाती है। पैरों में ऐंठन, दांत न‍िकलने में परेशानी, मान‍िसक रोग, पोल‍ियो, खांसी, पेट के कीड़े आद‍ि समस्‍याओं में इस थैरेपी का उपयोग क‍िया जाता है। बच्‍चों की उम्र, वजन और जरूरत के ह‍िसाब से ही डॉक्‍टर उन्‍हें ये थैरेपी लेने की सलाह देते है।
मह‍िलाओं से भी जुड़ी कई बीमार‍ियों में भी मैगनेटिक थैरेपी का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है जैसे पीर‍ियड्स का बंद होना, अन‍ियम‍ित होना, गर्भाशय का अपनी जगह से हटना, ब्रेस्‍ट में सूजन आद‍ि समस्‍याओं में ये थैरेपी इस्‍तेमाल की जाती है

मैग्नेटिक थेरेपी के फायदे 

मैगनेट से ब्‍लड फ्लो पर असर पड़ता है। इससे ब्‍लड में कैम‍िकल र‍िएक्‍शन होते हैं ज‍िससे पॉज‍िट‍िव असर होता है। ज‍िस जगह दर्द होता है वहां मैगनेट थैरेपी देने से मसल्‍स र‍िलैक्‍स होती हैं और दर्द कम हो जाता है। हमारे शरीर में भी कई मैगनेट एरि‍या होते हैं, इससे अगर मैगनेट मशीन का तालमेल बैठ जाए तो अच्‍छा असर शरीर पर पड़ता है। शरीर में एनर्जी का बैलेंस ब‍िगड़ने से ही रोग बनते हैं। मैगनेट थैरेपी से बॉडी के कई पॉर्ट्स में मौजूद एनर्जी ब‍िंदुओं पर फोकस क‍िया जाता है। इससे इम्‍यून‍िटी भी बढ़ती है।

मैग्नेटिक थेरेपी के नुकसान

कुछ रोगियों को चक्कर आना, कम ऊर्जा, घबराहट, मतली और उल्टी का अनुभव हो सकता है। दुष्प्रभावों में रक्तचाप में कमी शामिल हो सकती है, या स्थानीय त्वचा क्षेत्र में खुजली, जलन और दर्द हो सकता है; हालाँकि, दुष्प्रभाव बहुत कम प्रतिशत मामलों में ही होते हैं।

किसे नहीं लेनी चाहिए ये थेरेपी

1. मैगनेटिक थैरेपी हॉर्ट के मरीजों को या ज‍िनके पेसमेकर लगा है उन्‍हें नहीं दी जाती है।

2. प्रेग्नेंसी के समय भी मैगनेटिक थैरेपी नहीं दी जाती।

3.अगर पीर‍ियड्स में ब्‍लीड‍िंग ज्‍यादा है तो भी मैगनेटिक थैरेपी नहीं दी जाती है।

इस चिकित्सा पद्धति को लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य ले ले,ताकि आपको किसी भी तरह की तकलीफ न हो और आपका इलाज भी प्रभावशाली हो।

 

 

By AMRITA

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