दिव्या सिंह, वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर (पटना) 

एक्यूपंक्चर (acupuncture) दर्द से राहत दिलाने या चिकित्सा प्रयोजनों के लिए शरीर के विभिन्न बिंदुओं में सुई चुभाने और हस्तकौशल की प्रक्रिया है। यह दर्द से राहत दिलाने, शल्य-चिकित्सीय संज्ञाहरण प्रवृत्त करने और चिकित्सा प्रयोजनों के लिए शरीर के विशिष्ट क्षेत्रों की परिधीय नसों में सुई छेदने का चीनी अभ्यास है।

यह तकरीबन 2000 साल से चला आ रहा है। यह एक कामयाब उपचार है। बाद में वैज्ञानिकों ने इसके बारे में रिसर्च की और यह पाया कि इसके द्वारा किया जाने वाला इलाज सबसे फायदेमंद है। इसके बारे में यूरोप और अमेरिका को पता नहीं था परंतु जब उन्होंने इसके बारे में जाना तो खुद इसके  फायदों के बारे में लोगों को जागरूक किया। एक्यूपंचर सबसे पहले चाइना में इस्तेमाल किया गया। असल में यह उन्हीं के द्वारा ईजाद किया गया है। चाइना में इसके बहुत सारे अस्पताल है जहाँ इसका ट्रीटमेंट होता है।

एक्यूपंचर (Acupuncture) बहुत ही लाभदायक ट्रीटमेंट है। इसका कोई भी नुकसान नहीं होता। इसमें दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता। यह ड्रगविहीन अर्थात बिना दवाइयों का उपचार है। बड़ी से बड़ी परेशानियों का इलाज इससे हो जाता है। हमारा पूरा शरीर 5 तरह के तत्व से बना है; वायु, पानी, अग्नि, मिट्टी व शून्य।

इनमें से किसी की कमी की वजह से हमारा शरीर प्रभावित होता है। एक्यूपंचर इन्हीं को काबू करने की कोशिश करता है। यह एनर्जी को घटाने और बढ़ाने में मदद करता है। यह हमारे शरीर में बहुत जल्दी दौड़ जाता है और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

एक्यूपंक्चर से कैसे करते है बीमारियों का इलाज?

एक्यूपंचर तमाम बीमारियों के लिए सहायक होता है सिवाय उन बीमारियों के जिसमें आपको ऑपरेशन या सर्जरी की जरूरत होती है। इनके अलावा आप किसी भी बीमारी में एक्यूपंचर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बिना दवाओं से किए जाने वाला ट्रीटमेंट है। इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सूईया एक बार ही इस्तेमाल की जाती है। दूसरी बार ट्रीटमेंट के लिए दूसरी सुईया मतलब नई सुईयो का इस्तेमाल किया जाता है।
एक्यूपंचर में सूइयों से इलाज के बारे में सुनकर आप परेशान होगें लेकिन हम आपको यह बता दें कि यह सुईयां बाल से भी ज्यादा बारीक होती हैं। यह इंसान के शरीर में आधा सेंटीमीटर भी नहीं जाती। सूइयों के शरीर पर लगाने से मरीज को कुछ पता नहीं चलता। इसमें बिल्कुल दर्द नहीं होता। यह एक प्राकृतिक ट्रीटमेंट है जिसके जरिए हम अपने मरीजों का इलाज अच्छे से कर सकते हैं।

 कुछ आम बीमारियां जिन्हें एक्यूपंक्चर द्वारा ठीक किया जा सकता है : 

1.)सिर दर्द

2.) बदन दर्द

3.) रीढ़ की हड्डी का दर्द

4.) पीठ का दर्द

5.) उल्टी

6.) पेट दर्द

7.) बदहजमी

8.) पैरों का दर्द

9.) जोड़ों में दर्द

10.) साइटिका

11.) आर्थराइटिस

12.) दांत में दर्द

13.) गर्दन में दर्द

14.) माइग्रेन प्रॉब्लम

15.) कंधे में दर्द

16.) गठिया का दर्द

17.) सीने में दर्द

18.) शुगर

19.) ब्लड प्रेशर

20.) क़ब्ज़

एक्यूपंचर के ट्रीटमेंट में  ज्यादा से ज्यादा तीन या चार महीने लगते हैं। दरअसल यह ट्रीटमेंट उस व्यक्ति पर ज्यादा दिन लगाता है जो एलोपैथिक दवाइयां खाता चला आ रहा है क्योंकि एलोपैथिक दवाइयों के कारण इसका असर जल्दी नहीं होता। यह नॉर्मल व्यक्ति के मुकाबले में दवाइयां लेने वाले व्यक्ति को ज्यादा टाइम लगाता है।

एक्यूपंचर का उपयोग 6 महीने के बच्चे से लेकर के 90 या 100 साल के पुरुषों या महिलाओं पर किया जा सकता है।

एक्यूपंक्चर से होने वाले नुकसान : 

जहा एक तरफ ये बहुत प्रभावशाली है वही अगर सतर्कता न बरती जाए तो इससे होने वाले नुकसान का सामना  करना पड़  सकता है जैसे थेरेपी  के बाद सुइयों का एक साइड इफेक्ट शरीर में नील पड़ने के रूप में भी देखा जाता है। एक्यूपंक्चरर के बाद शरीर में हल्का नीला पड़ना बहुत आम है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि जब शरीर में नीडल्स लगाई जाती हैं तो रक्त इकट्टा हो जाता है। नील के दौरान शरीर में हल्का दर्द और सूजन भी हो सकती है। नीडल्स का साफ और स्टरलाइज होना जरूरी है ।

दुनिया में बहुत सारी बीमारियां हैं और इसके बहुत सारे इलाज भी होते हैं परंतु एक्यूपंचर और एक्यूप्रेशर जैसे इलाज के बारे में सुनकर हर व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाता है कि बिना दवाइयों और बिना किसी वैक्सीन के व्यक्ति कैसे सही हो सकता है। यह आश्चर्यजनक बात नहीं बल्कि हकीकत है। एक्यूपंचर और एक्यूप्रेशर जैसे ट्रीटमेंट बहुत लाभदायक है क्योंकि यह मरीजों का इलाज आसानी से कर देते हैं। इसका खर्चा भी ज्यादा नहीं आता और आपको लंबे समय तक आराम भी प्राप्त हो जाता है। इसके कोई बहुत बड़े साइड इफेक्ट्स भी नहीं हैं।हमें यह ध्यान रखना चाहिए की जहा से हम ये ट्रीटमेंट ले रहें है वहा पूरी सावधानी बरती जाए ,थेरेपिस्ट अच्छे से प्रशिक्षित हो और स्वच्छता पर पूरा ध्यान देते हो नही तो इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है। 

 

By AMRITA

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *