अमृता, नेशन्स न्यूट्रिशन      ‌‌‌                          (क्वालीफाईड डायटीशियन, अहमदाबाद) 

ज़्यादातर महिलाओं को अपने जीवन में पीरियड्स में कभी न कभी अलग-अलग तरह के दर्द या डिस्मेनोर्हिया (क्रैम्प) का अनुभव होता है। ज़्यादातर महिलाएँ मेन्सट्रुअल साइकिल में होने वाले दर्द से पीड़ित होती हैं, यानि बेचैनी और पेट में हल्का दर्द होना खासकर पीरियड शुरू होने वाले दिन। हालाँकि, सिर्फ कुछ प्रतिशत महिलाएँ ही मेंस्टुअल क्रैम्प से इतनी परेशान होती हैं कि वे अपने रोज़ाना के काम भी ठीक से न कर पाएँ।

पीरियड में दर्द की वजह 
पीरियड्स में दर्द कई कारणों से होता है जैसे कि-

प्राइमरी डिस्मेनोर्हिया:
प्राइमरी डिस्मेनोर्हिया आमतौर पर किशोर लड़कियों द्वारा अनुभव किया जाता है जिनका पीरियड हाल ही में आया है। पीरियड के दौरान, आपका शरीर हार्मोन का उत्पादन करता है जिससे गर्भाशय में संकुचन होता है जिससे गर्भाशय की परत को बाहर निकलने में मदद मिलती है। यही संकुचन आपको पीरियड्स क्रैंप के तौर पर महसूस होते हैं। सामान्य पेट दर्द के अलावा, इसमें कई बार पैर दर्द और पीठ दर्द भी हो सकता है। अच्छी खबर यह है कि यह उम्र के साथ कम हो जाता है और आमतौर पर पीरियड की शुरुआत के एक या दो दिन तक ही रहता है। पीरियड्स में गर्भाशय अपनी परत निकालने के लिए सिकुड़ता है, जिसके कारण दर्द होता है।

सेकेंडरी डिस्मेनोर्हिया:

सेकेंडरी डिस्मेनोर्हिया ज़्यादा आम नहीं है और आमतौर पर एक अंतर्निहित विकार या संक्रमण के कारण होता है। दर्द सिर्फ पीरियड की शुरुआत तक ही सीमित नहीं रहता है और पूरी साइकिल के दौरान रह सकता है। इसमें ज़्यादा ब्लीडिंग हो सकती है और पीरियड ज़्यादा दिनों तक चल सकता है। अगर आपके पीरियड्स आमतौर पर दर्द रहित या कम दर्दभरे होते हैं और आपको अचानक से पीरियड्स में दर्द होने लगता है, तो आपको अपने गाइनेकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) से सलाह लेनी चाहिए।

पीरियड्स में होने वाले दर्द के लिए कुछ असरदार घरेलू उपचार 

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे पीरियड्स में होने वाले दर्द से कुछ समय के लिए आराम मिल सकता है और इन्हें घर पर आसानी से किया जा सकता है जैसे:

आराम करें : आरामदायक स्थिति में एक झपकी लें या बाथटब में एसेंशियल ऑयल डालकर आराम से लेटने से दर्द में आराम मिल सकता है।
गर्मी सेंक : आप या तो एक गर्म पेन रिलीफ पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं या सही तापमान पर एक गर्म पानी के बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हल्की मालिश: अपने पेट और पीठ के निचले हिस्से की हल्की मालिश करने से भी दर्द कम हो सकता है।
हल्का- फुल्का व्यायाम:  कुछ हल्के व्यायाम जरूर करें इससे पेल्विक (श्रोणि) क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बेहतर करने में मदद मिलती है।
मेडिटेशन : पीरियड्स में मेडिटेशन करना और गहरी सांस लेने जैसी रिलैक्सेशन टेक्निक आज़मा कर देखें।
अंतिम उपाय दवाई : अगर आपको समय नहीं मिलता है और आप आराम नहीं कर सकते हैं, तो दर्द की दवा का इस्तेमाल करना चाहिए।

पीरियड्स के दर्द से बचाएगी संकल्पित जीवनशैली

कैफीन के सेवन को कम करना,धूम्रपान और शराब कम करना पीरियड्स के दर्द में राहत दिलाता है। हफ्ते में पाँच दिन हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने से कम दर्दभरे पीरियड सहित कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह आपको अपना वजन सही बनाए रखने में मदद करता है जिससे अनियमित पीरियड्स की संभावना कम होती है।
खाने में ऐसी चीज़ें शामिल करना जो फाइबर और प्रोटीन से भरपूर हों। अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मेवे, ढेर सारे फल और सलाद शामिल करें।
ऐसे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के सेवन से बचें जिनमें चीनी की मात्रा ज़्यादा हो। जितना हो सके डिब्बाबंद फलों के जूस और मीठे सोडा वाले ड्रिंक के बदले ताजे फलों का जूस लें।
खाने में नमक की मात्रा कम कर दें। ज़्यादा नमक से बहुत ज़्यादा वॉटर रिटेंशन हो सकता है जो PMS का एक सामान्य लक्षण है।अपने रूटीन में विटामिन सप्लिमेंट लेना शुरू करें।

मेडिकल हेल्प कब लेनी चाहिए?
जहाँ पीरियड में होने वाला दर्द आमतौर पर पेट में हल्के दर्द से लेकर दर्दभरे क्रैम्प तक होता है, आपकी दर्द को सहने की क्षमता से ही काफी हद तक यह तय किया जा सकता है कि आप पीरियड में होने वाला दर्द को कैसे अनुभव करते हैं। तो फिर, आप कैसे निर्धारित करते हैं कि आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए या नहीं? नीचे दिए गए संकेतों से सावधान रहें:

जब कोई घरेलू उपाय कारगर न हो।
दर्द की दवा से कोई आराम न मिले।
अगर दो से तीन महीनों तक लगातार आपको पीरियड के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग होती है और क्रैम्प भी बढ़ते हैं।
जब आप पीरियड्स में नहीं होते हैं तब भी आपको क्रैम्प का अनुभव होता है।
पीरियड्स में दर्द आपके शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे कमर, जांघों, घुटनों और पीठ के निचले हिस्से में होने लगता है।
आपको क्रैम्प के साथ बुखार भी रहता है।

ख़ास बातें:
पीरियड्स के दौरान हल्की बेचैनी पूरी तरह से सामान्य है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। हालाँकि, अगर स्थिति ऐसी हो जाए कि आपकी रोज़मर्रा के कामों में भी परेशानी होने लगे, तो इसके कारणों को समझने और उनका इलाज करने के लिए अपने गायनेकोलॉजिस्ट के पास अवश्य जाएँ।

By AMRITA

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