मॉनसून का मौसम गर्मी से राहत देता है, लेकिन कई प्रकार के संक्रमण को बढ़ावा देता है। खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए संक्रमण का खतरा और भी बढ़ा देता है। गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे संक्रमणों का जोखिम बढ़ जाता है।
जल जनित बीमारियाँ (Waterborne Diseases)
जल जनित बीमारियां जैसे टाइफाइड, पीलिया (हेपेटाइटिस ए), कोलेरा आदी का खतरा बढ़ जाता है।
बचाव:
उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पिएं। बाहर का खाना, विशेषकर खुला और कच्चा भोजन, खाने से बचें। सब्जियों और फलों को अच्छे से धोकर खाएं।
मच्छर जनित बीमारियाँ (Mosquito-borne Diseases)
बारिश के मौसम में नालों में, घर के ड्रेनेज के पास , कूलर के वाटर स्टोर की जगह पर एसी के विटर स्टोर की जगह पर मच्छरों का जमावड़ा हो जाता है जिसकी वजह से मच्छर जनित बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि का खतरा भी बढ़ जाता है।
बचाव:
मच्छरों से बचने के लिए मॉस्किटो रेपेलेंट का उपयोग करें, पूरी बाजू के कपड़े पहनें। घर के आसपास पानी जमा न होने दें। मच्छरदानी का प्रयोग करें।
फ्लू और श्वसन संक्रमण (Flu and Respiratory Infections)
मौसम में बदलाव के कारण कभी धूप कभी बारिश की वजह से ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है जो सामान्य सर्दी-जुकाम, इन्फ्लूएंजा, ब्रोंकाइटिस आदि के लिए संक्रमण का कारण बनता है।
बचाव:
भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें। नियमित रूप से हाथ धोएं। बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें। डॉक्टर की सलाह पर फ्लू का टीका लगवाएं।
त्वचा संक्रमण (Skin Infections)
बारिश की वजह से धूप कम निकलती है जिसकी वजह से घर की दीवारें, खिड़कियों के लोहे की ग्रिल, घर में रखीं पुस्तक अखबार इन सब पर अर्धता जम जाती है जो फंगस लगने का कारण बनती है फंगल संक्रमण (दाद), बैक्टीरियल संक्रमण (फोड़े-फुंसी)।
बचाव: त्वचा को सूखा और साफ रखें। ढीले-ढाले, सूती कपड़े पहनें। नमी वाली जगहों से बचें।
मूत्र मार्ग संक्रमण (Urinary Tract Infections – UTIs)
मॉनसून में नमी और स्वच्छता की कमी के कारण खतरा बढ़ सकता है।
बचाव:
पर्याप्त पानी पिएं। व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। ढीले-ढाले अंडरगारमेंट्स पहनें।
लंबे समय तक एक ही अंडरगारमेंट्स का उपयोग न करें दिन में दो बार जरूर बदले
गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Gastroenteritis)
बारिश के मौसम में पत्तेदार सब्जियां , मछली, मांस, दूध और अंडा सभी की गुणवत्ता खराब हो जाती है ऐसे में इसका सेवन करने से पेट का इन्फेक्शन, दस्त, उल्टी आदि की समस्या होने लगती है।
बचाव:
साफ-सफाई का ध्यान रखें। खाना पकाने से पहले और खाने से पहले हाथ धोएं। बाहर के दूषित भोजन से बचें।
लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis)
बारिश की वजह से जल प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है जिसकी वजह से बाढ़ या दूषित पानी के संपर्क में आने से त्वचा संबंधी कई संक्रामक रोग होने के संभावना बढ़ जाती।
बचाव: गंदे पानी, बाढ़ के पानी में न चलें। यदि आवश्यक हो, तो जलरोधक जूते पहनें।
गर्भावस्था के दौरान किसी भी संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर निदान और उपचार मां और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन क्वालीफाईड डायटीशियन डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद