आजकल की हाई फाई सोसाइटी भारत के पुरातन आयुर्वेदिक उपचार को कुछ खास अहमियत नहीं देती है। लेकिन उन्हें इतना तो समझ जरूर आता है कि नानी दादी के सुझाए घरेलू उपाय आज भी कारगर होते हैं। कुछ लोग आज भी अंग्रेजी दवाई लेना पसंद नहीं करते हैं। अक्सर आयुर्वेदिक उपचार करवाने के उपरांत रोगी को रोग ठीक होने का भान होता है। तब वह यह विचार करने लगता है, कि अच्छा होता यदि मैं आरंभ से ही आयुर्वेदिक उपचार करवाता।
इसलिए किसी भी बीमारी में उसके हानिकारक दुष्प्रभावों से बचने के लिए, रोग के आरंभ में ही आयुर्वेदिक उपचार करवाना आवश्यक है। इसीलिए हम आज आपको के कुछ ऐसी औषधियां बतायेंगे जिनके द्वारा आप कई बीमारियों का कारगर इलाज कर सके। इन 3 औषधियों के मिश्रण को सेवन करने का सबसे अच्छा समय सर्दियों में है। आइए जानते है इसके बारे मे…
इन 3 औषधियों की उपयोगी दवा बनाने की विधि
आवश्यक सामग्री :
250 ग्राम मैथीदाना
100 ग्राम अजवाईन
50 ग्राम काली जीरी
तैयार करने का तरीका :
उपरोक्त तीनो चीजों को साफ-सुथरा करके हल्का-हल्का सेंकना(ज्यादा सेंकना नहीं) तीनों को अच्छी तरह मिक्स करके मिक्सर में पावडर बनाकर कांच की शीशी या बरनी में भर लेवें।
औषधि को सेवन करने का तरीका :
रात्रि को सोते समय एक चम्मच पावडर एक गिलास पूरा कुन-कुना पानी (हल्का गर्म) के साथ लेना है। गरम पानी के साथ ही लेना अत्यंत आवश्यक है लेने के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है। यह चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकतें है।
चूर्ण रोज-रोज लेने से शरीर के कोने-कोने में जमा पडी गंदगी (कचरा) मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी । पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा। चमड़ी की झुर्रियाॅ अपने आप दूर हो जाएगी। शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा ।
इन 18 रोगों में फायदेमंद है :
गठिया दूर होगा और गठिया जैसा जिद्दी रोग दूर हो जायेगा।
हड्डियाँ मजबूत होगी।
आँखों की रौशनी बढ़ेगी।
बालों का विकास होगा।
पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति।
शरीर में खुन दौड़ने लगेगा।
कफ से मुक्ति।
हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी।
थकान नहीं रहेगी, एक अलग स्फूर्ति का अनुभव करेंगे।
स्मरण शक्ति बढ़ेगी।
स्त्री का शरीर शादी के बाद बेडोल की जगह सुंदर बनेगा।
कान का बहरापन दूर होगा।
भूतकाल में जो एलाॅपेथी दवा का साईड इफेक्ट रहा हो उससे मुक्त होगें।
खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी।
शरीर की सभी खून की नलिकाएं शुद्ध हो जाएगी।
दांत मजबूत बनेगा, इनेमल जींवत रहेगा।
शारीरिक कमजोरी दूर तो मर्दाना ताक़त बढ़ेगी।
डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है। इस चूर्ण का असर दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा।
जिंदगी निरोग,आनंददायक, चिंता रहित स्फूर्ति दायक और आयुष्यवर्धक बनेगी। जीवन जीने योग्य बनेगा।
कालीजीरी और कलौंजी में फर्क
कुछ लोग कलौंजी को काली जीरी समझ रहे है जो कि गलत है काली जीरी अलग होती है जो आपको पंसारी या आयुर्वेद की दुकान से मिल जाएगी, यह स्वाद में हल्की कड़वी होती है, जिसका नाम अलग-अलग भाषाओं में कुछ इस तरह से है।
हिन्दी -कालीजीरी, करजीरा।
संस्कृत -अरण्यजीरक, कटुजीरक, बृहस्पाती।
मराठी -कडूकारेलें, कडूजीरें।
गुजराती -कडबुंजीरू, कालीजीरी।
बंगाली -बनजीरा।
अंग्रेजी -पर्पल फ्लीबेन (Purple Fleabane)
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन (क्वालीफाईड डायटीशियन/ एडुकेटर, अहमदाबाद)