हमारे जीवन में पानी बेहद खास है, लेकिन यह जरूरी है कि हम सही तरीके से इसका सेवन करें. RO वाटर के TDS का लेवल क्या होना चाहिए ताकि यह न सिर्फ शुद्ध हो, बल्कि शरीर को जरूरी मिनरल्स भी मिल सके
What TDS Should RO Water Be Drunk : हम सभी के जीवन के लिए पानी बेहद जरूरी है और इसकी शुद्धता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं. चाहे गर्मी हो या सर्दी, हर मौसम में पानी की जरूरत बनी रहती है. शरीर को हेल्दी रखने के लिए न सिर्फ पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है, बल्कि पानी की शुद्धता का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है. हालांकि, पानी की शुद्धता पर बहुत से मिथक और भ्रांतियां फैली हुई हैं, यह जानना बेहद जरूरी है कि किस स्तर पर पानी को पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है और कितनी मात्रा में हमें पानी का सेवन करना चाहिए. इस आर्टिकल में हम पानी की शुद्धता, TDS के महत्व और शरीर के पानी की जरूरत के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.
RO वाटर और TDS का महत्व
आज के समय में हर घर में RO (Reverse Osmosis) पानी के फिल्टर लगाए जाते हैं. इस तकनीक से पानी को शुद्ध किया जाता है, लेकिन क्या यह शुद्ध पानी हमारे शरीर के लिए सही है? पानी की शुद्धता को TDS (Total Dissolved Solids) के रूप में मापते हैं, जो यह बताता है कि पानी में कितनी मात्रा में मिनरल्स और दूसरे तत्व घुले हुए हैं.
RO में पीने के पानी का टीडीएस कितना होना चाहिए? क्या कहती है गाइड लाइन |
विश्व हेल्थ संगठन (WHO) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने इस विषय पर कुछ गाइडलाइन्स तय की हैं. एक लीटर पानी में TDS की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम होने पर वह पानी पीने के लिए सुरक्षित माना जाता है. अगर TDS की मात्रा 250 मिलीग्राम से कम हो, तो पानी में खनिजों की कमी हो सकती है, जिससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते. अगर TDS 900 मिग्रा से ज्यादा होता है तो पानी पीने के लायक नहीं माना जाता.
आसान शब्दों में कहें तो पानी में TDS का स्तर 300 से 600 मिलीग्राम के बीच होना चाहिए ताकि वह पीने के लिए सेफ और हेल्दी हो. अगर पानी का TDS 100 से कम हो तो उसमें खनिज तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे पानी का स्वाद भी प्रभावित हो सकता है और हेल्थ पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
पानी की शुद्धता: 350 TDS आइडल है
शरीर के लिए आइडल प्योरिटी वह है, जिसमें पानी न तो बहुत ज्यादा प्योर हो और न ही उसमें मिनरल्स की कमी हो. विशेषज्ञों का कहना है कि RO पानी का TDS स्तर 350 के आसपास होना चाहिए. इससे पानी में जरूरी खनिज बने रहते हैं और पानी का टेस्ट भी अच्छा रहता है. बहुत ज्यादा शुद्ध पानी पीने से शरीर में जरूरी मिनरल्स की कमी हो सकती है, जो बाद में हेल्थ समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं.
शरीर को कितने पानी की जरूरत होती है?
अब सवाल उठता है कि शरीर को एक दिन में कितने पानी की जरूरत होती है. इस विषय पर दो प्रमुख रिसर्च होते रहे हैं. पहला रिसर्च 1945 में अमेरिकी फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड की तरफ से किया गया था, जिसमें यह कहा गया था कि हर कैलोरी के लिए शरीर को एक मिलीलीटर पानी चाहिए. यानी, अगर किसी व्यक्ति का आहार 2000 कैलोरी का है तो उसे करीब दो लीटर पानी पीना चाहिए.
दूसरा रिसर्च
दूसरा रिसर्च 1974 में पब्लिश हुआ था, जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि हर व्यक्ति को दिन में आठ गिलास पानी पीना चाहिए. हालांकि, यह संख्या हर किसी के शरीर के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और पानी की जरूरत भी व्यक्तिगत होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे सही तरीका यह है कि शरीर को सुनें और जब प्यास लगे तभी पानी पिएं. शरीर खुद बताता है कि उसे कितने पानी की जरूरत है, इसलिए जब प्यास महसूस हो, तो तुरंत पानी पिएं.
पानी पीने के दौरान सावधानियां
कुछ लोग पानी पीने में ओवर-इन्फ्लेटेड विचारों का पालन करते हैं, जैसे कि “बहुत पानी पीने से हेल्थ बेहतर रहेगा”, लेकिन यह विचार गलत हो सकते हैं. ज्यादा पानी का सेवन हानिकारक हो सकता है और इससे शरीर में सोडियम की कमी हो सकती है, जिससे हेल्थ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.इसके अलावा, पानी को मीठा करने के लिए बहुत ज्यादा RO तकनीक का इस्तेमाल करना भी सही नहीं है. बहुत ज्यादा शुद्ध पानी पीने से शरीर को जरूरी खनिजों की कमी हो सकती है, जो सामान्य रूप से नैचुरल वाटर में मौजूद होते हैं.