महिलाओं की जिंदगी में बहुत सी कठिनाइयां शामिल होती हैं, जिनमें पीरियड्स भी शामिल होते हैं। पीरियड्स में कुछ महिलाओं को अत्यधिक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है, जिससे कई बार वे एनीमिया जैसी बीमारियों का शिकार भी हो जाती हैं।
आजकल महिलाओं के बीच यूट्रेस रिमूवल जैसी सर्जरी काफी चर्चाओं में है। आखिर क्या है यूट्रेस रिमूवल और कब करवाना रहता है सुरक्षित?
यूट्रस की बनावट और कार्य
यूट्रस महिलाओं के शरीर का एक अंग है, जो प्रजनन शक्ति से संबंधित होता है। यूट्रस का गर्भधारण करने में एक अहम भूमिका रहती है। यह एक मांसपेशियों वाला अंग होता है, जिसका वजन 35 ग्राम होता है। इसे गर्भाशय कहते हैं, जिसकी लंबाई 7.5 सेंटीमीटर, चौड़ाई 5 सेंटीमीटर और मोटाई करीब 2.5 सेंटीमीटर होती है। गर्भावस्था में गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है।
क्यों जरूरी है यूट्रस रिमूवल?
यूट्रस निकलवाने के मामले इन दिनों बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। महिलाएं, इससे फायदेमंद समझकर इसकी सर्जरी बढ़-चढ़कर करवा रही हैं लेकिन इससे उनका शरीर कमजोर और बीमार हो रहा है, जिसका शायद उन्हें अंदाजा नहीं है। यूट्रस रिमूवल का मतलब है महिला के गर्भाशय पर एक चीरा लगाकर उस अंग को वहां से हटा देना, इसे आम बोल-चाल की भाषा में बच्चेदानी को बाहर निकाल देना कहते हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं मामले?
डॉक्टरों की माने तो एक समय था, जब महिलाएं 40 साल की उम्र के बाद या फिर डॉक्टरों की सलाह पर बच्चेदानी को हटवाती थी लेकिन अब इसके मामले बढ़ने लगे हैं, जिसका सबसे सामान्य कारण मोबाइल फोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया जो ऐसे गंभीर मामलों को लेकर तरह-तरह की बातें और फेक जानकारियां मौजूद कराते हैं, जो कि सही नहीं हैं। इंटरनेट पर हमें जो जानकारी मिल रही है कि अगर ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है, तो यूट्रस निकाल दो, तो यह सही नहीं है।कहीं न कहीं मेडिकल इंडस्ट्री भी इन गलतियों में शामिल हैं, जहां डॉक्टर्स भी महिलाओं को इसके फायदे और नुकसानों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं देते हैं।
कितना सेफ है यूट्रस रिमूवल?
कुछ महिलाओं को कैंसर होने के डर से यूट्रस निकालने की सलाह दी जाती है, लेकिन वह भी तब, जब कैंसर होने की संभावनाएं रहती हैं या इसकी पुष्टि हो जाती है। कभी भी हैवी ब्लीडिंग के चलते यूट्रस निकलवाने की गलती नहीं करनी चाहिए। इसके साइड इफेक्ट्स शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई महिलाओं में इस सर्जरी को करवाने के बाद मानसिक और भावनात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे कि अवसाद, चिंता और आत्म-सम्मान में कमी महसूस करना। हार्मोनल इम्बैलेंस की समस्या महिलाओं में यूट्रस रिमूवल के बाद तेजी से बढ़ जाती है। गर्भाशय हटाने से पेट की मांसपेशियां और आंतरिक अंगों पर प्रभाव पड़ता है। कुछ महिलाओं को यौन सुख में बदलाव महसूस हो सकता है।
कब करवानी चाहिए यह सर्जरी?
डॉक्टरों की राय है कि कुछ मामलों में जब पूरी तरह से मेडिकल जांच होने पर यूट्रस निकालने की जरूरत पड़ती है, तब ही यह सर्जरी करवानी चाहिए। इसे वेजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी कहा जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार, बच्चेदानी का आकार बढ़ने, उसमें गांठ होने पर, कैंसर की पुष्टि होने पर, झिल्ली के बढ़ने जैसे कारणों के चलते ही बच्चेदानी को निकलवाने की नौबत आती है। इस पर डॉक्टर बताती हैं कि अगर ऐसी समस्याएं किसी भी उम्र की महिला को हैं, तो उसे अपना यूट्रस निकलवाना ही पड़ता है। और ये उनके लिए जरूरी भी है।
बहरहाल बेवजह, बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के बच्चेदानी को निकालना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है।
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन (क्वालीफाईड डायटीशियन/ एडुकेटर, अहमदाबाद)