में पोर्टेबल इयरफोन से आने वाले लाउड म्यूजिक के कई इफेक्ट्स देखने को मिले हैं. एक बढ़ती हुई चिंता यह भी है लोग घंटों तक हेडफोन से चिपके रहते हैं.
आजकल ज्यादातर लोग शहरी शोरगुल से बचने के लिए या फैशनेबल दिखने के लिए हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं. ऑफिस जाना हो, कॉलेज जाना हो या किसी सफर पर निकलना हो, ऐसे समय पर हर किसी का साथी हेडफोन या ईयरफोन बन जाता है. यह तो सच है कि हेडफोन बाहरी शोरगुल से बचा लेता है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इसका ज्यादा इस्तेमाल आपके लिए कितना नुकसानदायक साबित हो सकता है?
ईयरफोन या हेडफोन शरीर को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ बुरी लत भी बन सकते हैं. ईयरफोन से आने वाला म्यूजिक आपके कान के परदे पर बड़ा प्रभाव डालता है, जिससे स्थायी क्षति हो सकती है. सालों में पोर्टेबल इयरफोन से आने वाले लाउड म्यूजिक के कई इफेक्ट्स देखने को मिले हैं. एक बढ़ती हुई चिंता यह भी है लोग घंटों तक हेडफोन से चिपके रहते हैं, जिसके कई बुरे प्रभाव शरीर में देखने को मिलते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) का अनुमान है कि हेडफोन या ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से दुनिया भर में लगभग 100 करोड़ युवाओं की सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.
हेडफोन या ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल के साइड इफेक्ट्स
1. बहरापन
ईयरफोन या हेडफोन से लाउड म्यूजिक सुनने से आपकी सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. कानों की सुनने की कैपिसिटी सिर्फ 90 डेसिबल होती है, जो लगातार सुनने से 40-50 डेसिबल तक कम हो सकती है.
2. दिल की बीमारी का खतरा
घंटों तक हेडफोन लगाए रखना और म्यूजिक सुनना कानों के साथ-साथ दिल के लिए भी बिल्कुल अच्छा नहीं है. इससे न केवल दिल की धड़कन तेज हो जाती है, बल्कि दिल को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है.
3. सिर दर्द
हेडफोन या ईयरफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव दिमाग पर बुरा प्रभाव डालती हैं. इसकी वजह से सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या पैदा हो जाती है. बहुत से लोग नींद में बाधा, नींद न आना, अनिद्रा या यहां तक कि स्लीप एपनिया से भी पीड़ित हो जाते हैं.
4. कान में इन्फेक्शन
इयरफोन सीधे कान में लगाया जाता है, जो एयर पैसेज में बाधा डालता है. ये बाधा बैक्टीरिया के विकास सहित अलग-अलग तरह के कानों के इन्फेक्शन का कारण बन सकती है.
5. स्ट्रैस और टेंशन में बढ़ोतरी
हेडफोन का लंबे समय तक इस्तेमाल किसी व्यक्ति की सोशल लाइफ और मेंटल हेल्थ की क्षमता को प्रभावित कर सकता है. कई बार ज्यादा चिंता और तनाव का भी कारण बन सकता है.
प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)