कुकिंग ऑयल का दोबारा इस्तेमाल करने के नुकसान
चाहे सब्जी बनानी हो या कोई डिश फ्राई करनी हो रसोई में तेल का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। कुकिंग ऑयल अगर अच्छा हो तो वह आपकी डिश को स्वाद बनाने के साथ साथ आपकी सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। बहुत से लोग एक बार तेल का प्रयोग करने के बाद उसे बार बार प्रयोग करते हैं ताकि वेस्टेज से बचा जा सके। अगर पूरी या पकोड़े तलने के बाद उसी तेल का दुबारा प्रयोग किया जाता है तो वह स्वास्थ्य के लिए कई तरह से खतरनाक हो सकता है।
दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ना
इंफ्लेमेशन और कैंसर का रिस्क बढ़ता है
कुकिंग ऑयल को बार बार गर्म करने से एलडेहायड और पॉलिसिलिक एरोमेटिक हाइड्रो कार्बन की मात्रा तेल में बढ़ जाती है जो कैंसर के साथ साथ शरीर में इंफ्लेमेशन का रिस्क भी काफी ज्यादा बढ़ा देते हैं। अगर इसका सेवन किया जाए तो शारीरिक स्थिति का इलाज शुरू ने करवाया जाए तो इसके कारण इम्यूनिटी भी काफी कमजोर हो सकती है। इससे बाकी बीमारियों और इंफेक्शन होने का भी खतरा काफी बढ़ जाता है। अगर लंबे समय से इंफ्लेमेशन का सामना कर रहे हैं तो बार बार प्रयोग हुए तेल में बनी चीजों का सेवन करना एक कारण हो सकता है जिसे अवॉइड करना काफी जरूरी है।
कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाता है
ज्यादा तापमान पर कुकिंग ऑयल को रखने पर उसमें मौजूद फैट ट्रांस फैट में बदल जाते हैं। जब उसे दुबारा गर्म किया जाता है तो ट्रांस फैट की मात्रा और भी ज्यादा बढ़ जाती है। अगर इसका सेवन काफी ज्यादा करते हैं तो कोलेस्ट्रॉल लेवल में बहुत उछाल देखने को मिल सकता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना दिल की बीमारियों का स्वागत करता है। इससे स्ट्रोक, मोटापा आदि का भी रिस्क बढ़ जाता है। सीने में दर्द, पेट दर्द और पाचन न हो पाना भी इसी के कारण होता है।
जलन और एसिडिटी होना
कुकिंग ऑयल को बार बार प्रयोग करने से उसमें रेंसिडिटी नाम की जहरीली प्रक्रिया उत्पन्न होने लगती है। इसका अर्थ है तेल का ऑक्सीडाइज होना। जब भी तेल को बार बार प्रयोग किया जाता है तो उसका स्वाद, स्मेल काफी बदल जाते हैं और पहले से ज्यादा बदतर हो जाते हैं। ऐसे तेल में तली चीजों को खाने से एसिडिटी हो सकती है और साथ ही पेट और सीने में जलन भी हो सकती है। इसके साथ ही गला खराब भी हो सकता है और उल्टियां आने को हो सकती हैं।
जहरीले पदार्थ छोड़ता है प्रयोग किया गया तेल
उच्च तापमान पर गर्म किया गया तेल जहरीले धुआं छोड़ता है। यूज किया गया तेल Smoke Point तक पहुंचने से पहले यानी ठीक से गर्म हुए बिना ही धुएं को छोड़ने लगता है, और तब तापमान स्मोक प्वाइंट से ऊपर चला जाता है तो अचानक ये तेज धुआं छोड़ने लगता है। प्रयोग किए तेल के दोबारा प्रयोग से वसा अणु थोड़ा टूट जाते हैं। जब ये तेल अपने स्मोक प्वाइंट तक पहुंचता तो हर बार प्रयोग करने पर अधिक तेजी से दुर्गंध छोड़ता है। जब ऐसा होता है, तो अनहेल्दी पदार्थ हवा में और पकाए जा रहे भोजन दोनों में आ जाते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर को बढाता है
इस्तेमाल किए गए फ्राइंग ऑइल की रासायनिक संरचना बदलती है और फ्री फैटी एसिड जारी करती है। तला हुआ तेल दोबारा बार-बार प्रयोग में लाने से यौगिकों की विषाक्तता लिपिड जमाव, ऑक्सीडेटिव तनाव उच्च रक्तचाप, एथेरोस्क्लेरोसिस आदि का कारण बन सकती है।
इन तेलों का दोबारा कर सकते हैं इस्तेमाल
सभी तेल अलग हैं। उनमें से कुछ में एक हाई स्मोक प्वाइंट होता है जो उन्हें डीप फ्राई करने के लिए उपयुक्त बनाता है। ये तेल उच्च तापमान पर नहीं टॉक्सिन्स पदार्थ नहीं छोड़ते। ऐसे तेलों के उदाहरण सूरजमुखी तेल, सोयाबीन तेल, चावल की भूसी, मूंगफली, तिल, सरसों और कैनोला तेल हैं। वहीं जिन तेलों का स्मोक प्वाइंट अधिक नहीं होता है जैसे जैतून का तेल तलने के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इन तेलों का उपयोग केवल तलने के लिए किया जा सकता है न कि खाना पकाने के लिए जिसमें उच्च तापमान शामिल हो।
प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)