दिव्या सिंह, वेलनेस कोच, रेकी हीलर (पटना)
हर्बलिज्म अर्थात जड़ी-बूटी संबंधी सिद्धांत, वनस्पतियों और वनस्पति सारों के उपयोग पर आधारित एक पारंपरिक औषधीय या लोक दवा का अभ्यास है। हर्बलिज्म को वनस्पतिक दवा, चिकित्सकीय वैद्यकी, जड़ी-बूटी औषध, वनस्पति शास्त्र और पादपोपचार के रूप में भी जाना जाता है।
अनेक वनस्पतियां ऐसे सार तत्वों का संश्लेषण करती हैं जो मनुष्य तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के रखरखाव के लिए उपयोगी होते हैं। इनमें सुरभित सार शामिल हैं, जिनके अधिकांश फिनोल (कार्बोनिक एसिड) या उनके ऑक्सीजन स्थानापन्न व्युत्पादित, जैसे कि टैनिन (वृक्ष की छाल का क्षार) होते हैं।
खाने में इस्तेमाल होने वाले हर्ब्स
जिन जड़ी बूटियों या हर्ब्स को हम खाने में इस्तेमाल करते हैं, अंग्रेजी भाषा में इन्हें कलनरी हर्ब (Culinary herbs) कहा जाता है। खाने में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटियां आमतौर पर सुगंधित होती हैं, जैसे किसी पौधे के फूल, पत्ते या शाखाएं आदि। इनको भोजन में डालकर उनके स्वाद को बढ़ाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार आप जिस प्रकार से चाहें पाक जड़ी बूटियों को इस्तेमाल कर सकते हैं। जड़ी बूटियों का इस्तेमाल चटनी, सॉस, सूप, सिरका, मक्खन, सुगंधित तेल, अचार और यहां तक कि मिठाई व पेय पदार्थ बनाने के लिए भी किया जा सकता है। पाक जड़ी बूटियों को ताजा और सुखाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
जड़ी-बूटियों का सेवन हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह को रोकने और प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। यह रक्त के थक्कों को कम करने और सूजन-रोधी और ट्यूमर-रोधी गुण प्रदान करने में भी मदद कर सकता है। अनुसंधान जारी है लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि: लहसुन, अलसी, मेथी और लेमनग्रास कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं।
आइए जानते है कुछ हर्ब्स और उनके औषधीय गुणों के बारे में
1. अजमोद (parsley) : अजमोद दिखने में काफी हद तक धनिया से मिलता-जुलता है लेकिन करीब से देखने पर यह काफी अलग होता है। अजमोद को सॉस बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है या सूप, सलाद और यहां तक कि पकी हुई सब्जियों में भी मिलाया जा सकता है। इसे आलू जैसे पके हुए खाद्य पदार्थों में भी जोड़ा जा सकता है। अजमोद नंबर एक जड़ी बूटी है जो गुर्दे की पथरी (kidney stones) को बनने से रोकती है। अजमोद में मौजूद विटामिन ए और सी आंखों की रोशनी और हड्डियों के स्वास्थ्य में भी सुधार करता
2. रोजमेरी : यह प्रतिरक्षा को बढ़ाती है, पाचन में सहायता करती है और यहां तक कि ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार करती है।
3. थाइम : थाइम का उपयोग खांसी, गले में खराश और पेट के संक्रमण के इलाज के लिए भी किया जाता है। यह जड़ी बूटी नींबू, मसालेदार लेकिन गर्म सुगंध का मिश्रण है, यही वजह है कि इसका उपयोग सुगंध और तेल बनाने के लिए किया जाता है।
4. पुदीना : पुदीना आपकी चिंता को शांत कर सकता है, अपच को ठीक कर सकता है और इम्यूनिटी को भी बढ़ा सकता है।
5. धनिया : धनिया पाचन से जुड़ी समस्याओं, पेट में दर्द, या भूख ना लगना आदि समस्याओं में मदद कर सकता है। धनिया के पत्तों को भूख बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और साथ ही यह पाचन से जुड़ी समस्याओं में भी मदद करता है और पेट और मांसपेशियों की ऐंठन से भी राहत दिला सकता है।
6. दालचीनी : दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं।
ये थी कुछ घरेलू जड़ी-बूटियों के प्रभाव और उनके औषधीय गुणों की जानकारी ।