दिव्या सिंह ( वेलनेस कोच, रेकी हीलर, पटना) 

अरोमाथेरेपी‘, जैसा कि इसके नाम से जाहिर होता है ‘अरोमा’ मतलब ‘खुशबू’ और ‘थेरेपी’ मतलब ‘चिकित्सा’। थकान से लड़ने, भावनात्मक और मानसिक तनाव को कम करने के लिए उपचार करने का यह एक बेहतरीन तरीका है। एसेंशियल ऑयल्स की मदद से व्यक्ति को रिफ्रेश करने और एनर्जेटिक एक्सपीरियंस देने का यह एक लोकप्रिय तरीका है।

प्राचीन समय से शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए पेड़-पौधों से मिलने वाले तेल का प्रयोग किया जा रहा है इसे ही अरोमाथेरेपी कहा जाता है। पौधों की जड़ों, पत्तियों और फूलों से निकाले हुए तेलों का स्नान करने में, भाप लेने में, फेशियल, कैंडल्स और मसाज में उपयोग करके अरोमाथेरेपिस्ट आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं।

कैसे होती है अरोमाथेरेपी:

अरोमाथेरेपी के अंतर्गत एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –

मसाज – यह अरोमाथेरेपी का सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला तरीका है। एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदे वाहक लोशन (बादाम, कोको बटर, शीया बटर) के साथ उपयोग शरीर को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से प्रभावित कर सकती है। मसाज का सही तरीका सीखने के बाद ही इसका उपयोग करें। यदि संभव हो तो किसी मसाज विशेषज्ञ से ही मसाज करवाएं।

स्नान – गर्म पानी में कुछ बूंदे मिलाए और उस पानी से स्नान करें। यह अरोमाथेरेपी का लाभ उठाने का सबसे अच्छा तरीका है।

इंहेलेशन अस्थमा के रोगी इसका उपयोग न करें। एसेंशियल ऑयल्स बहुत सारी सांस की परेशानियों को ठीक कर सकते हैं इसलिए गर्म पानी में किसी एसेंशियल ऑयल की पांच बूंदे डालें और एक टॉवल को सिर पर ओढ़ ले और बर्तन मुँह के सामने रखकर भाप को थोड़ी देर सांसों में जाने दे।

लोशन , क्रीम या लेप उपचार के लिए अपने पसंदीदा वाहक लोशन, मसाज ऑयल या क्रीम (कोका बटर, शीया बटर या अन्य कोई बिना सुगंध वाला लोशन) में एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदे मिला कर उपयोग करें।

सेक (कंप्रेस) – गर्म पानी की एक कटोरी में अपनी पंसद का कोई एसेंशियल ऑयल मिलाए और इसमें एक साफ कपड़ा गीला करके इसे दर्द वाली जगह पर सेक की तरह रखें। मासिक धर्म की ऐंठन के लिए भी गर्म सेक काफी अच्छा होता है।

अरोमाथेरेपी विशेष रूप से तनाव संबंधी परेशानियों और विभिन्न जीर्ण रोगों का एक प्रभावी इलाज है। इसका उपयोग किसी भी उम्र में किया जा सकता है लेकिन ऊपर लिखी किसी भी विधि का सुरक्षित उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण लिया जाना चाहिए।

लेकिन एक तरफ जहां इसके बहुत फायदे हैं वहीं कुछ नुकसान भी हो सकता है अगर सतर्कता ना बरती जाए तो , जैसे कि….

यदि किसी को खरोंच, ‎त्वचा पर रैश, सूजन या कमजोर त्वचा, ट्यूमर, पेट के हर्निया या फ्रैक्चर के साथ मालिश से ‎पहले अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए. इसके अलावा, जिन्हें संवेदनशील साँस लेने की समस्या है, उन्हें ‎सावधान रहना चाहिए।

यह थी इस वैकल्पिय चिकित्सा पद्धति से संबंधित कुछ जानकारियां ।

By AMRITA

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