जिन्कगो बिलोबा, या मैडेनहेयर, चीन का मूल निवासी पेड़ है जिसे विभिन्न उपयोगों के लिए हजारों वर्षों से उगाया जाता रहा है।चूँकि यह पौधों के प्राचीन क्रम का एकमात्र जीवित सदस्य है, इसलिए इसे कभी-कभी जीवित जीवाश्म भी कहा जाता है।
जबकि इसकी पत्तियों और बीजों का उपयोग अक्सर पारंपरिक चीनी चिकित्सा में किया जाता है, आधुनिक शोध मुख्य रूप से जिन्कगो अर्क पर केंद्रित है, जो पत्तियों से बनाया जाता है।
गिंग्को में उच्च स्तर के फ्लेवोनोइड्स और टेरपेनोइड्स, एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो हानिकारक मुक्त कणों से ऑक्सीडेटिव कोशिका क्षति से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
जिन्कगो बिलोबा से होने वाले स्वाथ्य लाभ
जिन्कगो बिलोबा संज्ञानात्मक कार्य में सुधार सहित कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। पारंपरिक उपयोग व्यापक हैं, लेकिन उनमें से सभी की अनुसंधान द्वारा पुष्टि नहीं की गई है,आइए जानते है इसके लाभ के बारे में
1.चेहरे की समस्याओं को करे दूर
जिंको बाइलोबा चेहरे की समस्याओं को भी दूर करता है। यदि आपको एक्ने, मुंहासे, खुजली, फुंसी, स्ट्रेच मार्क्स, त्वचा के दाग-धब्बों से छुटकारा पाना है, तो जिंको बिलोबा का इस्तेमाल करें। इसमें मौजूद एंटी-रिंकल गुण झुर्रियों से छुटकारा दिलाते हैं।
कई बार तनाव (Stress), चिंता और अवसाद (Depression) के कारण भी चेहरे पर मुंहासों, असमय झुर्रियों और बढ़ती उम्र के लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके लिए आप जिंको बिलोबा का फेस पैक चेहरे पर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें फ्लेवोनॉएड्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण, एंटीऑक्सीडेंट त्वचा की समस्याओं से छुटकारा दिलाकर इसे स्वस्थ और तरोताजा रखता है।
2.दिल को रखे स्वस्थ
जिंको बाइलोबा में एंटीहाइपरट्रॉफिक गुण होता है, जो दिल को स्वस्थ रखता है। हाइपरट्रॉफिक में दिल की मांसपेशियां मोटी होने लगती हैं। ये खून को पंप करने की क्षमता काफी हद तक प्रभावित करती है।
3.ग्लूकोमा से बचाए, आंखों को रखे स्वस्थ
आंखों को स्वस्थ रखना है या फिर ग्लूकोमा से बचना है, तो जिंको बाइबोला में मौजूद फ्लेवोनॉइड्स, विटामिन-ई, सी ग्लूकोमा जैसी समस्या को रोकते हैं।
4.तनाव और अवसाद के लिए रामबाण
स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्या से आज अधिकतर लोग परेशान रहते हैं। इस हर्ब से तैयार दवाओं का सेवन करने से तनाव और अवसाद की समस्या कम होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट मानसिक रोगों को कम करते हैं।
खुराक: कितने मात्रा में करना चाहिए इसका सेवन
प्रतिदिन 240 मिलीग्राम तक जिन्कगो बिलोबा की खुराक सुरक्षित मानी जाती है। अधिकांश अध्ययन दिन में तीन बार 40 मिलीग्राम या दिन में दो बार 80 मिलीग्राम का उपयोग करते हैं।
जिन्कगो बिलोबा से होने वाले नुकसान
इसके कुछ मामूली दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे पेट खराब होना, सिरदर्द, चक्कर आना और त्वचा पर एलर्जी की प्रतिक्रिया। कुछ चिंता यह भी है कि जिन्कगो पत्ती के अर्क से चोट और रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है या अतालता हो सकती है। भुना हुआ बीज या कच्चा जिन्कगो पौधा मुंह से लेने पर संभवतः असुरक्षित होता है।
ये लोग करे इसके सेवन से परहेज़
1.गर्भवती महिलाएं: गर्भाशय संकुचन का कारण बनता है इसलिए गर्भावस्था में गर्भपात या समय से पहले प्रसव हो सकता है। साथ ही, स्तनपान कराने वाली महिलाओं में इसकी सुरक्षा स्पष्ट नहीं है इसलिए इससे बचना ही बेहतर है।
2.एंटीकोआगुलंट्स और एंटी-प्लेटलेट दवाओं पर मरीज़:
इन रोगियों में, अंतर्राष्ट्रीय सामान्यीकृत अनुपात (आईएनआर) और रक्तस्राव के समय की निगरानी की जानी चाहिए क्योंकि इससे रक्तस्राव का खतरा हो सकता है।
3.उच्च रक्त शर्करा वाले रोगी:
रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें क्योंकि जिंकगो शर्करा के स्तर को बढ़ाता है जिससे मधुमेह की दवा अप्रभावी हो जाती है।
4.सर्जरी कराने वाले मरीज़:
रक्तस्राव के जोखिम के कारण, वैकल्पिक सर्जरी से 2-3 सप्ताह पहले इसे बंद कर देना चाहिए।
यदि कुछ सावधानियो का पालन किया जाए तो जिन्कगो बिलोबा बहुत सारे स्वाथ्य लाभ दे सकता है कई बार देखा गया है की डायबिटीज के रोगियों को भी इससे लाभ हुआ है ,यह इम्यूनिटी बूस्टर का भी काम करता है , जिंगो लिविंग फॉसिल है जो बहुत सादियो से धरती पर मौजूद एक अकेला फॉसिल प्लांट है ,अतः अत्यंत प्रभावशाली भी ,ये थी जिंगो से संबंधित कुछ रोचक जानकारियां।
दिव्या सिंह – (वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर – पटना)