अभी तो गर्मी ठीक से शुरू भी नहीं हुई है और मई के शुरुआत में ही पारा 40 डिग्री तक पहुंच रहा है। इस मौसम में गर्म हवाएं और लू के थपेड़े लोगों की सेहत को बिगाड़ रहे हैं। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है या फिर किसी बीमारी से पीड़ित हैं उनको गर्मी बेहद परेशान कर सकती है।
गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी लू से होती है। गर्म हवाएं बॉडी में डिहाइड्रेशन बढ़ा देती है जिसकी वजह से बॉडी में कमजोरी और बेचैनी महसूस होती है। ऐसी स्थिति में लोग कई बार बेहोश भी हो जाते हैं या फिर वो चक्कर खाकर गिर जाते हैं।
बेहोशी तब होती है जब मस्तिष्क को कुछ समय के लिए पर्याप्त ब्लड नहीं मिल पाता है जिसकी वजह से चेतना की कमी होती है। हालांकि मरीज जल्द ही कॉन्शियस हो जाता है। कई बार बेहोशी गर्मी के अलावा गंभीर चिकित्सा स्थिति की वजह से भी हो सकती है। अगर कोई शख्स एक से ज्यादा बार बेहोश हो जाता हैं तो उसे अपनी डॉक्टरी जांच कराना चाहिए।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने लू से बचने के लिए और बेहोशी की स्थिति में मरीज का कैसे ध्यान रखा जाए उसके लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। भारत सरकार ने हीटवेव से बचाव के लिए तैयार रहने की सलाह दी है। आइए जानते हैं कि बेहोशी की स्थिति में मरीज को खिलाने-पिलाने की सलाह क्यों नहीं दी जाती? अगर कोई गर्मी में बेहोश हो जाए तो उसका फस्ट एड कैसे करें।
बेहोशी में मरीज का रखें खास ध्यान
यदि आपको चक्कर आ रहा है या बेचैनी महसूस हो रही है तो आप खुद को हाइड्रेट करें। पानी की कमी को पूरा करने के लिए पानी का सेवन ज्यादा करें और पानी से भरपूर फल और सब्जियों का भी सेवन करें।
गर्मी से बचाव करने के लिए ढीले कपड़े पहनें, तुरंत ठंडे स्थान पर चले जाएं। पानी से स्पंज करें। अगर कोई शख्स गर्मी से बेहोश हो गया है तो इस शख्स को नॉर्मल करने के लिए उसके मुंह में पानी या खाना नहीं डालें। ये दोनों काम बेहोशी की स्थिति में मरीज के लिए घातक हो सकते हैं।
बेहोशी में जबरदस्ती खाना खिलाना घातक
एक बेहोश इंसान में खाने और पानी को निगलने की क्षमता कम हो जाती है, जिसकी वजह से तरल पदार्थ या भोजन पेट के बजाय फेफड़ों में दाखिल हो सकता है जिससे निमोनिया और सांस से जुड़ी बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है।
बेहोशी में अगर लिक्विड फूड गलत तरीके से दिए जाएं तो ब्लड स्ट्रीम में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन पैदा हो सकता है जिससे दिल के रोगों की समस्याएं हो सकती है और मरीज को दौरा भी पड़ सकता है। इस स्थिति में ओरल इनटेक पर ध्यान देने से बेहोशी का कारण पता करने में और उसका उपचार करने में देरी हो सकती है।
जब कोई बेहोश हो तो कैसे करें फस्ट एड?
- अगर कोई इंसान बेहोश हो जाए तो उसकी देखभाल करने के लिए सबसे पहले मरीज को होश में लाने की कोशिश करें। बेहोशी ज्यादा समय तक रहने से मरीज कोमा में पहुंच सकता है।
- बेहोश इंसान को पीठ के बल लिटाएं। ध्यान दें कि बेहोश इंसान सांस ले रहा है या उसे कोई चोट तो नहीं लगी है। बेहोश व्यक्ति के पैरों को लगभग 12 इंच ऊपर उठाएं। उसके बेल्ट,कॉलर या अन्य तंग कपड़ों को ढीला करें।
- बेहोश इंसान के सांस की जांच करें। नाड़ी की जांच करें और देखें कि व्यक्ति सांस ले रहा है या नहीं। यदि व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है तो सीपीआर शुरू करें। आपातकालीन नंबर पर कॉल करें। जब तक मदद न आ जाए या व्यक्ति सांस लेना शुरू न कर दे तब तक सीपीआर जारी रखें। अगर बेहोशी के कारण मरीज को गिरने से चोट लगी है तो उसका उपचार करें।
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन ( क्वालीफाईड डायटीशियन श एडुकेटर अहमदाबाद)