क्या आपने कभी सुना है कि जिसने कभी शराब न पी हो उसके खून में भी अल्कोहल यानी कि शराब मिली हो.यह तब संभव है जब वह एक खास दुर्लभ बीमारी ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम से पीड़ित हो. आमतौर पर हम जानते हैं कि शराब पीने से ही खून में अल्कोहल (शराब) का लेवल बढ़ता है. मगर ऑटो-ब्रूएरी सिंड्रोम एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें आंतों में मौजूद कुछ खमीर या बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट को फर्मेंटेड कर अल्कोहल का उत्पादन कर देते हैं. ये अल्कोहल ब्लड फ्लो में मिल जाता है और शराब पीने के समान लक्षण पैदा कर सकता है, जैसे कि चक्कर आना, थकान, धुंधला दिखना, उल्टी और कोऑर्डिनेशन का बिगड़ना.
कौन लोग हैं हाई रिस्क पर
यह बीमारी आमतौर पर उन लोगों में पाई जाती है जो अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और शुगर रिच डाइट लेते हैं. इसके अलावा, कुछ दवाएं भी इस सिंड्रोम को ट्रिगर कर सकती हैं.
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम के लक्षण
– सांसों में हल्की शराब की गंध
– चक्कर आना
– थकान
– धुंधला दिखना
– उल्टी
– कोऑर्डिनेशन का बिगड़ना
– बेहोशी
– मिजाज में बदलाव
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम का इलाज
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि:
– डाइट में बदलाव करके. मरीज को कार्बोहाइड्रेट और शुगर का सेवन कम करना.
– डाइट में प्रोबायोटिक्स को मिलाना. इससे आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है.
– कुछ दवाएं अल्कोहल के उत्पादन को रोकने में मदद कर सकती हैं. हालांकि, इसके लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना होगा.
अमृता कुमारी नेशन्स न्यूट्रिशन (क्वालीफाईड डायटीशियन/ एडुकेटर अहमदाबाद)