मानव स्वास्थ्य हमेशा से ही पोषण से जुड़ा रहा है। भावना भी स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। जब भी स्वास्थ्य की परिभाषा की बात आती है हम वही रटे रटाये दायरे में घिर जाते हैं । शारीरिक, मानसिक,सामाजिक स्वास्थ्य ही हमारे स्वास्थ्य की परिभाषा बन जाती है।शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य से भी जो ज्यादा महत्वपूर्ण चीज है जिसे लोग दरकिनार कर देते हैं वह है शारीरिक संबंध यानी सेक्स। जी हाँ जब कोई शादीशुदा युगल एक साथ परिवार की शुरुआत करते हैं तो उसमें सेक्स यानी कि शारीरिक संबंध (संभोग) एक बहुत ही विशेष मुद्दा होता है।कई बार आपने कई घर टूटते देखे होंगे जिसमें एक मुद्दा यह भी है की पत्नी प्रेम नहीं करती यानी की पत्नी पति से संबंध नहीं रखना चाहती या पति पत्नी से संबंध नहीं रखना चाहता या फिर पति जबरदस्ती बहुत ही ज्यादा संबंध बनाना चाह रहा है जो पत्नी के लिए पीड़ादायक है इसके लिए वह रिश्तो को तोड़ना चाहते हैं खत्म करना चाहते हैं। कई बार बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारियों की वजह से भी रिस्तों में उदासीनता आ जाती है जिसका सीधा प्रभाव स्वास्थ्य पर परता है। सर्वे रिपोर्ट की माने तो जो लोग सेक्सुअली एक्टिव हैं वह काम बीमार पड़ते हैं बनिस्पत उनके जो लोग सेक्सुअली इनएक्टिव या कम एक्टिव होते हैं।
लंबे समय तक सेक्स न करने के स्वास्थ्य नुकसान
शारीरिक स्वास्थ्य परिणाम
लंबे समय तक सेक्स न करने से शारीरिक परिणाम हो सकते हैं। नियमित यौन गतिविधि को विभिन्न स्वास्थ्य लाभों से जोड़ा गया है, जिसमें मजबूत इम्युनिटी, हृदय रोगों का कम खतरा और नींद की गुणवत्ता में सुधार शामिल है। नियमित यौन उत्तेजना के बिना, व्यक्ति इन लाभों से वंचित रह सकते हैं, जो उनके शारीरिक कल्याण से समझौता हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
कामुकता हमारी मनोवैज्ञानिक स्थिति से जुड़ी हुई है, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई लोगों के लिए, सेक्सुअल इंटिमेसी उनके पार्टनर के साथ निकटता, इंटिमेसी और भावनात्मक संबंध की भावनाओं को बढ़ावा देती है। इस तरह की बातचीत की अनुपस्थिति अकेलेपन, हताशा और यहां तक कि डिप्रेसन की भावनाओं में योगदान कर सकती है। इसके अलावा, व्यक्तियों को आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में गिरावट का अनुभव हो सकता है, खासकर अगर वे सेक्सुअल एक्टिविटी की कमी को अवांछनीय या असामान्य मानते हैं।
यौन रोग
यौन गतिविधि के बिना लंबे समय तक पीरियड्स रहने से यौन रोग का खतरा बढ़ सकता है, जैसे पुरुषों में स्तंभन दोष और महिलाओं में वैजाइनल लुब्रिकेंट में कमी। यौन उत्तेजना और कामोत्तेजना की कमी से शारीरिक परिवर्तन हो सकते हैं जो समय के साथ सेक्स करने में बाधा डाल सकते हैं। इसके अलावा जो व्यक्ति लंबे समय तक सेक्स से परहेज करते हैं, वे प्रदर्शन संबंधी चिंता या फिर से यौन गतिविधि में शामिल होने में कठिनाई का अनुभव कर सकते हैं, जब वे इसे फिर से शुरू करना चुनते हैं।
रिश्तों पर प्रभाव
सेक्सुअल इंटिमेसी अक्सर रोमांटिक रिश्तों के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में काम करती है, जो पार्टनर्स के बीच बंधन को सुविधाजनक बनाती है और भावनात्मक संबंधों को मजबूत करती है। लंबे समय तक यौन संयम रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है, जिससे पार्टनर्स के बीच असंतोष, नाराजगी और यहां तक कि कलह की भावनाएं पैदा हो सकती हैं। अधूरी सेक्स ज़रूरतों के परिणामस्वरूप बातचीत में रुकावट और ग़लतफ़हमियाँ पैदा हो सकती हैं, जो संभावित रूप से रिश्ते की स्थिरता और दीर्घायु को ख़तरे में डाल सकती हैं।
सामाजिक दबाव और दोष
ऐसे समाजों में जहां सेक्सुअल एक्टिविटी को एक मानक व्यवहार माना जाता है, जो व्यक्ति लंबे समय तक सेक्स से दूर रहते हैं उन्हें सामाजिक कलंक या न्याय का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें यौन व्यवहार के पारंपरिक मानकों के अनुरूप होने के लिए पार्टनर्स, परिवार के सदस्यों या सामाजिक अपेक्षाओं के दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे अलगाव की भावना पैदा हो सकती है।
आप सोच सकते हैं कि सिर्फ प्यार से किसी को किस करने यानि चुंबन लेने से ही डोपामिन निकलता है जो हमारे हार्मोनल चैलेंज को कंट्रोल करता है बैलेंस रखता है। यह डोपामिन हमें सेटिस्फाई करता है कि हम इमोशनली स्ट्रांग है और कोई है जो हमारा ध्यान रखता है जिसकी वजह से हमारा शरीर उस पॉजिटिव वाइब्स को फील करता है और रिएक्ट करता है । इससे हमें रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है और हम खुद को इमोशनली स्ट्रांग और सपोर्टिव पाते हैं और स्वस्थ रहते हैं। तो फिर आप सोच सकते हैं कि सेक्स की कितनी इंपॉर्टेंस हो सकती है हमारे जीवन में यह हमें जरूर जानना चाहिए।
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन (क्वालीफाईड डायटीशियन / एडुकेटर अहमदाबाद)