गिलोय का पौधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग भारतीय चिकित्सा में सदियों से की जाती रही है।संस्कृत में गिलोय को ‘अमृता‘ के नाम से जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है। ‘अमरता की जड़‘, क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण है। गिलोय का तना बहुत ज्याद उपयोगी है, लेकिन गिलोय के जड़ों का भी इस्तेमाल किया जाता है।कई लोग गिलोय को पारंपरिक काढ़े में भी शामिल करते हैं।
गिलोय शरीर से टॉक्सिन्स को निकालता है, खून को साफ करता है और बैक्टीरिया से लड़ता है। ये लीवर की बीमारी वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. ये प्रकृति में ज्वरनाशक भी है। आइए विस्तार से जानते है गिलोय के बारे में इस आलेख में
गिलोय के औषधीय गुण क्या हैं?
गिलोय के तने को इसकी उच्च पोषण सामग्री और इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड, ग्लाइकोसाइड, स्टेरॉयड और अन्य यौगिकों के कारण अत्यधिक प्रभावी माना जाता है, लेकिन जड़ और पत्तियों का भी उपयोग किया जा सकता है।
गिलोय का सेवन कैसे करें?
आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय का सेवन या तो पाउडर के रूप में किया जा सकता है या काढ़े (काढ़े) या जूस के रूप में भी किया जा सकता है। आजकल यह कैप्सूल और रेडीमेड पाउडर में भी उपलब्ध है। गिलोय को त्वचा की समस्याओं के लिए लेप के रूप में भी लगाया जाता है ।
गिलोय की नियमित खुराक एक बार में एक चम्मच है, जिसे दिन में दो बार लिया जाता है। स्वास्थ्य समस्या के प्रकार के आधार पर खुराक भिन्न हो सकती है।
गिलोय से होने वाले स्वाथ्य लाभ
1.गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं।
2.इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है।
3.महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है।
4.गिलोय में एंटी-आर्थराइटिक गुण होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण गिलोय गठिया से आराम दिलाने में कारगर होती है। खासतौर पर जो लोग जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं उनके लिए गिलोय का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है।
5.गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सांसो से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली है। गिलोय या गुडूची (Guduchi) कफ को नियंत्रित करती है साथ ही साथ इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती है जिससे अस्थमा और खांसी जैसे रोगों से बचाव होता है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।
6.गिलोय सत्व का सेवन लीवर के लिए टॉनिक की तरह काम करती है। यह खून को साफ़ करती है और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम का स्तर बढ़ाती है। इस तरह यह लीवर के कार्यभार को कम करती है और लीवर को स्वस्थ रखती है। गिलोय के नियमित सेवन से लीवर संबंधी गंभीर रोगों से बचाव होता है।
गिलोय से होने वाले नुकसान
गिलोय के ज्यादा सेवन से दस्त की दिक्कत भी हो सकती है, खासकर उन्हें जो गिलोय का काढ़ा बनाकर पीते हैं। गिलोय का काढ़ा बुखार कम करने के लिए भी पिया जाता है लेकिन इस गर्म काढ़े को दिन में एक से दो बार ही पिया जाना बेहतर है।इसका अत्यधिक सेवन दस्त (Loose Motions) और जी मिचलाने का कारण बन सकता है।
किन किन लोगों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए
गिलोय का इस्तेमाल लीवर और किडनी के संक्रमण से ग्रसित लोगों को इसका सेवन न के बराबर करना चाहिए. प्रतिदिन 10 ग्राम तक इसका सेवन लाभकारी होता है, जिसे लगातार तीन महीने तक लोग इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे ज्यादा सेवन से शरीर में नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता हैं। गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से बचना चाहिए।
ये थी गिलोय के बारे में कुछ जानकारियां , यू तो यह बहुत लाभकारी और औषधीय गुणों से लैस एक इम्यूनिटी बूस्टर है और इसका सेवन आपको बहुत सारे रोगों से बचा सकता हैं अतः इसकी खुराक को ध्यान में रखते हुए इसका सेवन ज़रूर करना चाहिए।
दिव्या सिंह,( वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर पटना)