किसी भी व्यक्ति को पीलिया तब होता है, जब उसके शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ की मात्रा काफी ज्यादा (Jaundice) हो जाती है। बिलीरुबीन पीले रंग का पदार्थ है, जो हमारी रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। नवजात शिशुओं में पीलिया होना बहुत ही आम है। शिशुओं के लिए यह बहुत ही हानिरहित होता है। जन्म के 1 से 2 सप्ताह के अंदर ठीत हो जाता है। घर पर कुछ आसान तरीकों से आप नवजात शिशुओं के पीलिया का इलाज कर सकते हैं।
पीलिया त्वचा के रंग और आँख के सफेद हिस्से का पीला पड़ना होता है, जो खून में बिलीरुबिन के बनने के कारण होता है। बिलीरुबिन एक पीला पदार्थ है जो आपके शरीर में तब बनता है जब यह लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है। खून में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने से त्वचा और आँख का सफेद हिस्सा पीला पड़ने लगता है।
- पीलिया तब होता है जब किसी नवजात शिशु के रक्त में बहुत अधिक बिलीरुबिन होता है
- आमतौर पर, जन्म के 2 या 3 दिन बाद हल्का पीलिया होता है और 2 सप्ताह के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है
- पीलिया नवजात शिशुओं में आम है क्योंकि उनके शरीर में वयस्कों की तुलना में अधिक बिलीरुबिन बनता है और इसे कम करने में मुश्किल होती है
- पीलिया कई कारणों से होता है, कुछ कारण गंभीर होते हैं और कुछ मामूली
- पीलिया होने का कारण जो भी हो, लेकिन बिलीरुबिन की बहुत अधिक मात्रा आपके बच्चे के दिमाग को नुकसान पहुँचा सकती है
सूरज की रौशनी
अगर आपके शिशु को पीलिया है, तो उसे रोजाना 1 से 2 घंटे धूप में रखें। लेकिन ध्यान रखें कि यह धूप सुबह के वक्त यानि 8 बजे के आसपास सूरज की तिरछी किरणें देती है। यह किरणों शिशुओं के शरीर में बिलीरुटीन अंश को कम करने का कार्य करती हैं, जिससे शिशु पीलिया की समस्या से निजात पा सकते हैं।
बेर का अर्क
शिशुओं को करीब 1 मि.ली. बेर का अर्क रोजाना तीन बार दें। ध्यान रखें कि बेर का अर्क देने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। शिशु जब पीलिया से पूरी तरह से ठीक हो जाए, तो बेर का अर्क देना बंद कर दें। बेर का अर्क देने से शरीर में मौजूद बिलीरुबिन का अंश पूरी तरह से बाहर निकल जाता है।
दें पूरक आहार
अगर मां को शिशु के लिए पर्याप्त दूध नहीं हो रहा है, तो उन्हें नवजात को अन्य सोर्स (डॉक्टर की सलाहनुसार) के जरिए दूध दें। ताकि उनके शरीर को भरपूर पोषक मिले। क्योंकि अधिकतर शिशुओं को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या तब होती है, जब उन्हें संपूर्ण आहार नहीं मिलता है। इसलिए डॉक्टर की सलाहनुसार अपने शिशुओं को पूर्ण आहार दने की कोशिश करें।
पालक और गाजर का जूस
पालक और गाजर के जूस से भी शिशुओं में होने वाली पीलिया की समस्या को ठीक किया जा सकता है। अगर आपके शिशु को पीलिया है, तो एक बार डॉक्टर से सलाह लें। गाजर और पालक का जूस देने के लिए सबसे पहले दोनों चीजों को अच्छी तरह बारीक काट लें और इसे अच्छी तरह पीसकर रस निकाल लें। अब इस जूस की कुछ बूंदें शिशु को पिलाएं। नियमित रूप से इस रस को देने से पीलिया ठीक हो सकता है।
गन्ने का रस
पीलिया रोगियों के लिए गन्ने का रस काफी फायदेमंद होता है। दरअसल, पीलिया में मौजूद शक्कर लिवर को पीलिया से लड़ने में मददगार होता है। अगर आप अपने शिशु को 4 से 5 दिनों तक गन्ने के रस की कुछ बूंदें, देते हैं तो पीलिया की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि बाहर के गन्ने का रस देने से अच्छा है आप अपने घर में इसका रस निकालकर शिशु को दें।
व्हीट ग्रास जूस
व्हीट ग्रास का जूस स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है। आप शिशुओं को भी इसके रस की कुछ बूंदें दे सकते हैं। शिशुओं को पीलिया होने पर गाय के दूध में व्हीट ग्रास की कुछ बूंदें मिलाकर दें। इससे रक्त में मौजूद अतिरिक्त बिलीरुबिन खत्म हो सकता है। इसके अलावा अगर आप स्तनपान कराती हैं, तो नियमित रूप से व्हीट ग्रास जूस पिएं। इससे आपके और आपके शिशु का स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
टमाटर का रस
टमाटर में लाइकोपीन नामक तत्व होता है। इस रस के सेवन से पीलिया की समस्या ठीक हो सकती है। लेकिन शिशुओं को टमाटर का जूस नहीं दिया जा सकता है। इस स्थिति में दूध पिलाने वाली मांओं को टमाटर का जूस पीने की सलाह दी जाती है। ताकि दूध के जरिए इसका कुछ अंश शिशु के शरीर में पहुंच सके। इससे पीलिया की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
ब्लैंकेट का करें इस्तेमाल
अगर आपके शिशुओं को पीलिया हो गया है, तो इस स्थिति में ब्लैंकेट का इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए आपको अपने शिशु को कंबल में लपेटकर रखना होता है। यह एक पोर्टेबल फोटोथेरेपी है, जो पीलिया की समस्या को कुछ हद तक ठीक कर सकता है।
प्रियंवदा दीक्षित, फूड फॉर हील (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)