जॉब और घर की जिम्मेदारियों के चलते महिलाओं को अपना खास तौर पर ध्यान रखने की आवश्यकता है। हम सभी जानते हैं कि महिलाओं के शरीर में हर महीने बदलाव आते हैं और साथ ही उन्हें गर्भावस्था से होकर भी गुजरना होता है जिसकी वजह से उन्हें कई शारीरिक बीमारियां जेसे गैस, एसिडिटी, हार्मोनल बदलाव, बालों का झड़ना, ब्रेस्ट कैंसर, अर्ली मेनोपॉज, एक्ने, बॉडी पेन आदि का सामना करना पड़ता है।

घर और ऑफिस के काम को संभालत चलते औरतों का स्ट्रेस लेवल इतना बढ़ जाता है कि वह डिप्रेशन का शिकार भी हो जाती हैं। इन्ही जिम्मेदारियों में वह अपना ख्याल रखना तो जैसे भूल ही जाती हैं।हम सभी जानते हैं कि महिलाओं के शरीर में हर महीने बदलाव आते हैं और णंसाथ ही उन्हें गर्भावस्था से होकर भी गुजरना होता है जिसकी वजह से उन्हें कई शारीरिक बीमारियां जेसे गैस, एसिडिटी, हार्मोनल बदलाव, बालों का झड़ना, ब्रेस्ट कैंसर, अर्ली मेनोपॉज, एक्ने, बॉडी पेन आदि का सामना करना पड़ता है।

फिट रहने के लिए महिलाएं ये तरीका अपना सकती है

1.सही खाना

खाना एक व्यक्ति के शरीर को सुधार या बिगाड़ सकता है। महिलाओं को अपने खाने का ठीक तरीके से ध्यान रखना चाहिए। उसमे उचित मात्रा में प्रोटीन, आयरन, विटामिन उपलब्ध हो उसका बहुत ध्यान रखना चाहिए।

2.  एक्सरसाइज

महिलाओं में पुरुषों के मुक़ाबले मोटापा बढ़ने के मामले   अधिक देखे जाते हैं। क्योंकि ज्यादातर महिलाएं घर में रहती हैं अपनी रोज की जिंदगी के काम के चलते वह एक्सरसाइज या योग जैसी चीजों पर ध्यान नही देती और वज़न बढ़ा लेती हैं जो अपने आप में बीमारियों का घर है।

3. रेगुलर हेल्थ चेकअप

वैसे तो हर किसी को साल में एक बार हेल्थ चेकअप कराना चाहिए लेकिन महिलाओं को उनकी बॉडी को ध्यान में रखते हुए यह चेकअप हर 6 महीने में करवाना चाहिए। इससे वह अपनी बॉडी को मॉनिटर कर पाएगी और समय पर सही कदम उठा पाएगी।

4. खुश रहना

घर में ग्रह कलेश हो या ऑफिस की पॉलिटिक्स दोनो ही बातें औरतों के दिमाग पर असर डालती हैं। बार बार उन्हीं बातों के बारे में सोचना और उन बातों को मन में बिठा लेना औरतों का स्वभाव होता है, जिसका सीधा असर उनके दिमाग और बॉडी पर पढ़ता है। महिलाओं को ऐसी बातों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जो आपको खुशी दे पाएं।

5. मेडिटेशन

मेडिटेशन औरतों के लिए मानसिक स्थिति, स्वास्थ्य और सामाजिक संबंधों में सुधार करने में मदद कर सकती है। यह तनाव को कम करने, मानसिक स्थिति को सुधारने और आत्म-संवाद के माध्यम से आत्म-परिचय में मदद कर सकती है। ध्यान और सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करना भी फायदेमंद हो सकता है।

अमृता नेशन्स न्यूट्रिशन                                          (क्वालीफाईडडायटीशियन एडुकेटर अहमदाबाद) 

By AMRITA

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