हाकिनी मुद्रा एक पवित्र हाथ का इशारा (हस्त मुद्रा) या मुहर है, जिसका उपयोग योग और ध्यान प्रथाओं के दौरान प्राण के रूप में ज्ञात महत्वपूर्ण जीवन शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को व्यवस्थित करने के साधन के रूप में किया जाता है। हकिनी मुद्रा का नाम तीसरी आंख की देवी हकिनी के नाम पर रखा गया है।
इसका अभ्यास किसी भी स्थिर आसन जैसे सुखासन (आसान मुद्रा) या पद्मासन (कमल मुद्रा) में किया जा सकता है, जिसमें रीढ़ सीधी रह सकती है।

हाकिनी मुद्रा का अभ्यास करना सरल है:

1.आरामदेह ध्यान या योग मुद्रा में आराम से बैठें।
2.अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वाभाविक रूप से सांस लें।
3.अपने हाथों को अपनी जाँघों या घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर हों।
4.धीरे-धीरे अपने हाथों को ऊपर उठाएं, उन्हें करीब लाएं और हथेलियां एक-दूसरे के सामने हों।
5.अपने दाहिने हाथ की उंगलियों को अपने बाएं हाथ की उंगलियों को छूने दें, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक उंगली विपरीत हाथ की उसके समकक्ष से मेल खाती है।
6.अपने जुड़े हुए हाथों को उठाएं और उन्हें अपने माथे के पास, आज्ञा या छठे चक्र के स्थान पर रखें।
7.चक्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए ऊपर की ओर देखें।
8.अपनी जीभ को अपने मुँह की छत पर रखते हुए धीरे से साँस लें।
साँस छोड़ते हुए अपनी जीभ को आराम दें।
9.दोनों हाथों की उंगलियों को एक साथ लाकर, आप एक संबंध स्थापित करते हैं जो आपके मस्तिष्क और शरीर के दोनों किनारों के बीच ऊर्जा के प्रवाह को सुविधाजनक बनाता है।

कितनी देर तक करें यह मुद्रा?
हकीनी मुद्रा का अभ्यास लगातार 30-35 मिनट तक या दिन में तीन बार 12 मिनट तक किया जा सकता है। इस मुद्रा को सूर्योदय के शुरुआती घंटों के दौरान करने से सर्वोत्तम लाभ मिलता है। कम से कम दो महीने तक लगातार अभ्यास से ध्यान देने योग्य परिणाम मिलेंगे।

हाकिनी मुद्रा के लाभ

1.यह मुद्रा आपकी स्मरण शक्ति, एकाग्रता और ध्यान बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।

2.इस मुद्रा में गहरी सांस लेने से मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। इसलिए, इससे हमारे कामकाज और ब्रेनपावर में सुधार होता है
3.हकीनी मुद्रा तार्किक शक्ति और रचनात्मक पहलुओं को समझने में मदद करती है

4.यह मुद्रा ध्यान, सतर्कता और जिज्ञासा के गुणों को सक्रिय करती है।

5.यह मुद्रा करने से आपको तनाव, चिंता, अवसाद आदि जैसे विभिन्न मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर काबू पाने में मदद मिलती है।

हाकिनि मुद्रा के आध्यात्मिक लाभ

यह मुद्रा अभ्यासकर्ता को अपने मन को नियंत्रित करने की शक्ति देती है। यह प्राण को संतुलित, सामंजस्यपूर्ण और व्यवस्थित करने में मदद करता है, जिससे दिमाग पर प्रभाव पड़ता है। हठ योग की उत्पत्ति के बावजूद, यह कुंडलिनी योग में एक आवश्यक भूमिका निभाता है, जिसका अभ्यास तीसरी आँख, अंतर्ज्ञान और मन के चक्र को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है।

सावधानियां:

हाकिनी मुद्रा के अभ्यास के दौरान ध्यान रखने योग्य सावधानियां निम्नलिखित हैं:

चोट और सर्जरी: जिन लोगों  की कलाई या उंगली पर हाल ही में ऑपरेशन हुआ है, उन्हें इस मुद्रा से बचने की जरूरत है।

हाथों में कोई भी दर्द मानसिक ध्यान भटका सकता है, इसलिए इससे बचना ही बेहतर है।

हाकिनी मुद्रा एक हाथ का इशारा है जो मस्तिष्क के बाएं और दाएं गोलार्धों को संतुलित करता है। हाकिनी मुद्रा के कई लाभ हैं, जिनमें तनाव कम करना, याददाश्त में सुधार और एकाग्रता बढ़ाना शामिल है। मुद्राओं का प्रयोग बहुत प्रभावशाली होता है तो यदि आप भी अपने तन,मन को तनावमुफ्त रखना चाहते है तो मुद्राओं का उपयोग जरूर करें ।

दिव्या सिंह -(वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर, पटना) 

By AMRITA

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