डायटीशियन अमृता

भोजन जीवित रहने का एक साधन मात्र नहीं, यह हमारे सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास और बीमारी, दोनों की जनक भी है।आहार ही असाध्य रोगों की औषधि भी है और यही असाध्य रोगों का कारक भी। सही मात्रा, समय, समूह और तापमान से बना भोजन ही स्वास्थ्यकर होता है, अन्यथा तनिक लापरवाही भी कष्टकारी हो जाती है।

भोजन से केवल भूख ही शांत नहीं होती बल्कि इसका प्रभाव तन, मन एवं मस्तिष्क पर भी पड़ता है (जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन)। वहीं तले हुए, मसालेदार, बासी, रूखे एवं गरिष्ठ भोजन से मस्तिष्क में काम, क्रोध, तनाव जैसी वृत्तियां जन्म लेती हैं। भूख से अधिक या कम मात्रा में भोजन करने से तन रोगग्रस्त बनता है और मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं।

भोजन से ऊर्जा के साथ-साथ सप्त धातुएं (रक्त, मांस, मज्जा, अस्थि आदि) पुष्ट होती हैं। केवल खाना खाने से ऊर्जा नहीं मिलती, खाना खाकर उसे पचाने से ऊर्जा प्राप्त होती है। परंतु, भागदौड़ एवं व्यस्तता के कारण मनुष्य शरीर की मुख्य आवश्यकता- भोजन पर ध्यान नहीं देता। जल्दबाजी में जो मिला, सो खा लिया या चाय-नाश्ता से काम चला लिया। इससे पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और भोजन का सही पाचन नहीं हो पाता।

भोजन का सही उपापचय कैसे हो

# वास्तव में हमें सुबह 10 से 11 बजे के बीच भोजन कर लेना चाहिए, ताकि दिनभर कार्य करने के लिए ऊर्जा मिल सके।

# एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है- सुबह का खाना स्वयं खाओ, दोपहर का खाना दूसरों को दो और रात का भोजन दुश्मन को दो।

# कुछ लोग सुबह चाय-नाश्ता कर रात्रि में भोजन करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता। दिन भर खाली पेट रहने से वायु विकार और अपच की शिकायत होती है।

# दिन का भोजन शारीरिक श्रम के अनुसार एवं रात का भोजन हल्का व सुपाच्य होना चाहिए। रात्रि का भोजन सोने से कम-से-कम एक घंटे पूर्व करना चाहिए। तीव्र भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए। नियत समय पर भोजन करने से पाचन अच्छा होता है।

कैसे करें भोजन

# भोजन को अच्छी तरह चबाकर करना चाहिए। वरना दांतों का काम (पीसने का) आंतों को करना पड़ेगा, जिससे भोजन का पाचन सही नहीं हो पाएगा।

# हाथ-पैर, मुंह धोकर आसन पर पूर्व या दक्षिण की ओर मुंह कर भोजन करने से यश एवं आयु बढ़ती है। खड़े-खड़े, जूते पहनकर सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए।

# भोजन करते समय मौन रहना चाहिए। इससे भोजन में लार मिलने से भोजन का पाचन अच्छा होता है।

# टीवी देखते या अखबार पढ़ते हुए खाना नहीं खाना चाहिए। स्वाद के लिए नहीं, स्वास्थ्य के लिए भोजन करना चाहिए।

# स्वादलोलुपता में भूख से अधिक खाना बीमारियों को आमंत्रण देना है। भोजन हमेशा शांत एवं प्रसन्नचित्त होकर करना चाहिए।

भोजन के पश्चात क्या करें

भोजन के पश्चात दिन में टहलना एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने अथवा वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। भोजन के एक घंटे पश्चात मीठा दूध एवं फल खाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है।

भोजन के पश्चात क्या न करें

भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के पश्चात घुड़सवारी, दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए।

क्या-क्या न खाएं

रात्रि को दही, सत्तू, तिल एवं गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। दूध के साथ नमक, दही, खट्टे पदार्थ, मछली, कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए। शहद व घी का समान मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। दूध-खीर के साथ खिचड़ी नहीं खाना चाहिए।

By AMRITA

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