प्रियंवदा दीक्षित, फूड फॉर हील (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)
मां बनना हर महिला की ज़िंदगी का एक बहुत खास पड़ाव होता है। ये वो बदलाव होता है जो किसी भी महिला की ज़िंदगी को बदल कर रख देता है। प्रेगनेंसी और बच्चे को जन्म देना औरतों को शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से थका देता है। यही वजह है कि जितना ध्यान आपको अपने गर्भ में पल रहे नवजात शिशु को देने की ज़रूरत है, उतनी ही ज़रूरी आपकी खुद की सेहत और पोषण भी है।
प्रेगनेंसी के दौरान और डेलिवरी के बाद बच्चे की ग्रोथ और उसके स्वास्थ्य के लिए जैसे भरपूर पोषण की ज़रूरत होती है ठीक उसी तरह नई मांओं को भी एक्स्ट्रा पोषण की ज़रूरत होती है। प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग दोनों ही चीज़ें किसी भी महिला के लिए बहुत ही डिमांडिंग फेज़ है। अगर इस दौरान मांओं को सही पोषण ना दिया जाए तो ना सिर्फ महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य-संबंधी परेशानियां हो सकती हैं बल्कि बच्चों में भी कुपोषण का खतरा बढ़ सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान
प्रेगनेंसी के दौरान मां और भ्रूण के बेहतर मेटाबॉलिज़्म के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं। प्लेसेंटा और भ्रूण की ग्रोथ, एमनियोटिक फ्लुइड की मात्रा बढ़ाने के लिए और मैटर्नल टिशूज़ (गर्भाशय, स्तन, रक्त की मात्रा) की बेहतर ग्रोथ के लिए भी ज़्यादा पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। प्रेगनेंसी के दौरान ज़रूरी मात्रा में वजन बढ़ाने के लिए भी एक्स्ट्रा कैलोरी और पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है।
मां में जहां 10-12 किलो तक का वजन बढ़ना चाहिए वहीं एक स्वस्थ शिशु लगभग 3 किलो का तो होना ही चाहिए। यदि पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जाता है तो यह मातृ कुपोषण का कारण बन सकता है जिसके परिणामस्वरूप प्रेगनेंसी और डेलिवरी दोनों में कॉमप्लिकेशन्स आ सकती हैं और साथ ही बच्चा भी ढाई किलो से कम का पैदा हो सकता है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान
ब्रेस्टफीडिंग या जब महिलाओं में दूध बनने की शुरुआत होती है तो पोषक तत्वों की आवश्यकता प्रेगनेंसी के मुकाबले कहीं ज़्यादा होती है। बच्चे के जन्म के बाद पहले 4 से 6 महीनों में उनका वजन दुगना हो जाता है और ये सारा पोषण बच्चे को मां के दूध से ही मिलता है। ब्रेस्टफीडिंग में मां के शरीर से काफी एनर्जी की खपत होती है। महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद पहले 4 महीने में ब्रेस्टफीडिंग में जितनी एनर्जी की खपत होती है वो प्रेगनेंसी की पूरी अवधि के दौरान एनर्जी खपत के बराबर है। यही वजह है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मांओं को पर्याप्त पोषण मिलना बहुत ज़रूरी है।
प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मांओं के लिए ज़रूरी है –
- संतुलित आहार
- नियमित रूप से विटामिन और मिनरल सप्लिमेंट्स
- नियमित रूप से एक्सरसाइज़
प्रेगनेंसी के दौरान और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं में पोषक तत्वों की मात्रा आम कामकाजी महिलाओं के मुकाबले कहीं ज़्यादा बढ़ जाती है। ब्रेस्टफीडिंग के पहले 6 महीने महिलाओं को एनर्जी और पोषण की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है।
हेल्दी ईटिंग की आदत को अपनाकर आप बढ़ी हुई पोषक तत्वों की मांगों को पूरा कर सकती हैं। अपने पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने खाने की मात्रा को थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ाएं। इसके लिए एक बार में बहुत सारा खाना खाने की जगह अपने खाने को दिन भर में 5-6 भागों में बांटें। इसके लिए सुबह नाश्ता करें फिर मिड-मॉर्निंग स्नैक लें, फिर लंच करें, शाम का नाश्ता, रात का खाना, और सोने से पहले कोई लाइट और पोषक स्नैक लें। प्रत्येक भोजन में अपनी थाली को संतुलित
प्रेगनेंट और ब्रेस्टफीड करा रही महिलाओं के लिए ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स –
आयरन
- हीमोग्लोबिन सिंथेसिस, मेंटल फंक्शन और रोग-प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करने के लिए आयरन की ज़रूरत होती है।
- लोहे की कमी से एनीमिया होता है जो समय से पहले जन्म, कम वजन वाले बच्चे और पोस्टपार्टम डिप्रेशन के खतरे को बढ़ाता है।
- बच्चों में आयरन की कमी से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है और सीखने की क्षमता भी बाधित हो जाती है।
हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां / बीन्स, ड्राई फ्रूट्स, नट्स / सीड्स, अंडे की जर्दी आयरन से भरपूर होती है। रोज अपने भोजन में इन खाद्य पदार्थों को शामिल करें। शाकाहारी खाद्य पदार्थों से आयरन की उपलब्धता थोड़ी कम है जबकि एनिमल फूड्स आयरन का अच्छा स्रोत हैं। विटामिन सी आयरन को शरीर में अब्ज़ॉर्ब करने में मदद करता है, इसलिए अपने खाने में आंवला, अमरूद, संतरा, नींबू जैसे फल ज़रूर शामिल करें। भोजन के पहले या बाद में चाय / कॉफी लेने से बचें, क्योंकि ये आयरन अब्जॉर्प्शन को रोकते हैं।
फोलेट या फोलिक ऐसिड
- फोलेट एक बी विटामिन है जो न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स, दिमाग और रीढ़ की हड्डी से जुड़े जन्मजात डिफेक्ट्स को भी रोकने में मदद करता है।
- फोलिक एसिड सप्लिमेंटेशन ने समय से पहले जन्म के जोखिम को कम करने और जन्म के वजन को बढ़ाने में असरदार पाया गया है। ये हीमोग्लोबिन सिथेसिस के लिए भी बेहद ज़रूरी है।
फोलेट की ज़रूरत पूरी करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, सेम, खट्टे फल और नट्स खाएं।
कैल्शियम
- आपके और आपके बच्चे की कमज़ोर हड्डियों और दांतों के लिए कैल्शियम बेहद ज़रूरी है।
- कैल्शियम आपके सर्कुलेट्री, मस्कुलर और नर्वस सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
दूध, दही, छाछ, पनीर, सी-फूड और हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं।
विटामिन डी
- विटामिन डी आपके बच्चे के दांतों और हड्डियों को बनाने में मदद करता है।
- विटामिन डी की कमी रिकेट्स नाम की बीमारी को जन्म दे सकती है जिसमें हड्डियां मुलायम पड़ के मुड़ने लगती हैं।
- अंडा, मशरूम और वसायुक्त मछली विटामिन डी का अच्छा स्रोत है।
- प्रोटीन्स
- प्रोटीन बच्चे के दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों के सही डेवलपमेंट के लिए ज़रूरी हैं।
- प्रेगनेंसी के दौरान ये ब्रेस्ट और यूटरीन टिशू ग्रोथ में मदद करते हैं।
- मछली, अंडा, मीट, सोयाबीन, दाल, अनाज, दूध और दूध से बने अन्य प्रोडक्ट्स प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं।