ज्योति गुप्ता (न्यूट्रीडाइट्स) क्वालिफाइडडायटीशन हैदराबादज्योति गुप्ता ( न्यूट्री डाइट्स) 

                   (क्वालिफाइड डायटीशन , हैदराबाद)

 

कई बार कुछ लोगों को पैरों में अजीब सी संवेदना होती है, जैसे खुजली, झुनझुनी या पैरों के अंदर कुछ रेंगने जैसा एहसास। इसी के साथ कई बार पैरों को लगातार हिलाने की अनियंत्रित इच्छा होती है। यह कोई सामान्य परेशानी नहीं है, इस स्थिति को ‘रेस्टलेस लेग सिंड्रोम’ यानी आरएलएस कहा जाता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है। इससे पीड़ित लोगों को पैरों में अजीब सी बेचैन करने वाली हलचल महसूस होती है। आमतौर पर यह रात के समय या आराम करने के दौरान महसूस होती है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम 30 से 60 मिनट तक बना रहता है। हालांकि इस सिंड्रोम के सही कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन माना जाता है कि यह डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में असंतुलन के कारण होता है। डोपामाइन मांसपेशियों के संकुचन और मूड को नियंत्रित करने में मदद करता है। वहीं कुछ विटामिन का सेवन करके भी आप इस सिंड्रोम के लक्षणों को कंट्रोल कर सकते हैं। 

 

सोते समय पैरों में ऐंठन होना – (Vitamin Deficiency Causing Restless Leg Syndrome)

विटामिन बी

शोध के अनुसार विटामिन बी की कमी रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के खतरे को बढ़ा सकती है। ऐसे में जरूरी है आप विटामिन बी6 और बी12 का भरपूर सेवन करें। विटामिन बी12 पाने के लिए अपनी डाइट में संतरा, अंगूर, सेब और कीवी जैसे खट्टे फलों और डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें। इसी के साथ मांस में भी विटामिन बी12 भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं विटामिन बी6 के लिए खमीर वाले खाद्य पदार्थ, साबुत अनाज, मछली और फलियों का सेवन करें।

विटामिन सी

विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग किडनी की किसी समस्या से परेशान हैं, उनमें रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में विटामिन सी का भरपूर मात्रा में सेवन करने से किडनी को स्वस्थ और आरएलएस को नियंत्रित रखा जा सकता है। विटामिन सी के लिए अपनी डेली डाइट में नींबू, संतरा, आंवला, नारंगी, टमाटर, अंगूर जैसे खट्टे फल शामिल करें। साथ ही अमरूद, केला, सेब, मुनक्का, चुकंदर आदि का सेवन करना चाहिए।

विटामिन डी

विटामिन डी की कमी से डोपामाइन डिसफंक्शन हो सकता है, जिसके कारण आरएलएस का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए विटामिन डी का सेवन करें। सुबह की धूप विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है। इसी के साथ दूध, साबुत अनाज, संतरा, बेरीज, फैटी फिश, फिश ऑयल, मशरूम में भी विटामिन डी पाया जाता है।

विटामिन ई

किडनी की बीमारी आरएलएस रोग को ट्रिगर करती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी किडनी की सेहत का खास ध्यान रखें। विटामिन ई क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। बादाम और सूरजमुखी के बीज विटामिन ई से भरपूर होते हैं। वहीं पालक, एवोकाडो, टमाटर, कीवी, कद्दू, मूंगफली में भी विटामिन ई पाया जाता है। इनका नियमित सेवन आपके लिए सेहतमंद रहेगा।

 

By JYOTI

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *