हम खुद को स्वस्थ रखने के लिए अक्सर ही डाइट प्लान को फॉलो करने की सोचते हैं पर लंबे समय तक रेगुलर नहीं रह पाते हैं और बीच में ही छोड़ देते हैं. सही तरीके के डाइट की बात की जाए तो संतुलन, संयम और सोच-समझकर चुने गए विकल्प ही फायदेमंद होते हैं.
अगर आप भी अपनी डाइट को सुधारना चाहते हैं तो कुछ खास टिप्स हैं जो आपकी डाइट को आसाना तरीकों से हेल्दी और सस्टेनेबल बना सकती है.
क्या है सस्टेनेबल डाइट
सस्टेनेबल आहार एक स्थायी आहार कोई अल्पकालिक भोजन योजना नहीं है, बल्कि खाने का एक तरीका है जिसका आप वर्षों तक आनंद ले सकते हैं और उसे बनाए रख सकते हैं. ये मुश्किल परहेज के बजाय संतुलन, विविधता और संयम पर केंद्रित है. भारतीय खाद्य संस्कृति में, जहाँ भोजन का सम्मान किया जाता है, स्थायी भोजन को शरीर को पोषण देने की एक प्राकृतिक आदत बनाने के तरीके के रूप में देखा जाता है.
1- प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं.
ताज़े फल, सब्ज़ियाँ, दालें और साबुत अनाज जैसे संपूर्ण, कम से कम Processed पदार्थों को प्राथमिकता दें, ये आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराएंगे. क्या खा सकते हैं- भुने हुए चने या मखाना, पोषण के लिहाज़ से, दुकान से खरीदे गए आलू के चिप्स के पैकेट से कहीं बेहतर विकल्प हैं.
2- सलाद को प्लेट में जगह दें
भोजन की शुरुआत सलाद और हल्की पकाई हुई सब्ज़ियों जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों से करें, फिर प्रोटीन (दाल, पनीर, मछली, अंडे) की ओर बढ़ें और कार्बोहाइड्रेट के साथ समाप्त करें. इससे शुगर लेवल ठीक रहता है, बेवक्त खाने से बचेंगे और पेट भी भरा रहेगा.
3 – मात्रा पर नियंत्रण रखें
अपने पसंदीदा खाने को कम करने के बजाय, उसे कम मात्रा में परोसें. घर पर, छोटी प्लेटों और कटोरों का इस्तेमाल करें जो देखने में भरे हुए लगेंगे और आपकी ओवर इटिंग भी कंट्रोल में रहेगी.
4- ज़्यादा प्रोटीन शामिल करें
खाने में ज़्यादा प्लांट बेस्ड प्रोटीन शामिल करें. दालें, अंकुरित अनाज, बीन्स और टोफू को नियमित रूप से शामिल करें. इससे पोषण संतुलित रहता है और भारी मांस पर निर्भरता कम होती है.
5- लोकल और मौसमी उपज खाएं
ताज़गी, बेहतर स्वाद और ज़्यादा पोषण के लिए, प्राकृतिक रूप से उपलब्ध चीज़ों का चुनाव करें, जैसे गर्मियों में आम और सर्दियों में गाजर. मौमस जिस तरह से गर्म-सर्द में बदलता है उसी हिसाब से उगने वाले साग-सब्जी खाएं.
6- खाने की बर्बादी को रचनात्मक तरीके से कम करें
कई बार एक समय का खाना बच जाता है तो उसको दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं जो हेल्दी भी रहेगा. जैसे कल की दाल से दाल पराठा बनाया जा सकता है या बची हुई सब्ज़ी को होल-व्हीट रैप में लपेटा जा सकता है और बचे हुए चावल से सब्ज़ियों के साथ कटलेट बनाए जा सकते हैं.
7- समझदारी से पानी पिएं
कैमोमाइल और अदरक की चाय जैसी हर्बल चाय में कैलोरी की मात्रा कम होती है. दूथ वाली चाय की जगह इन्हें अपनाकर देखें कुछ समय के बाद दूध वाली चाय से परहेज करने लगेंगे. मीठे सोडा की जगह सादा पानी पिएं. पानी खूब पिए. ध्यान रखें खाना खाने से पहले थोड़ं पानी पी लें और खाने के आधे घंटे बाद ही पानी पिएं.
8- कैसे बनाएं पौष्टिक प्लेट
एक आदर्श भारतीय भोजन कुछ इस तरह हो सकता है: एक कटोरी कचुम्बर सलाद (फाइबर) से शुरुआत करें, उसके बाद एक सर्विंग दाल (प्लांट प्रोटीन और फाइबर), एक सूखी सब्ज़ी जैसे बीन्स या भिंडी (फाइबर + सूक्ष्म पोषक तत्व) और थोड़ा सा ब्राउन राइस या ज्वार की रोटी (जटिल कार्बोहाइड्रेट और अतिरिक्त फाइबर) लें.