गर्मियों के मौसम में मिलने वाली सब्जी ककोड़ा या चठैल अपने आप में पोषण का खजाना है। इसमें कई ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो कई बीमारियों में सहायक होते हैं।
इसे मीठा करेले भी कहा जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए एक अनमोल खजाना है, जिसे आयुर्वेद में औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त है। ककोड़ा मधुमेह से लेकर बवासीर तक, हर प्रकार की समस्या का समाधान कर सकता है। आइए, इस अनोखी सब्जी के फायदों के बारे में जानते हैं!
चठैल/ककोड़ा: सेहत का सुपरफूड
चठैल या ककोड़ा सब्जी दो प्रकार की होती है-मीठी और कड़वी। कड़वा ककोड़ा स्वाद में अधिक रोचक होता है, लेकिन यह कम मिलता है। इसमें विटामिन B12, D, कैल्शियम, जिंक और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। इसकी कम कैलोरी वजन घटाने में मदद करती है और यह पाचन को सुधारने में सहायक है। यह सब्जी आसानी से उगाई जा सकती है और हर मौसम में उपलब्ध रहती है।
बीमारियों का दुष्मन
आयुर्वेद में ककोड़ा को दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। यह सिरदर्द, बालों के झड़ने, कान के दर्द, पेट के संक्रमण और पीलिया में राहत प्रदान करता है। इसका निम्न ग्लाइसेमिक इंडेक्स मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है। बारिश के मौसम में होने वाले दाद, खाज, खुजली, बुखार, रक्तचाप और लकवा जैसी समस्याओं से लड़ने में ककोड़ा प्रभावी है।
कैसे करें उपयोग?
ककोड़ा सब्जी को छीलकर करी, भजिए या साधी सब्जी के रूप में तैयार किया जा सकता है। इसका हल्का कड़वापन स्वाद को और बढ़ाता है। इसे तलकर या मसालों के साथ पकाकर चखें, जिससे सेहत के साथ-साथ स्वाद का भी आनंद लिया जा सके। गर्भवती महिलाओं और दवा ले रहे लोगों को डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।
ककोड़ा सभी के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसे अधिक मात्रा में खाने से बचना चाहिए और संतुलित मात्रा में ही खाना चाहिए। यदि आप इसे पहली बार आजमा रहे हैं, तो छोटी मात्रा से शुरुआत करें। यह छोटी सी सब्जी आपकी सेहत को बड़ा लाभ पहुंचा सकती है!
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन क्वालीफाईड डायटीशियन डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद