दूध या उससे बने प्रोडक्ट पचाने में परेशानी महसूस हो रही है तो यह लेक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या हो सकती है। इनसे मिलने वाले पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए अपने आहार में बदलाव जरूरी है। यग एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर डेयरी उत्पादों में मौजूद लेक्टोज नामक शुगर को पचाने में असमर्थ होता है।
बचपन में आपने मिल्कशेक, आइसक्रीम जैसी चीजों के खूब मजे लिए, लेकिन वक्त के साथ मिल्क या मिल्क प्रोडक्ट लेते ही गैस बनने लगे या पेट फूला हुआ महसूस होने लगे तो हो सकता आपक लेक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या है। दरअसल, लेक्टोज एक प्रकार का शुगर है, जो डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है और शरीर को इसे पचाने में परेशानी होने लगती है। आइए इस समस्या के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानते हैं:-
मिल्क एलर्जी से अलग होता है लेक्टोज इंटॉलरेंस
- ब्लोटिंग
- पेट में दर्द या मरोड़
- मितली
- पेट से गुड़गुड़ की आवाज – इनको होता है ज्यादा खतरा
क्या लेक्टोज इंटॉलरेंट ले सकते हैं डेयरी प्रोडक्ट्स
कई ऐसे लोग हैं जो लेक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या होने के बावजूद थोड़ी मात्रा में डेयरी लेते हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि कौन-सा डेयरी प्रोडक्ट आपके लक्षणों को ट्रिगर करता है। आप ऐसा कर सकते हैं:
- पूरे दिनभर में थोड़ा-थोड़ा पोर्शन लेने से शुरुआत करें।
- लाइव कल्चर वाला दही लें, क्योंकि प्रोबायोटिक्स से लैक्टोज को पचाने में मदद मिल सकती है।
- दूध, सॉफ्ट चीज और आइसक्रीम कम से कम लें। इनमें लैक्टोज की मात्रा सबसे ज्यादा होती है।
- खाने-पीने की चीजें लेने से पहले उसके लेबल पर लिखी सामग्रियों को जरूर पड़ें। कई बार कुछ प्रोसेस फूड्स में भी मिल्क के प्रोडक्ट होते हैं।
- डाइट पर हो सकता है असर
लेक्टोज इंटॉलरेंस का असर आपकी डाइट पर पड़ सकता है, इसलिए आप जो पोषक तत्व ले रहे हैं उस पर नजर रखने की जरूरत है। अगर आप सभी डेयरी प्रोडक्ट्स छोड़ देते हैं, तो आपके शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की भी कमी हो सकती है। आप इन पोषक तत्वों की कमी को दूसरे फूड आइटम से पूरा कर सकते हैं। बढ़ते बच्चों के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है, इसलिए उनके डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।
ज्योति गुप्ता , न्यूट्री डायट्स
(क्वालिफाइड डायटीशियन, हैदराबाद)