हाथ में कड़ा पहनने का चलन बहुत पहले से है। सिक्ख धर्म में कड़े को धारण करना आवश्यक माना गया है। सिक्ख धर्म में सर्ब लोह का कड़ा धारण करते हैं। इसे सिक्ख लोगों के पंच क कारो में से एक माना जाता है।

आपने देखा होगा सिख धर्म में सर्ब लोह के कड़े को सुरक्षा का प्रतीक माना गया है। कहते हैं यह कड़ा एक सिख को कठिनाईयों से लड़ने की हिम्मत प्रदान करता है, सिख को किसी प्रकार का कोई भय नहीं होने देता।

क्या है कड़ा पहनने का वैज्ञानिक मूल

दरअसल कड़ा पहनने के रिवाज के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। माना जाता है कि हाथ में कड़ा धारण करने से कई तरह की बीमारियों से रक्षा होती है।

यदि आप अपने हाथ में कड़ा पहनना पसंद करते हैं, तो यह आपके लिए बहुत अच्छी बात है, क्योंकि हाथ में कड़ा पहनकर हम बुरे नहीं दिखते। और हम बहुत अच्छा महसूस करते हैं और हम अपने आस-पास किसी भी बुरी चीज़ के होने का अंदेशा नही होता हैं, और कठिन परिश्रम करने से हमारे कई रोगों के प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

कड़ा पहनने के कारण हमे कोई नुकसान नहीं होता है, कड़ा को पहनकर हमें कभी भी कोई बीमारी नहीं होती है, ओर न ही किसी की बुरी नज़र हमे लगती है, इस मजबूत कड़े को पहनने के बाद हमारे पास बीमारी से संबंधित कोई परेशानी नहीं आती है, इसलिए ज्यादातर लोगों को कड़ा पहनना पसंद है।

तांबा या कॉपर का कड़ा के फ़ायदे

देखा जाये तो कॉपर का कड़ा या ब्रेसलेट शरीर के जोड़ों या गठिया से संबंधित विकार को दूर करती है। ऐसा भी कहा जाता है कि आर्थराइटिस के मरीजों को ऐसा कड़ा जरूर पहनना चाहिए। इस बात से तो हर कोई वाकिफ होगा की उम्र बढ़ने के साथ ही घुटनों में दर्द होना एक आम समस्या है ऐसे में कॉपर ब्रेसलेट पहनने से आपको राहत मिल सकती है।

आपको बता दे कॉपर के और भी तमाम फायदे हैं, कहा जाता है कि यह बाक़ी अन्य मेटल के टॉक्सिक इफ़ेक्ट को कम करता है और हीमोग्लोबिन बनाने वाले एंजाइम की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है।

वैज्ञानिक रूप से बात करे तो कॉपर में एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है और ऐसा मानना है कि इसके आभूषण पहनने से बढती उम्र का असर कम होता है। इसे पहनने से आपका लुक भी बेहतर नज़र आता है।

वही दूसरी तरफ यदि हम ज्योतिष के अनुसार बात करे तो बीमारियों से बचने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति बार-बार बीमार होता है तो यह उपाय करें-जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसे सीधे हाथ मे अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए। मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं, इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं।

ज्योतिष के अनुसार कड़ा क्यों पहनने

वहीं ज्योतिष के अनुसार चंद्र को मन का कारक माना गया है। चांदी को चंद्र की धातु माना गया है। इसीलिए माना जाता है कि चांदी का कड़ा धारण करने से बीमारियां दूर होने के साथ ही चंद्र से जुड़े दोष भी समाप्त होते हैं व एकाग्रता बढ़ती है।

असंयमित दिनचर्या के चलते मौसमी बीमारियों से लड़ पाना काफी मुश्किल हो गया है। जल्दी-जल्दी सफलताएं प्राप्त करने की धुन में कई लोग सही समय पर खाना भी खा पाते। जिससे शारीरिक कमजोरी बढ़ जाती है और वे लोग मौसम संबंधी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इन सभी बीमारियों से बचने के लिए हाथों में कड़ा पहनना सटीक उपाय बताया गया है।

ज्योतिष में बीमारियों से बचने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति बार-बार बीमार होता है तो यह उपाय करें

जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसे सीधे हाथ मे अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए। मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं। इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं। शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें।

अब हनुमान चालिसा का पाठ करें। इसके बार कड़े में हनुमानजी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें।ध्यान रहे यह कड़ा हनुमानजी का आशीर्वाद स्वरूप है अत: अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें। अन्यथा कड़ा प्रभावहीन हो जाएगा।

जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसके सीधे हाथ के नाप का कड़ा बनवाना है। कड़ा अष्टधातु का रहेगा। इसके लिए किसी भी मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं। इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं।

शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें। अब हनुमान चालिसा का पाठ करें। इसके बार कड़े में हनुमानजी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें।

ध्यान रखने की बात: यह कड़ा हनुमानजी का आशीर्वाद स्वरूप है अत: अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें। अन्यथा कड़ा प्रभावहीन हो जाएगा।

दिव्या सिंह -डिवाइन हीलिंग एण्ड हॉलिस्टिक लीविंग   (वेलनेस कोच एण्ड रेकी हीलर, पटना) 

By AMRITA

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