अक्सर हम अपने किचन में फल और सब्जियां काटने के लिए कटिंग या चॉपिंग बोर्ड का उपयोग करते हैं। ज्यादातर घरों में प्लास्टिक या लकड़ी के बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं। वैसे तो एक्सपर्ट हमें इन प्लास्टिक के चॉपिंग बोर्ड से दूर रहने की सलाह देते हैं क्योंकि इसके टुकड़े भोजन में मिलकर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की वजह बन सकते हैं, यही वजह है कि हम अपनी सुरक्षा के लिए लकड़ी के चॉपिंग बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब एक एक्सपर्ट ने दावा किया है कि वूडेन बोर्ड को भी सेफ नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि इसमें भी कुछ खतरे छिपे होते हैं. कंटामिनेशन की संभावना यहाँ भी बनी रहती है।
सावधानी ही स्वास्थ्य की गारंटी
जैसा कि हम जानते हैं कि लकड़ी, अपने नेचर से ही, छिद्रनुमा (Porous) होती है, जिसका मतलब है कि ये हमारे द्वारा इस पर काटे जाने वाले फूड आइटम्स से नमी को आसानी से सोख लेती है, चाहे वो ताजे टमाटर का रस हो, कच्चे चिकन का अवशेष हों, या अदरक और लहसुन का तेल हो. भारत जैसे ट्रॉपिकल देश में, जहां साल के ज्यादातर वक्त हाई ह्यूमिडिटी का लेवल बना रहता है, ये नमी बैक्टीरिया, मोल्ड और फंजाई के पनपने के लिए एकदम उपयुक्त वातावरण है.
साथ ही साथ रेगुलर यूज करने से लकड़ी के चॉपिंग बोर्ड की सतह पर छोटे-छोटे खांचे और खरोंचें पड़ जाती हैं. इन छोटी दरारों को अच्छी तरह से साफ़ करना मुश्किल होता है, जिससे साल्मोनेला (Salmonella), ई. कोलाई (E. coli) और लिस्टेरिया (Listeria) जैसे नुकसानदेह पैथोजेंस खुद को इकट्ठा कर लेते हैं. ये बैक्टीरिया हमारे द्वारा तैयार किए गए भोजन को दूषित कर सकते हैं, जिससे फूड बॉर्न इलनेस का खतरा बढ़ जाता है.”
इसके अलावा, जैसे-जैसे लकड़ी के बोर्ड पुराने होते हैं, वे छिलने और घिसने लगते हैं, जिससे भोजन में लकड़ी के छोटे-छोटे कण गिर सकते हैं. इन कणों का सेवन नुकसान से परे लग सकता है, लेकिन वे डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में जलन पैदा कर सकते हैं या, इससे भी बदतर, जहरीले रसायनों को शरीर में पहुंचा सकते हैं अगर बोर्ड को ट्रीट या वार्निश किया गया हो.
वूडेन चॉपिंग बोर्ड से होने वाली परेशानियां
1. पेट का फ्लू
सही तरीके से साफ न किए गए लकड़ी के बोर्ड से ई. कोलाई और साल्मोनेला जैसे पैथोजेंस फूड बॉर्न डिजीज का कारण बन सकते हैं. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन के कारण, लोगों को बुखार, दस्त, उल्टी और डिहाइड्रेशन, मतली और बुखार जैसे लक्षणों का अहसास होता है. छोटे बच्चे और बुजुर्ग परिवार के सदस्य खास तौर से इन संक्रमणों के प्रति संवेदनशील होते हैं.
2. फंगल कंटामिनेशन
नम रसोई में, लकड़ी के बोर्डों पर फफूंद लग सकती है. ये सिर्फ एक हाइजीन का मसला नहीं है-इसके कारण माइकोटॉक्सिन (Mycotoxins) का निर्माण हो सकता है, जो सांस से जुड़ी समस्याओं और एलर्जी रिएक्शंस से जुड़े हार्मफुल कंपाउंड हैं.
3. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इरिटेशन
पुराने वूडेन बोर्ड से निकलने वाले लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े या कण पेट की परत में जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से बेचैनी या, दुर्लभ मामलों में, आंतों में इंजरी हो सकती है.
4. क्रॉस-कॉन्टेमिनेशन
इंडियन किचन में अक्सर एक ही चॉपिंग बोर्ड का इस्तेमाल कच्चे मांस, मछली और सब्जियों के लिए बिना सही तरीके से सफाई के किया जाता है. ये प्रैक्टिस एक फूड आइटम से दूसरे में हार्मफुल माइक्रोब्स के ट्रांसफर के रिस्क को काफी बढ़ा देती है.
क्या है सेफ ऑप्शंस?
1. बांस के चॉपिंग बोर्ड
बांस वूड का एक ईको-फ्रेंडली और टिकाऊ ऑप्शन है. पारंपरिक लकड़ी के बोर्ड के उलट, बांस कम पोरस होता है और पानी के एब्जॉर्ब्शन को रेसिस्ट करता है, जिससे ये ज्यादा साफ होता है.
2. ग्लास और एक्रेलिक बोर्ड
कांच के बोर्ड्स नॉन-पोरस और साफ करने में आसान होते हैं. हालांकि वे पके हुए या नाजुक खाद्य पदार्थों को काटने के लिए बेहतर अनुकूल हैं, लेकिन वे चाकू को जल्दी से कुंद कर सकते हैं.
3. स्टील के बोर्ड
शहरी रसोई में स्टेनलेस स्टील के बोर्ड पॉपुलैरिटी हासिल कर रहे हैं. वे टिकाऊ, नॉन-पोर्स और साफ करने में बेहद आसान हैं, जो उन्हें हाइजीन के लिए एक बेहतरीन लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट बनाते हैं.
4. कंपोजिट बोर्ड (Composite Board)
रेजिन और लकड़ी के रेशों से बने, कंपोजिट बोर्ड टिकाऊ और कम रखरखाव वाले दोनों होते हैं. वे लकड़ी की तुलना में चाकू के निशान का बेहतर प्रतिरोध करते हैं और साफ करने में आसान होते हैं.
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन (क्वालीफाईड डायटीशियन/ एडुकेटर, अहमदाबाद)