गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए पपीता? 

पपीते में विटामिन A की अधिक मात्रा होती है। जो गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में अधिकतम मात्रा में खाने से शिशु के विकास को असुरक्षित बना सकती है। पपीते में विटामिन C की अधिक मात्रा होती है, जो कुछ महिलाओं को एसिडिटी या गैस की समस्या पैदा कर सकती है। इसलिए, अधिक मात्रा में पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए। पपीते में हाई ऑक्सलेट की मात्रा होती है, जो कैल्शियम के अवशोषण को अवरुद्ध कर सकती है। गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की कमी होने की समस्या हो सकती है, इसलिए पपीते का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए और अन्य कैल्शियम स्रोतों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

गर्भवती महिलाओ में पपीते के 5 साइड इफेक्ट

1. गर्भपात का जोखिम

कच्चे या अधपके पपीता में पपाइन और लेटेक्स की मात्रा अधिक होती है। यह गर्भाशय के संकुचन को उत्तेजित कर सकता है, जिससे गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है। पपीते गर्भपात का जोखिम बढ़ा सकते हैं, खासकर गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में, जब भ्रूण का विकास सबसे अधिक होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि पपीते में विटामिन A की अधिक मात्रा होती है, जो बच्चे के विकास के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

2. एनीमिया का खतरा

पाचन समस्या कच्चे पपीते में मौजूद पपाइन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और दस्त, गैस और पेट में दर्द जैसी समस्याएँ पैदा कर सकता है। लंबे समय तक पाचन समस्याओं से एनीमिया का खतरा बढ़ सकता है। गर्भावस्था में महिलाओं का रक्त वॉल्यूम बढ़ जाता है, जिससे रक्त की मात्रा में हेमोग्लोबिन की प्रति इकाई कम हो सकती है। इसका परिणाम हो सकता है एनीमिया का विकास।

3. हार्मोनल असंतुलन

प्रोलैक्टिन स्तर पर प्रभाव पपीते में पपाइन का उच्च स्तर प्रोलैक्टिन हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, जिससे दूध उत्पादन में कमी आ सकती है और हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान, गर्भाशय में औरत के शरीर में अनेक हार्मोन्स उत्पन्न होते हैं जो गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

4. एलर्जी प्रतिक्रियाएँ

लेटेक्स एलर्जी कुछ महिलाओं को लेटेक्स से एलर्जी हो सकती है, जो कच्चे पपीते में पाया जाता है। यह त्वचा पर चकत्ते, खुजली, सूजन और सांस लेने में कठिनाई जैसी एलर्जी प्रतिक्रियाएँ पैदा कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान, कुछ महिलाओं की खाद्य संवेदनशीलता बढ़ सकती है जिसके कारण वे नए आहार या खाद्य पदार्थों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। इससे एलर्जी का खतरा भी बढ़ सकता है।

5. गर्भाशय पर प्रतिकूल प्रभाव

गर्भाशय के संकुचन कच्चा या अधपका पपीता गर्भाशय के संकुचन को बढ़ावा दे सकता है, जिससे समय पूर्व प्रसव या गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान, रक्त संचार में परिवर्तन हो सकता है जो गर्भाशय के उपायुक्त विकास और कार्य को प्रभावित कर सकता है। इससे गर्भाशय के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                    (क्वालीफाईड डायटीशियन/ एडुकेटर – अहमदाबाद) 

By AMRITA

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