त्राटक (संस्कृत: त्राटक “देखना, टकटकी लगाना”) एक योगिक शुद्धि (एक षट्कर्म) और ध्यान की एक तांत्रिक विधि है जिसमें एक छोटी वस्तु, काले बिंदु या मोमबत्ती की लौ जैसे एक बिंदु पर घूरना शामिल है।त्राटक, ध्यान अभ्यास में उपयोग की जाने वाली एक तकनीक, हठ योग की छह शुद्धिकरण तकनीकों में से एक है, जिन्हें षट्कर्म कहा जाता है।माना जाता है कि इस तरह से ध्यान करने से अजना (तीसरी आंख) चक्र सक्रिय हो जाता है, जो अंतर्ज्ञान और ज्ञान के साथ-साथ मानसिक क्षमताओं से जुड़ा है। परंपरागत रूप से, यह कहा जाता है कि अभ्यास अतीत, वर्तमान और भविष्य को समान स्पष्टता के साथ देखने की अनुमति देता है।

कैसे करें त्राटक 

1.मोमबत्ती की नोक से लेकर मोमबत्ती के आधार तक लौ की नोक तक देखना शुरू करें।

2.बिना किसी प्रयास के पूरी लौ को देखना शुरू करें।

3.अपनी आँखें मत झपकाओ. …

4.यदि आंसू आएं तो उन्हें बहने दें। …

5.30 सेकंड के बाद अपनी आंखें बंद कर लें और आराम करें और आंखों के ऊपर पामिंग करें।

त्राटक कब करना चाहिए? 

विशेषज्ञों के अनुसार सूर्योदय के एक से डेढ़ घंटे पहले का समय त्राटक करने के लिए बहुत अच्छा माना गया है। इस समय माहौल शांत रहता है और दिमाग भी तरोताजा रहता है

कितने दिनों तक करना चाहिए त्राटक का अभ्यास 

त्राटक का नियमित ३ महीने का अभ्यास करने से धीरे धीरे आपको स्वयं ही अंतर नजर आता हुआ दिख जायेगा। बस शर्त एक ही है कि इसका अभ्यास आपको निरंतर व नियमित रूप से करना अनिवार्य है।

त्राटक करने के स्वास्थ्य लाभ

1.मानसिक शांति मिलती है।

2.सिरदर्द, माइग्रेन आदि से निजात मिलता है।

3.अनिद्रा की शिकायत खत्म होती है।

4.नकारात्मक विचारों सो मुक्ति मिलती है।

5.एकाग्रता बढ़ती है।

6.गुस्सा कम आने में मदद मिलती है। 

7.आंखों की रोशनी तेज होती है।

8.मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।

त्राटक से होने वाले नुकसान

आंखों की थकान: त्राटक करते समय, आंखों को लगातार एक बिंदु पर टकटकी लगाना पड़ता है। इससे आंखों में थकान, जलन और दर्द हो सकता है।

आंखों में संक्रमण: यदि त्राटक करते समय उचित स्वच्छता का पालन नहीं किया जाता है, तो आंखों में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।

किन किन लोगो को त्राटक ध्यान करने से बचना चहिए 

1.मिर्गी या सिज़ोफ्रेनिया जैसी मरीजों को त्राटक क्रिया का अभ्यास करने से बचना चाहिए या अभ्यास करने से पहले स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, या नेत्रश्लेष्मलाशोथ जैसे नेत्र विकार वाले लोगों को भी त्राटक क्रिया का अभ्यास करने से बचना चाहिए, क्योंकि आंखों पर गहन ध्यान और तनाव इन स्थितियों को बढ़ा सकता है।

2.गर्भवती महिलाओं को भी त्राटक क्रिया का अभ्यास करने से बचना चाहिए,

3.बहुत ज्यादा तनाव या डिप्रेशन महसूस करने पर या मानसिक तनाव होने पर भी त्राटक क्रिया का अभ्यास तब तक नहीं करना चाहिए।

त्राटक एक बहुत ही प्राचीन ध्यान विधि है जिसके अनेक लाभ है ,ध्यान की विधि कोई भी हो वह मन मस्तिष्क के स्वाथ्य के लिए अन्यंत लाभकारी होती है ,अतः ध्यान की कोई भी विधि को नियमित रूप से जरूर करना चाहिए

दिव्या सिंह, (वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर –पटना)

 

By AMRITA

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