क्षेपण मुद्रा एक पवित्र हाथ का इशारा या ‘मुहर’ है, जिसे बाहर डालने और जाने देने के इशारे के रूप में जाना जाता है। इसका उपयोग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा या ची को आकर्षित करने के साधन के रूप में किया जाता है। क्षेपण मुद्रा त्वचा, फेफड़ों और बड़ी आंत के साथ-साथ ऊर्जावान चैनलों के माध्यम से उन्मूलन को उत्तेजित करती है।यह मुद्रा अन्य लोगों द्वारा अवशोषित नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करती है, और ताजा और सकारात्मक ची के अवशोषण के माध्यम से कम ऊर्जा स्तर को बहाल करती है।
कैसे करें क्षेपन मुद्रा
1.हाथों को हृदय केंद्र पर रखकर, कोहनियाँ मोड़कर शुरू करें।
2.तर्जनी उंगलियों को एक-दूसरे के सामने सपाट लाएँ और बाकी उंगलियों को आपस में मिला लें।
3.प्रत्येक अंगूठे के पैड को हाथों के पीछे रखते हुए, अंगूठों को क्रॉस करें।
4.तर्जनी उंगलियों को एक साथ दबाएं, लेकिन सुनिश्चित करें कि हाथों की हथेलियों के बीच एक छोटी सी खोखली जगह हो।
5.तर्जनी को जमीन की ओर रखें।
6.7 से 15 धीमी और समान सांसों तक रुकें, साँस छोड़ने को लंबा करने या साँस छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करें
क्षेपण मुद्रा: तत्व और चक्र
आयुर्वेद के पांच तत्व सिद्धांत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) के अनुसार मुद्राएं अक्सर विशिष्ट तत्वों से जुड़ी होती हैं। क्षेपण मुद्रा अक्सर वायु तत्व और इसलिए हृदय चक्र से जुड़ी होती है । यह कहना कि “अब और नहीं, यह मेरे काम नहीं आएगा, मैं इसे जाने दे रहा हूँ” आत्म-प्रेम का कितना सुंदर कार्य है। क्षेपण मुद्रा के कई वर्षों के अभ्यास के बाद यह अक्सर दूसरे चक्र और जल तत्व के साथ प्रतिध्वनित होता है। पानी की कल्पना तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करती है और ठहराव, तनाव आदि को दूर करती है। दूसरा चक्र भी अपान वायु की ऊर्जा और जाने देने की क्रिया से बहुत जुड़ा हुआ है।
क्षेपण मुद्रा से होने वाले लाभ
यह मुद्रा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, क्रोध, अटपटे विचार, मानसिक तनाव को समाप्त करती है और हमारे भीतर सकारात्मक सोच भरती है। सकारात्मक उर्जा का प्रवेश होता है। पांचों तत्त्वों का मल बाहर निकलता है। इसे उज्जायी प्राणायाम के साथ करने से अधिक लाभ होता है।
कब करें यह मुद्रा
सुबह के समय, दिन के समय इस समय हमारा मस्तिष्क सर्वोत्तम स्थिति में होता है। तो, आपके आसानी से ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होने की अधिक संभावना है। इसलिए, सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको इस मुद्रा का अभ्यास सुबह 4 बजे से 6 बजे तक करना चाहिए।
यदि आपको सुबह के समय इसमें कठिनाई हो रही है तो आप इस मुद्रा को बाद में शाम को भी कर सकते हैं।
कितनी देर तक करना चाहिए इसका अभ्यास
इस मुद्रा का अभ्यास प्रतिदिन कम से कम 30-40 मिनट तक करें
क्षेपण मुद्रा एक हाथ का इशारा है जो ध्यान के दौरान मन को केंद्रित करने और एकाग्रता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। यह भी कहा जाता है कि यह मुद्रा हाथों की हथेलियों में दबाव बिंदुओं पर धीरे से मालिश करके तनाव सिरदर्द से राहत दिलाने में मदद करती है। क्षेपण मुद्रा कोई भी कही भी कर सकता है ।यह बहुत ही सरल और बहुत ही शक्तिशाली मुद्रा है जिसके लगातार अभ्यास करें से मानसिक स्थितियों में राहत मिलती हैं और व्यक्ति सकारात्मक होता है ।
दिव्या सिंह, (वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर, पटना)