मेडिकल साइंस और न्यूट्रिशन साइंस के इतनी तरक्की के बावजूद यह विषय काफी हैरान करने वाला है कि हमारे शरीर की इम्यूनिटी बाहर से आने वाले वायरस या पैथोजेंस के बजाए खुद के सेल्स और टिश्यू को अपना दुश्मन मान लेता है और फिर हमारा शरीर उसी प्रकार से रिस्पांस और रिएक्ट करने लगता है।
क्यूँ होता है ऑटोइम्यून डिसऑर्डर ?
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने का मुख्य कारण विटामिन डी कम होना है. डेली एक्टीविजी में बिजी रहना, ऑफिस या घर के कामों में लगे रहने की वजह से हम ज्यादातर टाइम इनडोर में बिताते हैं और धूप के जरिए विटामिन डी पाने के लिए जद्दोजहद करते हैं. जब भी हमलोग बाहर निकलते हैं तो जहां से भी शरीर में विटामिन डी एब्जॉर्ब होता है.
अनजाने में करते आए हैं ये गलती
अगर आप अपने शरीर को 90 फीसदी ठक लेते हैं या फिर अलग-अलग तरह के सनस्क्रीन को लगाते हैं तो इससे विटामिन डी को हमारे शरीर में पहुंचने में परेशानी होती है. आमतौर पर लोग ऐसा इसलिए करते हैं कि धूप में उनका चेहरा डार्क या टैन न हो. ऐसा पाया गया है कि 4 में 3 लोगों को विटामिन डी की कमी है.
न होने दें विटामिन डी की कमी
विटामिन डी का एक मात्र वास्तविक स्रोत सूरज है, और जबसे मनुष्य इस धरती पर है, शरीर की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स में विटामिन डी बहुत महत्वपूर्ण है. आपकी बॉडी के सेल्स अपनी पूरी क्षमता का लाभ उठा सके, इसिलए रोजाना विटामिन डी का इनटेक करें जिससे सेल्स की जो भी जिम्मेदारियां हैं, वो अपना पूरा इस्तेमाल कर सके और डिफेंस मैकेनिज्म को तंदुरुस्त कर सके ताकि आपको बीमारियों का सामना न करना पड़े.
अमृता, नेशन्स न्यूट्रिशन (क्वालीफाईड डायटीशियन / एडुकेटर अहमदाबाद)