दिव्या सिंह (वेलनेस कोच, रेकी हीलर)
योग मुद्रा एक ऐसी पद्धति है जिससे हम विभिन्न हस्त मुद्राओं द्वारा अपना इलाज कर सकते हैं । योग मुद्रा का वर्णन हमारे कई ग्रंथो में है, ग्रंथो के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से बना हुआ है क्षितिज,जल,पावक,आकाश और हवा, इन्ही पांच तत्वों में असंतुलन होने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती हैं। अतः इन्हीं पांच तत्वों को संतुलित करने में मुद्रा योग अहम भूमिका निभाती है।
शरीर में होने वाली कई बीमारी, मानसिक समस्याएं दर्द आदि से छुटकारा पाने के लिए आप योग मुद्रा का सहारा ले सकते हैं। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मुद्राएं अहम किरदार निभाती हैं। वैसे तो कई ग्रंथों में 399 योग मुद्राओं का जिक्र मिलता है और करीब 108 तांत्रिक मुद्राएं होती हैं। लेकिन आज हम यह 5 अहम हस्त मुद्राओं के बारे में जानेंगे।
१. वायु मुद्राः वायु मुद्रा की मदद से हार्ट को स्वथ्य रखने में मदद मिलती है। इसके जरिए आप गैस की समस्या से भी निजात पा सकते हैं और चिंतामुक्त रह सकते हैं। आप वायु मुद्रा को दिन में 2 बार 10 मिनट के लिए कर सकते हैं। इस मुद्रा को करने के लिए दोनों हाथों की आखिरी 3 उंगलियों को मोड़कर बंद कर लें फिर अंगूठे और तर्जनी यानी अंगूठे के बगल वाली उंगली को जोड़ लें। आपको ऐसे उंगली को मोड़ना है और अंगूठे को उसके ऊपर रखकर मोड़ना है।
२. पृथ्वी मुद्रा: पृथ्वी मुद्रा को करने के लिए तीसरी उंगली और अंगूठे को जोड़ लें और बाकि उंगलियों को सीधा रखें। इस मुद्रा को आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। इस मुद्रा को करके आप शरीर में कमजोरी की समस्या से बच सकते हैं। इस मुद्रा को करने से कार्य क्षमता भी बढ़ती है।
३.अग्नि मुद्रा: अग्नि मुद्रा शरीर के अग्नि तत्व को संतुलित करने के लाभकारी होती है,अग्नि मुद्रा को करने से जहां मोटापा नियंत्रित रहता है, वहीं इससे खांसी, बलगम, नजला, पुराना जुकाम, श्वांस रोग और निमोनिया रोग आदि रोग दूर हो जाते हैं तथा इससे शरीर में अग्नि की मात्रा तेज हो जाती है।
४. ज्ञान मुद्रा: ज्ञान मुद्रा बहुत ही शक्तिशाली मुद्रा है , यह मात्र एक ऐसी मुद्रा है जिसे 24 घंटो में कभी भी किया जा सकता है अतः यह मानसिक स्वाथ्य के लिए अंत्यंत लाभकारी होती है ।
ज्ञान मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से सारे मानसिक विकार जैसे क्रोध, भय, शोक, ईर्ष्या इत्यादि से छुटकारा मिलता है।यह ध्यान / मेडीटेसन करने के लिए उपयुक्त मुद्रा है। आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। मन को शांति प्राप्त होती है।
५. आकाश मुद्रा: आकाश मुद्रा द्वारा अकाशिक तत्वों को संतुलित किया जाता है ,इसका नियमित प्रयास हड्डियों के रोगों से मुक्ति के लिए भी किया जाता है , यह शरीर के बाकी तत्वों को भी संतुलित करने में सहायक है , यह शरीर में नई ऊर्जा का संचार करने में सहायक होता है
हर प्रकार की मुद्रा करने की एक विधि होती है ,कुछ मुद्रा खाली पेट और सुबह के समय करना लाभदायक होता है ।