अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग घी खाने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि भोजन में घी को शामिल करने से न सिर्फ आप शारीरिक रूप से मजबूत बनेंगे, बल्कि स्वस्थ भी रहेंगे। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि घी खाना यानी बीमारियों को दावत देना है। अब इनमें से क्या सही है और क्या गलत? संभवत: आपके लिए चुनाव करना मुश्किल हो रहा होगा।

घी क्या है?

भारत में पुराने समय से दूध और उससे बने उत्पादों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसे – दही, मक्खन व मावा आदि। इन्हीं में से एक है घी, जिसे दूध से निकाले गए मक्खन या मलाई को गर्म करके बनाया जाता है। भारत में इसका उपयोग तेल के स्थान पर भी किया जाता है। रोटी, लड्डू व गुलाब जामुन जैसे पकवानों के अलावा घी का उपयोग कई औषधीय गुणों के कारण दवाओं में भी किया जाता है।

आयुर्वेद में तो कुछ बीमारियों का इलाज देसी घी से ही किया जाता है। इसलिए घी ना सिर्फ खाने में फायदेमंद है बल्कि घी लगाने के फायदे भी हो सकते हैं। हालांकि, जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर घी खाने के नुकसान भी हो सकते हैं।

घी के फायदे

हृदय के स्वास्थ्य के लिए घी खाने के फायदे

माना जाता है कि रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा के कारण हृदय संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की ओर से प्रकाशित वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, घी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में घी को मिलाने से एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव पाया जाता है, जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है ।

कैंसर की रोकथाम के लिए घी के फायदे

कैंसर से बचने के लिए घी का सेवन किया जा सकता है।साथ ही घी कैंसर को बढ़ाने वाले ट्यूमर की पनपने से रोक सकता है। इसके अलावा घी में मिलने वाला लिनोलिक एसिड कोलन कैंसर को भी रोकने का काम कर सकता है ।

साथ ही ध्यान रहे कि कैंसर घातक बीमारी है। अगर कोई इसकी चपेट में है, तो उचित मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी है। सिर्फ घरेलू उपचार के सहारे रहना सही निर्णय नहीं है। साथ ही कैंसर की अवस्था में घी का सेवन करना है या नहीं और कितना करना है, इस बारे में डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं।

वजन कम करने के लिए घी खाने के फायदे

अगर बात हो वजन कम करने की, तो घी के सेवन से इसे नियंत्रित कर लोगों को फिट बनाया जा सकता है।

सैचुरेटेड फैटी एसिड, जो कि शॉर्ट चेन फैटी एसिड होते हैं, फैट बर्निंग में मदद कर सकते हैं। विशेष रूप से, शरीर के अधिक फैट वाले हिस्सों में जमा वसा को कम करने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया है कि पाचन क्रिया को धीमा करने के लिए घी पेट में एसिड के स्राव को बढ़ाता है और पाचन क्रिया धीमी होने से भी मोटापा कम करने में फायदा मिल सकता है।

इसके अलावा, डॉक्टरों को कहना है कि जब घी को भोजन में शामिल किया जाता है, तो यह खाने के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम कर सकता है। इससे बेहतर मेटाबॉलिज्म होता ही है, साथ ही ब्लड में शुगर की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ती है, जो कि मधुमेह के मरीजों के लिए भी उपयोगी हो सकता है। ऐसे में दोपहर के खाने में घी को शामिल करना उपयोगी हो सकता है।

अच्छे पाचन के लिए

आयुर्वेद के अनुसार, घी पचाने में आसान होता है। यह खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले अन्य तेलों के मुकाबले पेट के लिए हल्का होता है। खासकर, गाय का घी पाचन तंत्र को बेहतर करता है । संभवत, इसलिए गर्भवती महिलाओं को शुरुआती महीनों में होने वाली कब्ज, मतली और उल्टी की समस्या को कम करने के लिए भोजन में घी शामिल करने की सलाह दी जाती है।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए घी खाने के फायदे

स्वस्थ रहने के लिए प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर होना जरूरी है। वहीं, अक्सर बीमार रहने और जल्दी बीमारी से न उबर पाने वालों के लिए भी घी फायदेमंद माना जा सकता है। यह कमजोर होती रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। दरअसल, घी में कंजगेटेड लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है। यह एसिड रोग प्रतिरोधक क्षमता को ठीक करने के साथ ही शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद कर सकता है।

मजबूत हड्डियों के लिए

हड्डियों का जल्दी टूट जाना और उनके जुड़ने में दिक्कत होना, कमजोर हड्डियों की निशानी होती है। ऐसा शरीर में विटामिन-के की कमी के कारण होता है। भैंस के दूध से बने घी में विटामिन-के की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही उनके विकास में सहायक हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण के लिए

रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से हृदय की समस्या, रक्तचाप के साथ और भी कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए सीमित मात्रा में घी के सेवन को फायदेमंद माना जा सकता है। घी में कंजगेटेड लिनोलेनिक एसिड होता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीएथेरोजेनिक यानी धमनियों में प्लाक को जमने से रोकना गुण होता है। इसलिए, यह रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल को कम कर सकता है। साथ ही लाभदायक कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल के स्तर को बेहतर कर सकता है।

गर्भावस्था में घी के फायदे

घी में मैजूद औषधीय गुण गर्भवती और उसके शिशु के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं। घी को सिंघाड़ा पाउडर 1 टेबल स्पून और गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से प्लेसेंटा (गर्भनाल) की अवस्था ठीक रहती है। चावल और दही के साथ घी का सेवन भ्रूण के दिल के फायदेमंद हो सकता है। छठे महीने में चावल के साथ गाय का घी भ्रूण के मस्तिष्क के विकास के लिए उपयोगी सकता है। गाय के घी में भुने हुए गार्डन क्रेस सीड के बीजों को दूध और चीनी के साथ मिलाकर सेवन करने से यह गर्भावस्था के दौरान महिला को कमजोरी और एनीमिया से बचाने में मदद कर सकता है।

आंखों के लिए

घी में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है विटामिन-ए। माना जाता है कि विटामिन-ए की कमी से आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है। वहीं, घी के सेवन से विटामिन-ए की अच्छी मात्रा मिलती है, जो इस दोष को दूर करने के लिए कारगर हो सकता है ।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन ए की प्रमुख भूमिका होती है। विटामिन ए स्वस्थ दांतों, कंकाल और सॉफ्ट टिशु के साथ ही त्वचा की उम्र को बढ़ने से बचाने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह आंख के रेटिना में रंगद्रव्य पैदा करता है । वहीं, घी को विटामिन ए का अच्छा स्रोत माना जाता है । ऐसे में अच्छे स्वास्थ्य के लिए घी को आहार में शामिल करने के कई फायदे हासिल किए जा सकते हैं।

    प्रियंवदा दीक्षित,फूड फॉर हील  ‌‌                           (क्वालीफाईड डायटीशियन,आगरा)

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