गर्भावस्था किसी भी महिला के जीवन का बहुत ही खास पल होता है इस दौरान महिलाएं अपना और अपने गर्भ में पल रहे बच्चे का विशेष रूप से ध्यान रखती हैं। पूरा परिवार सिर्फ उस पल के इंतजार में रहता है कि कब 9 महीने पूरे होने औश्र नन्ही किलकारियां उनके घर आंगन में मधुर गूंज भर दे। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने दैनिक जीवन में कई शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे- कमर दर्द, दाद, चक्कर आना, उल्टियां, खून की कमी, भूख न लगना, हथेली तलवों में जलन, हाथ – पैर की खुजली,डिहाइड्रेशन वगैरह – वगैरह। गर्भावस्था के समय अधिकांशतः महिलाओं को पैरों में सूजन व खुजली की समस्या रहती ही है। आइए जानते हैं इसके कारण और बचाव के घरेलू उपाय
गर्भावस्था में पैरों की खुजली के कारण
– गर्भावस्था में हार्मोनल परिवर्तन त्वचा को अधिक सूखा और संवेदनशील बना सकते हैं, जिससे खुजली की समस्या हो सकती है.
– इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें लीवर में पित्त के प्रवाह में रुकावट आ जाती है. इसके कारण तीव्र खुजली होती है, खासकर पैरों और हाथों में.
– पेरीफेरल न्यूरोपैथी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) के बाहर तंत्रिका क्षति है जो हाथों और पैरों में झुनझुनी, सुन्न, दर्द और खुजली का कारण बनती है. गर्भावस्था में बढ़ते गर्भाशय से तंत्रिका संपीड़न के कारण निचले छोर (पैर) की न्यूरोपैथी आम है.
– सोरायसिस कुछ गर्भवती महिलाओं में पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों में खुजली और दर्दनाक प्लेक्सी का कारण बन सकता है. जिन महिलाओं को गर्भावस्था से पहले सोरायसिस हुआ है, वे गर्भवती होने के दौरान छूट या भड़कने का अनुभव कर सकती हैं, जबकि कुछ लक्षणों में सुधार का अनुभव कर सकती हैं.
– त्वचा संबंधी समस्याएं शुष्क त्वचा, पैरों में खुजली के सामान्य कारण हैं, विशेष रूप से ड्राई जलवायु स्थितियों में. बार-बार पैर धोना और क्लोरीनयुक्त पानी में तैरना भी ड्राई त्वचा का कारण बन सकता है.
– एटोपिक डर्मेटाइटिस या एक्जिमा यह आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण पैरों और त्वचा में रूखी और खुजली का कारण बन सकता है. कुछ गर्भवती महिलाओं को डिसिड्रोटिक एक्जिमा के कारण पैरों में खुजली हो सकती है, जो कि तलवों और पैरों के किनारों का एक्जिमा है.
गर्भावस्था में पैरों की खुजली के घरेलू उपाय
ओटमील बाथ-
ओटमील में सूजन कम करने वाले गुण होते हैं. आप नहाने के पानी में ओटमील मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
एलोवेरा जेल-
एलोवेरा जेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो खुजली को कम करने में मदद करते हैं.
नारियल तेल-
नारियल तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और खुजली को कम करता है.
विटामिन ई कैप्सूल-
विटामिन ई कैप्सूल को तोड़कर उसका तेल प्रभावित क्षेत्र पर लगा सकते हैं.
कब डॉक्टर से संपर्क करें
अगर खुजली बहुत तेज हो या सहन नहीं हो रही हो, अगर खुजली के साथ अन्य लक्षण जैसे पीलिया, मतली, उल्टी आदि हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन क्वालीफाईड डायटीशियन डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद