माँ बनना हर महिला का सपना होता है, दुनिया में इससे बड़ी खुशी शायद ही किसी महिला के लिए हो सकती है।एक सच यह भी है कि माँ बनने का सौभाग्य भी हर किसी को नहीं मिल पाता। ऐसे में अगर आप या आपकी रिश्तेदार, आपकी सहेली, आपकी बहन या कोई भी आपकी जानकारी में अगर प्रेगनेंट हो तो उसे यह सलाह जरूर दें कि 3 महीने तक वह अपनी प्रेगनेंसी किसी को ना बताएं सिवाये अपनी माँ और अपने डॉक्टर के। इसकी सलाह के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं । जी हाँ 3 महीने तक अपनी प्रेगनेंसी को छुपाना बहुत जरूरी है आईए जानते हैं क्यों?

प्रेगनेंसी और मिसकैरेज किसी भी महिला के लिए एक ऐसा पड़ाव होता है, जिस दौरान उसे केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक स्तर पर भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा होता है. प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं शारीरिक और मानसिक तौर पर सबसे ज्यादा कमजोर होती है.खासतौर पर गर्भधारण के शुरुआती के तीन महीने महिलाओं को बहुत सावधानी से रहने की जरूरत होती है.

इन महीनों में जरा सी भी कोताही कोख में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. मिसकैरेज का खतरा प्रेगनेंसी के कुछ ही हफ्तों तक होता है. इसलिए प्रेग्नेंसी की न्यूज को यह समय बीतने के बाद ही दूसरों के साथ शेयर करने की सलाह दी जाती है. बता दें कि ज्यादातर लोग इसे अंधविश्वास के रूप में देखते हैं, लेकिन वास्तव में इसके पीछे मेडिकल कारण होते हैं. यहां आप प्रेगनेंसी के पहले 3 महीने तक किसी को यह न्यूज न देने के पीछे के तर्क को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं-

 

कबतक और कितना है मिसकैरेज का खतरा 

गर्भपात के मामले आमतौर पर गर्भधारण के पहले 12 हफ्तों के भीतर होते हैं. हालांकि, शोध के अनुसार, गर्भपात की संभावना विशेष रूप से 6 से 8 सप्ताह के बीच अधिक होती है. यह समय अवधि भ्रूण के विकास के प्रारंभिक चरण से संबंधित है जब सबसे अधिक भ्रूण संबंधी समस्याएं और आनुवंशिक दोष सामने आ सकते हैं.

 

मिसकैरेज होने का कारण

 

– पहले तिमाही में गर्भपात का प्रमुख कारण भ्रूण में आनुवांशिक समस्याएं होती हैं. यह आमतौर पर भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों में होता है, जब अधिकांश गंभीर आनुवंशिक दोषों का पता चलता है. इस समय, गर्भधारण के लिए भ्रूण का सही ढंग से विकसित होना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.

 

– गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हार्मोनल असंतुलन भी गर्भपात का एक कारण हो सकता है. हार्मोन प्रोलैक्टिन और प्रोजेस्टेरोन की कमी गर्भाशय की दीवार को ठीक से तैयार नहीं कर पाती, जिससे गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है.

 

– प्रेगनेंसी में महिला का ब्लड प्रेशर हाई होना, डायबिटीज या इन्फेक्शन, भी गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकती हैं. इन समस्याओं का प्रभाव भ्रूण की वृद्धि और विकास पर पड़ता है, जिससे गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है.

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                            क्वालीफाईड डायटीशियन/डायबिटीज एडुकेटर           अहमदाबाद

By AMRITA

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